जब देवस्थानम बोर्ड भंग तो सीईओ की नियुक्ति क्यों?

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कांग्रेस ने उठाए सरकार की मंशा पर सवाल

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा कल सुबह की गई देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की घोषणा के बाद कांग्रेस ने आज सरकार की नीयत और मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब सरकार देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की घोषणा कर चुकी है तो बोर्ड का सीईओ क्यों नियुक्त किया है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने बीते कल देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का ऐलान कर दिया था लेकिन सुबह बोर्ड भंग करने की घोषणा की गई और कल शाम किए गए अधिकारियों के तबादलों में कुमाऊं आयुक्त सुशील कुमार को देवस्थानम बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी पद पर तैनाती का आदेश जारी कर दिया गया। जिसे लेकर कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार कोई नया खेल खेल सकती है।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का कहना है कि जब सरकार देवस्थानम बोर्ड को भंग करने जा रही है तो सुशील कुमार को चार धाम देवस्थानम बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी पद पर तैनात किए जाने का क्या औचित्य है? उनका कहना है कि सरकार के इस फैसले से ऐसा लगता है कि सरकार की नीयत और मंशा साफ नहीं है। या तो वह किसी तरह देवस्थानम बोर्ड को अस्तित्व में बनाए रखना चाहती है या फिर कोई और नया खेल खेल रही है। उनका कहना है कि सरकार की मंशा हो सकती है कि किसी तरह बोर्ड रद्द करने का फैसला अटका दिया जाए और यह भी कहने का मौका मिल जाए कि हमने तो बोर्ड भंग कर दिया था। उन्होंने कहा कि सरकार अगर शीतकालीन सत्र में सभी औपचारिकता पूरी कर राज्यपाल की स्वीकृति नहीं ले पाती है और राज्य में आचार संहिता लागू हो जाती है तो फिर यह मामला अटक सकता है।
उधर कांग्रेस द्वारा जताई गई आशंका और सवाल पर जवाब देते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का कहना है कि कानून विधानसभा से बनते हैं और विधानसभा में ही रद्द हो सकते हैं। देवस्थानम बोर्ड एक्ट भी विधान सभा में ही रद्द हो सकता है उससे पहले नहीं। उन्होंने कहा कि विपक्ष कांग्रेस बेवजह ही सवाल खड़े कर रही है। उनकी आशंका का कोई मतलब नहीं है।

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