अब नहीं चलेगी नशा मुक्ति केंद्रों की मनमानी

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जिला प्रशासन ने की नशा मुक्ति केंद्रों के लिए एसओपी जारी

देहरादून। हत्या, मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न तथा दुष्कर्म जैसी गंभीर शिकायतों से घिरे नशा मुक्ति केंद्रों की मनमानी अब नहीं चलेगी। राजधानी के जिला प्रशासन द्वारा अब नशा मुक्ति केंद्रों के लिए नई एसओपी तैयार की गई है जिसके तहत ही नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन किए जा सकेंगे।
नशा मुक्ति केंद्रों के लिए जारी की गई इस नियमावली के अनुसार अब सभी संचालकों को अपने नशा मुक्ति केंद्र का रजिस्ट्रेशन सीएमओ कार्यालय में कराना होगा। अनिवार्य रजिस्ट्रेशन किए जाने से अब फर्जी रूप से संचालित किए जाने वाले नशा मुक्ति केंद्रों पर स्वतः ही ताला पड़ जाएगा। रजिस्ट्रेशन के लिए केंद्र संचालक को 50 हजार रूपये रजिस्ट्रेशन फीस देनी होगी तथा हर साल रजिस्ट्रेशन का रिन्यूअल भी कराना पड़ेगा।
नई एसओपी के अनुसार भवन जिसमें नशा मुक्ति केंद्र का संचालन किया जा रहा है तथा उसमें उपलब्ध जन सेवाओं के मानक भी निर्धारित किए गए हैं अब कोई केंद्र संचालक महिला व लड़कियों को पुरुषों के साथ नहीं रख सकेगा। महिलाओं व बालिकाओं के लिए अलग रहने की व्यवस्था करनी होगी। यही नहीं इन नशा मुक्ति केंद्रों में महिला कर्मियों की नियुक्ति भी अनिवार्य रूप से करनी होगी।
हर एक नशा मुक्ति केंद्र में सीसीटीवी की व्यवस्था भी अनिवार्य रूप से करनी होगी। केंद्रों द्वारा नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती किए जाने वाले सभी बीमारों का लेखा—जोखा और उन्हें दिए जाने वाले इलाज का पूरा ब्यौरा रखना होगा। खास बात यह है कि सभी नशा मुक्ति केंद्रों को हर रोज भर्ती लोगों से संबंधित जरूरी जानकारी सीएमओ कार्यालय को उपलब्ध करानी होगी नई नियमावली में नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती लोगों को दी जाने वाली दवाओं के बारे में विशेषज्ञ डॉक्टरों की राय को भी शामिल किया गया है केंद्र संचालक अपनी मनमर्जी से चाहे जो दवा उन्हें नहीं दे सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि बीते दिनों नशा मुक्ति केंद्रों के बारे में कई तरह की गंभीर शिकायतें मिली थी जिसके बाद जिला प्रशासन की टीम द्वारा कई नशा मुक्ति केंद्रों का निरीक्षण किया गया जिसमें इन शिकायतों की पुष्टि हुई थी। कई नशा मुक्ति केंद्रों पर हत्या और दुष्कर्म तथा प्रताड़ित किए जाने के आरोप सामने आए थे जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा यह कदम उठाया गया है।

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