धर्म व संस्कृति की राजनीति

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आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कितना राजनीतिक लाभ मिल सकेगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा क्योंकि राम मंदिर निर्माण के लिए देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा और उत्तर प्रदेश के पूर्व स्व. मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के उसे दौर को गुजरे जब अयोध्या की बाबरी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 में ढहा दिया गया था अब बहुत लंबा समय गुजर चुका है। लेकिन तीन दशक पूर्व राजनीति के सबसे अहम मुद्दे के रूप में सामने आए इस राम मंदिर निर्माण को जीवंत बनाए रखने में भाजपा और उसके नेताओं द्वारा कोई कोर कसर नहीं रखी जा रही है। सूबे में जब से योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार का गठन हुआ है अयोध्या में भव्य और दिव्य राम मंदिर निर्माण का काम योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया गया है अब अयोध्या का राम मंदिर निर्माण कार्य लगभग पूरा होने वाला है। 22 नवंबर को श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन होने वाला है। जिसकी तैयारियां जोर—जोर से चल रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता में आने के बाद पूरी अयोध्या नगरी का जिस तरह से कायाकल्प किया गया है वैसा कायाकल्प शायद पूरे हिंदुस्तान में बीते एक दशक में शायद ही किसी अन्य स्थान का हुआ होगा। भाजपा बीते कुछ समय से देश की सांस्कृतिक विरासत को लेेकर कुछ ज्यादा ही सजग दिखाई दे रही है अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने का संदेश और गुलामी की निशानियां को मिटाने में जुटी भाजपा और उसके नेताओं ने अब इसे एक राजनीतिक मुद्दे के रूप में विकसित कर लिया गया है तथा इसका भरपूर प्रयास किया जा रहा है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी इस सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए इस दीपावली पर अयोध्या में 21 लाख दीप प्रज्वलित कर एक बार फिर गिनीज बुक में एक उपलब्धि दर्ज कराई गई है। इस दीपावली पर देवभूमि उत्तराखंड में प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटृ ने अपने आवास पर दीपावली मिलन कार्यक्रम के दौरान प्रदेशवासियों से अपील की गई है कि वह इस दीपावली पर घरों में जलाए जाने वाले दियों को 22 नवंबर राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने तक जलाए रखें। जिससे उत्तराखंड की भूमि से संास्कृतिक पुनर्जागरण का संदेश पूरे देश में जा सके। उनका कहना है कि 500 साल के अंतराल और इंतजार के बाद भगवान श्री राम अयोध्या में अपने मंदिर में विराजमान होंगे। इसमें कोई संदेह और संशय की बात नहीं है कि राम और कृष्ण की इस यशोधरा जन्मभूमि और हिंदू तथा सनातनी धर्मालंबियों के लिए यह एक ऐतिहासिक और खुशी का दिन होगा लेकिन क्या हमारे देश के नेता अब पंडा और पुजारियों या धर्म गुरुओं की तरह यह दिशा निर्देश देंगे कि उन्हें क्या कुछ करना और कैसे करना है। महेंद्र भटृ ने राज्य के जिन लोगों को सुझाव दिया है कि यह वह 10 दिन तक अपने घरों में अखंड दीप प्रज्वलित करके रखें क्या उन्हें यह पता है कि इनमें से अधिक लोग ऐसे हैं जिनके लिए एक दीपावली के दीप जलाने और त्योहार की खुशियां मनाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। क्या अच्छा होता कि दीपावली से पूर्व सूबे की सरकार मुफ्त राशन के बदले दीपावली पर इन्हें 5—5 लीटर सरसों का तेल भी मुफ्त मुहैया करा देती जिससे वह 22 नवंबर तक दीपावली के दीए जलाए रख पाते। वैसे भी ताली और थाली बजवा चुके यह भाजपा के नेता इस तरह के नए प्रयोग आए दिन करते रहते हैं। इनके पास ऐसी शक्तियां है कि यह कोरोना जैसी बीमारियों को टोने टोटकों से भगा दे। खैर लोगों से कनेक्ट होने का यह तरीका अच्छा है सांस्कृतिक विरासत पर गर्व और गुलामी के प्रतीक चिन्हो को मिटाने की यह राजनीति धर्म की धुरी पर कब तक घूमती रहेगी आने वाला समय ही बताएगा।

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