देहरादून। मतदान के साथ उत्तराखंड का चुनावी समर भले ही खत्म हो चुका हो और अब मतगणना परिणाम ही शेष बचा हो लेकिन भाजपा और कांग्रेस नेताओं के बीच चुनावी घोषणाओं को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है वार—प्रति वार का सिलसिला जारी है दोनों ही दलों के नेता एक दूसरे की घेराबंदी करने में जुटे हुए हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट का कहना है कि भाजपा झूठे वायदे और घोषणाओं के दम पर सत्ता में बने रहने का सपना देख रही है। उन्होंने कहा कि सिविल यूनिफॉर्म कोड लाने की घोषणा एक मुख्यमंत्री कैसे कर सकता है? सिविल यूनिफॉर्म कोड केंद्र सरकार का विषय है न की किसी राज्य सरकार का। उनका कहना है कि उन्हें हैरानी इस बात की होती है कि पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव परिणाम आने से पहले ही भाजपा की सरकार भी बना ली और वह मुख्यमंत्री भी बन गए हो। उन्होंने कहा कि उनका ज्ञान देखिए कि वह मतदान के बाद भी राज्य में सिविल यूनिफॉर्म कोड लाने का दावा कर रहे हैं। जबकि यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से भी बाहर है। उससे भी अधिक हास्यापद यह है कि वह कांग्रेस के इस मुद्दे पर विरोध पर यह कह रहे हैं कि कांग्रेसी तो राष्ट्रीय हित के सभी मुद्दों का विरोध करते हैं, उनका काम ही विरोध करना है। उन्होंने कहा कि 2017 में भी तो सरकार बनने पर वह 100 दिन में लोकायुक्त गठित कर रहे थे उसका क्या हुआ। उन्होंने कहा कि भाजपा झूठ और लफ्फेबाजी की राजनीति करती है।
उधर भाजपा नेताओं द्वारा भी कांग्रेस पर पलटवार में कोई कमी नहीं रखी जा रही है। भाजपा नेता रविंद्र जुगरान का कहना है कि चुनाव समाप्त होने के बाद भी पूर्व सीएम हरीश रावत जिस तरह से घोषणा करते जा रहे हैं कि मुंडन संस्कार करने वालों को वह पेंशन देंगे, ऐसा लगता है कि सीएम बनने की उनकी अति महत्वकांक्षा ने उनका विवेक ही छीन लिया है। उन्हें सिर्फ सीएम की कुर्सी चाहिए, इसके लिए वह कुछ भी कहने और करने को तैयार हैं।