उत्तराखंड विधानसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचने वाला है। आज शाम चुनाव प्रचार का कोलाहल थम जाएगा। अब तक हर बार उत्तराखंड का चुनाव कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होता आया है खास बात यह है कि सूबे की जनता भी बारी—बारी से उन्हें सत्ता में आने का मौका देती रही है जनता ने अब तक किसी भी एक दल को दोबारा मौका क्यों नहीं दिया? इस सवाल का जवाब है जनता को दोनों में से किसी एक पर भी भरोसा न होना। भाजपा या कांग्रेस दोनों में से किसी एक को चुनना उत्तराखंड के लोगों की मजबूरी रही है क्योंकि जनता के पास राज्य गठन से लेकर अब तक कोई तीसरा विकल्प ही नहीं है। यूकेडी और बसपा जैसे दलों ने पहले दो तीन चुनावों में थोड़ी बहुत सक्रियता दिखाई थी लेकिन उनके नेता निजी स्वार्थों की बलि चढ़ गए और वह अपनी विश्वसनीयता खो बैठे। 2022 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने राज्य की सभी 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं और वह स्वयं को राज्य की जनता के सामने पूरे दमखम के साथ एक तीसरे विकल्प के रूप में पेश कर रही हैं। आम आदमी पार्टी जहां अपने प्रचार में भाजपा व काग्रेस को कड़ी टक्कर देती देखी है वहीं उसने अपने चुनावी वचन पत्र में जो दावे व वायदे किए हैं उनमें भी भाजपा कांग्रेस को पछाड़ दिया है। भाजपा व कांग्रेस के नेता भले ही आप की दावेदारी को यह कहकर खारिज कर रहे हो कि उनका राज्य में कोई न तो कोई संगठनात्मक ढांचा है और न कोई आधार, लेकिन इसके बीच ही आम आदमी पार्टी चमत्कारिक परिणामों की उम्मीद लगाए हुए हैं। आम आदमी पार्टी को क्या मिलता है? और उनके चुनाव मैदान में आने से किसे नुकसान या फायदा होता है इसकी समीक्षा और आकलन भले ही 10 मार्च को चुनाव परिणाम आने पर ही संभव होगा, लेकिन आप को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। भले ही वह ऐसा कोई चमत्कार न कर सके कि अपने बूते पर सत्ता तक पहुंच जाए लेकिन वह भाजपा और कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचने से रोकने में भी कामयाब हो जाती है उसके लिए यह भाजपा और कांग्रेस से भी बड़ी जीत साबित हो सकती है। क्योंकि ऐसी स्थिति में सत्ता की चाबी उसके ही हाथ होगी। आप की पहली कोशिश भी यही है कि उसे अगर 8 से 10 सीटों तक पहुंचने में सफलता मिल सके तो वह भाजपा और कांग्रेस दोनों का खेल बिगाड़ सकती है। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के वचन पत्र में जो बातें कही गई है उन्हें देखकर यह जरूर लगता है कि इन वायदों को पूरा किया जाना मुश्किल ही नहीं असंभव है। यही कारण है कि कांग्रेस और भाजपा के नेता अब यह प्रचार कर रहे हैं कि उन्हें पता है कि उन्हें सत्ता में आना तो है ही नहीं इसलिए कुछ भी वायदे कर दो, लेकिन यह भी आज की राजनीति का हिस्सा है ठीक वैसे ही जैसे झूठ की राजनीति का चलन है।