सरकार की उपेक्षा के चलते नमकीन बिस्कुट बेचने को मजबूर गोल्डन गर्ल

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देहरादून। राज्य में आंदोलन कर रहे तमाम संगठनों को सरकार ने कुछ न कुछ आश्वासन दे कर मना लिया तो कुछ की मांगे मान कर उन्हें दीवाली का तोहफा भी दे दिया लेकिन सरकारी तंत्र से पीड़ित कुछ ऐसे भी लोग हैं जो रोशनी के त्योहार में अपने जीवन में आए अंधेरे को दूर करने के लिए राजधानी में धरना देने के लिए मजबूर हैं।
पिछले दिनों बड़ी संख्या में आंदोलन करने वाले कर्मचारियों को तो सरकार ने किसी तरह मना लिया लेकिन जो लोग अकेले ही अपना आंदोलन कर रहे हैं सरकार द्वारा उनकी सुध लेने की जरूरत तक नहीं समझी गई। दून में पिछले कई महीनों से दिव्यांग अंतर्राष्ट्रीय शूटर दिलराज कौर गांधी पार्क के बाहर नमकीन बिस्कुट बेच कर अपना जीवन यापन करने की कोशिश कर रही हैं। यह वह खिलाड़ी है जिसने राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपने खेल से प्रदेश और देश का नाम रोशन किया लेकिन आज हालात यह हो गये हैं कि अपना और अपनी माता का पालन पोषण करने के लिए इस खिलाड़ी को गांधी के बाहर नमकीन बिस्कुट बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इस दौरान कई लोग उनसे मिलने पहुंचे, साथ देने का भरोसा दिया साथ में फोटो खिंचवाई, अखबारों की सुर्खियां बने लेकिन जब सहयोग करने की बात आई तो वापस मुड़कर कोई नहीं आया।
दिलराज कौर ने एक अदद नौकरी के लिए प्रशासन, शासन तथा सरकार तक का दरवाजा खटखटा दिया लेकिन खेल कोटे से एक दिव्यांग खिलाड़ी को नौकरी देने के लिए किसी ने जहमत तक नहीं उठाई। विरोध स्वरूप धरना देने और आंदोलन करने की बजाय इस स्वाभिमानी खिलाड़ी ने जीवनयापन करने के लिए एक तरीका निकाला और अपनी जमापूंजी लगा कर यहां गांधी पार्क के बाहर नमकीन बिस्कुट बेच रही हैं। सरकार जब इतने कर्मचारियों की दीपावली खुशियों से भर रही है तो इस योग्य खिलाड़ी की उपेक्षा क्यों की जा रही है।

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