जनहित के मुद्दों से भटकी भाजपा

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जो भाजपा के नेता 10 साल पहले कांग्रेस सरकार को महंगाई भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर पानी पी—पी कर कोसते थे, सत्ता में आने के बाद उन्होंने इन सभी जनहित के मुद्दों को खूंटी पर टांग दिया गया। आज देश की 100 करोड़ आबादी महंगाई—बेरोजगारी की चक्की में पिस रही है और सत्ता में बैठे नेता या तो महंगाई कम करने का स्वांग कर रहे हैं या फिर राज्य दर राज्य बेरोजगार मेले लगाकर सामूहिक रूप से 10—20—50 हजार बेरोजगारों को नियुक्ति पत्र सौंप कर उसका इस तरह से प्रचार कर रहे हैं कि जैसे पता नहीं बीते 10 सालों में कितने करोड़ लोगों को रोजगार दे दिए गए हो। केंद्र की मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में वैट व्यवस्था को समाप्त कर जीएसटी लागू कर आम आदमी की जेब पर कैसे डाका डाला है इसका गरीब व मध्यम वर्ग पर क्या और कितना प्रभाव पड़ा है इससे इस सरकार को कोई सरोकार नहीं रहा है उसके लिए तो हर माह छपने वाला यह समाचार ही सबसे अहम हो गया है कि जीएसटी संग्रह ने तोड़े पिछले सभी रिकॉर्ड। आटा, नमक, दूध, दही जैसे आम उपभोग की वस्तुओं पर भी जिस तरह से टैक्स वसूली की जा रही है वह कोई मामूली बात नहीं है। हर आम से आम आदमी आज हजार—दो हजार महीने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सरकार को टैक्स दे रहा है। अब 2024 का चुनाव जब सर पर आ गया है तब सरकार को रसोई गैस की कीमतें याद करने की अगर जरूरत पड़ी है तो इसके पीछे विपक्षी एकता का दबाव तो है ही साथ ही वह सर्वे की रिपोर्ट भी है जो यह बताती है अगर सरकार ने महंगाई को रोकने के लिए कठोर कदम नहीं उठाये तो 2024 में उसकी नैय्या डूब सकती है। सरकार अब हर सिलेंडर पर 200 की सब्सिडी तेल कंपनियों को देगी यह कितना हास्यापद तरीका है कि पहले सरकार उपभोक्ताओं के खाते में सब्सिडी का पैसा डालकर सीधे कैश बेनिफिट देने को लेकर वाह—वाही लूटती थी अब तेल कंपनियों के जरिए आम उपभोक्ताओं को मुफ्त की रेवड़िंया बांट रही है। भले ही प्रधानमंत्री मोदी आम आदमी पार्टी जैसे राजनीतिक दलों पर हमला बोलते हुए मुफ्त की रेवड़ियां बांटने वालो से सतर्क रहने की बात करते हो लेकिन क्या वह खुद अब मुफ्त की रेवड़ियंा नहीं बांट रहे हैं। लेकिन इन इनडायरेक्ट बांटे जाने वाली रेवड़ियो से सरकार व भाजपा को कोई फायदा होने वाला नहीं है सरकार पेट्रोल पर 2014 में 9.48 पैसे एक्साइज ड्यूटी वसूलते थी और डीजल पर 3.56 पैसे लेकिन 2020 में यह पेट्रोल पर 31रूपये और डीजल पर 31.83 पैसे वसूलती हैं जो 2014 के मुकाबले 4 से 5 गुना ज्यादा है अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें कम होने के बाद भी सरकार आम आदमी से 100 रूपये लीटर पेट्रोल और 90—92 रुपए डीजल बेचकर खूब लूटती रही और अब 200 रूपये रसोई गैस पर कम करके सोच रही है कि उसने बहुत बड़ी राहत आम आदमी को दी है अभी रसोई गैस सिलेंडर 900 रूपये से ऊपर है जो 2014 से पहले 415 रूपये का हुआ करता था। 2019 के चुनाव में भले ही भाजपा के उन नेताओं ने जो आपदा को अवसर में बदलने में माहिर है द्वारा कांग्रेस की न्याय योजना को लोगों के खाते में पैसा डालकर निष्प्रभावी बना दिया गया हो लेकिन ऐसा हर बार नहीं हो सकता है एक देश एक कानून और एक देश एक चुनाव जैसे उसके नई पैंतरे 2024 में कितने कारगर होते हैं समय ही बताएगा लेकिन भाजपा को अगर सत्ता में बने रहना है तो उसे आमजन के मुद्दों पर लौटना ही पड़ेगा जिससे वह विरत हो चुकी है।

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