देश काल और परिस्थितियों के प्रभाव और प्रवाह से अछूता रखना भले ही असंभव सही, लेकिन अपनी पूरी सामर्थ्य शक्ति के साथ किसी भी स्थिति से मुकाबला करना और अपने अस्तित्व को बनाए रखने की जंग को जारी रखना भी किसी जीत से कम नहीं होता है। आज आपको यह बताते हुए हिंदी सांध्य दैनिक ट्टदून वैली मेल’ को इस बात का गर्व अनुभव हो रहा है कि हम अपने सतत संघर्ष के 29 साल का सफर पूरा कर चुके हैं, अपनी 30वीं सालगिरह पर हम अपने उन सभी सुधी पाठकों, विज्ञापन दाताओं और शुभचिंतकों का विनम्र आभार व्यक्त करते हैं जो इस 30 साल के सफल सफर में हमारे सहयोगी रहे जिनके सहयोग ने इस सफर को आसान बनाया। भले ही हमें लगता हो कि यह 30 साल न जाने कब और कैसे गुजर गए लेकिन वास्तव में यह सफर आसान नहीं था अनेक उतार—चढ़ाव इस दौर में देखे गए खासकर उस दौर में जिसे प्रिंट मीडिया के लिए संक्रमण कहा जाता है। पत्र—पत्रिकाओं ने इस दौर में जो कठिनाईयां खासकर लघु और क्षेत्रीय पत्रों और पत्रिकाओं ने, वह अत्यंत ही पृथक किस्म रही है। इन पत्र—पत्रिकाओं के सामने सिर्फ डिजिटल मीडिया के दौर में अपना अस्तित्व बचाने की चुनौती नहीं रही है अपितु पत्रकारिता के गिरते मूल्यों को बचाने का संघर्ष और अपनी आर्थिक बदहाली के बीच स्वयं को जिंदा रखने की जद्दोजहद से भी उन्हें दो—चार होना पड़ा है। विगत दो दशकों में अनेक पत्र—पत्रिकाओं का अस्तित्व इस संघर्ष में या तो समाप्त हो गया या फिर सिकुड़ गया, जो दुखद है। मीडिया जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है उस स्तंभ का सबसे अधिक सशक्त और मजबूत बने रहना जरूरी है क्योंकि अभिव्यक्ति की आजादी के बिना कोई भी व्यवस्था आम नागरिक के अधिकारों की सुरक्षा नहीं कर सकती है। मीडिया जब तक अपने उत्तरादायित्व को ईमानदारी और निष्ठा पूर्वक निभाता रहेगा देश का समाज, शासन—प्रशासन और लोकतंत्र उतना ही मजबूती से खड़ा रहेगा। दून वैली मेल अपनी 30वीं वर्षगांठ पर आपको एक बार फिर भरोसा दिलाता है, हमारा यह सफर यूं ही जारी रहेगा हमारी अंतिम सांसों तक। बस आपका अपेक्षित सहयोग भी हमें मिलता रहेगा, इस शुभेच्छा के साथ।
— संपादक
सांध्य दैनिक दून वैली मेल