लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश

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  • राज्य विधानसभाओं व लोकसभा मे 33 फीसदी आरक्षण
  • आगामी 15 साल तक लागू रहेगी आरक्षण व्यवस्था
  • दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण
  • एससी—एसटी आरक्षण की पूर्व व्यवस्था 33 फीसदी में निहित

नई दिल्ली। नई संसद में आहूत पहले सत्र के पहले ही दिन केंद्र सरकार द्वारा बीते कई दशकों से लंबित पड़े महिला आरक्षण बिल को कुछ नए कलेवर के साथ पेश कर दिया गया है। इस नए बिल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम देकर लाने का जो काम किया गया है वह 2024 के चुनाव के मद्देनजर मास्टर स्ट्रोक समझा जा रहा है।
इस बिल के तहत पुराने महिला आरक्षण बिल में कुछ संशोधन किए गए हैं जिसे पुरानी बोतल में नई शराब भरने जैसा ही माना जा रहा है। आज इस सत्र की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से हुई। जिसमें उन्होंने सदन के सभी सदस्यों से पुरानी सभी कड़वाहटों को भुलाकर देश के हित में काम करने की अपील जरूर की गई। उनका कहना था कि जब सब कुछ नया है तो नए इतिहास की शुरुआत भी नए भाव व भावनाओं के साथ ही होनी चाहिए लेकिन वैसा देखने को नहीं मिला। नेता विपक्ष अधीर रंजन ने जब बोलना शुरू किया तो उन्होंने महिला आरक्षण पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पेश किए गए तर्कों पर जब सवाल उठाए तो भाजपा के सांसदों ने जमकर हंगामा किया।
इसी हंगामे के बीच केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा सदन में नया नारी शक्ति वंदन अधिनियम पेश किया गया। जिसमें सभी राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है। विधान परिषदों में यह 33 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था नहीं होगी। इस बिल के अनुसार सरकार ने एक नया एमेटमैट करते हुए केंद्र शासित राज्य दिल्ली की विधान सभा में भी महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू करने की बात कही है। वहीं लोकसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था की गई है लेकिन यह व्यवस्था राज्यसभा में लागू नहीं होगी।
इन नये नारी शक्ति वंदन अधिनियम में यह व्यवस्था भी की गई है कि एससी एसटी वर्ग के लिए पूर्व में चली आ रही व्यवस्था को निष्प्रभावी कर दिया गया है इसी 33 फीसदी आरक्षण में एससी—एसटी आरक्षण भी निहित होगा। जबकि ओबीसी को इस आरक्षण में शामिल नहीं किया गया है। नई संसद की नई व्यवस्थाओं के अनुसार इस बिल को पेश करने की घोषणा जैसे ही कानून मंत्री द्वारा की गई बिल के प्रति सभी सांसदों के लैपटॉप पर अपलोड कर दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बिल को हर हाल में पारित करने का संकल्प जहां सदन में लिया है वही उनके द्वारा इस महिला सशक्तिकरण की दिशा में बढ़ते कदम की निर्विरोध विधेयक पारित करने की गुजारिश भी सदन के सदस्यों से की गई है।

  • डिलिमिटेशन के बाद ही लागू होगा आरक्षण
    नई दिल्ली। भले ही केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा नारी शक्ति वंदन अधिनियम लोकसभा में पेश कर दिया गया हो। लेकिन अभी इसे धरातल में उतरने में सालोें का समय लगेगा। सरकार के पास इस बिल को संसद में पारित कराने में कोई दिक्कत भले ही पेश न आये लेकिन इसे डिलिमिटेशन के बाद ही लागू किया जायेगा। डिलिमिटेशन के लिए एक कमीशन का गठन होगा जो सभी राज्यों की विधानसभा सीटों व लोकसभा सीटों का पुर्नगठन करेगा। जिसमें 30 फीसदी सीटें बढ़ायी जायेगी। जब यह काम पूरा हो जायेगा तभी यह आरक्षण व्यवस्था लागू हो सकेगी।
  • आरक्षण 50 फीसदी होना चाहिएः मायावती
    लखनऊ। बसपा सुप्रीमों मायावती का कहना है कि अगर सरकार महिलाओं का वास्तव में सशक्तिकरण करना चाहती है तो इस विधेयक में 50 फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था करनी चाहिए। लोकसभा में बिल पेश होने से पूर्व की गयी पत्रकार वार्ता में उन्होने कहा कि अगर इसमें पूर्व में मिलने वाले एससी—एसटी आरक्षण को समाहित किया जाता है तो वह गलत होगा। उन्होने कहा कि अगर ऐसा होता है तो यह कांग्रेस और भाजपा की पुरानी पुरूष वादी व्यवस्था का ही प्रतीक होगा।

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