सरकार का बजट

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केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा कल जो बजट पेश किया गया है वह उनके पिछले 6 बजटों से बिल्कुल अलग हटकर है। उनके इस बजट में युवा और बेरोजगारों तथा छोटे व्यवसाईयों और गरीबों पर सबसे अधिक फोकस किया गया है। यह कहना गलत नहीं होगा कि इस बजट पर मजबूत विपक्ष की परछाई के प्रभाव को साफ तौर पर देखा जा सकता है। भाजपा को 2024 के चुनावी नतीजों से यह समझ आ गया है कि अगर उसके द्वारा देश के उन युवा बेरोजगारों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। सरकार द्वारा इस बजट में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 32 फीसदी से अधिक बजट का प्रावधान किया गया है। जो युवा भारत की सोच को बल प्रदान करने वाला है। नये युवा व्यवसायियों को स्टार्टअप के लिए मुद्रा योजना के तहत दिए जाने वाला 10 लाख के ऋण को बढ़ाकर 20 लाख कर दिया गया है। जो इस योजना के तहत पूर्व समय में काम कर रहे हैं वह भी अपने कार्य विस्तार के लिए 10 लाख का और भी ऋण ले सकेंगे। रोजगार बढ़ाने के लिए देश के बड़े 500 उघोगों में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप की व्यवस्था करने तथा नए रोजगार पाने वालों को पहले महीने का वेतन सरकार द्वारा दिए जाने की घोषणा रोजगार को प्रोत्साहित करने वाली है। कांग्रेस द्वारा अपने न्याय पत्र में युवाओं के रोजगार के लिए जो प्रस्तावित वायदे किए गए थे उसे सीतारमण द्वारा घुमा फिरा कर इस बजट में शामिल करने का प्रयास किया गया है भले ही कांग्रेस के नेता इस बजट को अपने न्याय पत्र की नकल बताकर टीका टिप्पणी कर रहे हो लेकिन यह अच्छा ही है कि कम से कम 11 साल बाद ही सही सरकार ने युवाओं की सबसे गंभीर समस्या बेरोजगारी की ओर ध्यान तो दिया। केंद्र सरकार द्वारा एमएसएमई सेक्टर के लिए जो कॉल लेटर फ्री लोन की व्यवस्था की गई है उससे उन्हें लोन मिलना आसान होगा। अब तक बैंकों द्वारा उनके 75 प्रतिशत आवेदन रद्द कर दिए जाते थे। सरकार के इस फैसले से बीमारू और नये एमएसएमई सेक्टर को बड़ी राहत मिलेगी। सरकार द्वारा गरीबों के लिए 30 लाख नए घर बनाकर देने का वायदा किया गया है। एक तरफ हम विकसित भारत की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ आजादी के इस अमृत काल में भी लोगों के पास अगर सिर छुपाने के लिए छत नहीं है तो इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है सरकार ने 80 करोड लोगों को मुफ्त राशन बांटने की व्यवस्था को भी जारी रखा है। निश्चित ही इससे गरीबों को थोड़ी सी राहत तो मिलेगी ही। रही बात किसानों की आय बढ़ाने की या उनकी आर्थिक सेहत सुधारने की तो सरकार ने इस बजट में भी उन्हें झुनझुना ही थमा दिया है। जिस प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और 109 नई उन्नत किस्म के जरिए पैदावार बढ़ाने और उनकी उपज को संरक्षित करने की बात इस बजट में कही गई है उसका कब धरातल पर किसानों को कोई फायदा होगा या नहीं भी होगा कुछ नहीं कहा जा सकता है। किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी गारंटी कानून को लेकर भी इसमें कुछ नहीं कहा गया है। उनके कर्ज माफी या 500 रूपयें की सम्मान निधि को बढ़ाने पर भी कोई बात नहीं की गई है। एक खास बात इस बजट की यह जरूर रही है कि सरकार अपने सहयोगी दलों जेडीयू बिहार व आंध्र प्रदेश सहित कुछ राज्यों पर अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए मेहरबानी जरूर रखी है नायडू व नीतीश के लिए सरकार ने भले ही उनके राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा न दिया हो लेकिन बिहार व आंध्र प्रदेश के लिए योजनाओ की बड़ी सौगात देकर सरकार को मजबूती देने का प्रयास जरूर किया तथा कुछ राज्यों में अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए उन्हें भी इस कड़ी में जोड़ा गया है। अब लोग इस बजट पर क्या सोचते हैं अलग बात है। लेकिन सरकार ने बजट से कई उद्देश्य साधने का प्रयास जरूर किया है।

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