चार धाम यात्रा पर कोरोना का साया

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बीते सालों में कोरोना की दो भयावह लहरों का कहर झेलने के बाद एक बारगी देश के लोगों ने वैक्सीनेशन के बाद यह मान लिया कि कोरोना अब खत्म हो गया है या फिर कोरोना अब उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है यही कारण है कि हमने कोरोना से बचने के उन तमाम अहतियातों को तिलांजलि दे दी जो जीवन रक्षा के लिए जरूरी थे। लोगों ने मास्क को उतार फेंका और भीड़भाड़ से उन्हें कोई परहेज नहीं रहा। वहीं शासन—प्रशासन स्तर पर वैक्सीनेशन ड्राइव लगभग बंद कर दिया गया और जांच का काम भी महज औपचारिकता तक सिमट कर रह गया। यह स्वाभाविक है कि जब जांच का दायरा सीमित रह जाएगा तो नए केस भी सीमित संख्या में ही सिमट कर रह जाएंगे। जिसका नतीजा अब धीरे—धीरे हमारे सामने आने लगा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जब कुछ राज्यों में कोरोना के केस अप्रत्याशित रूप से बढ़ने की जानकारी मिली तो स्थिति की समीक्षा शुरू हुई। पता चला कि केरल और महाराष्ट्र तथा दिल्ली जैसे राज्यों में स्थिति अत्यंत ही चिंताजनक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सभी राज्यों को अब अपने यहां स्वास्थ्य तैयारियों को परखने के निर्देश दिए गए हैं। यह सब बेवजह नहीं हो रहा है। कहीं न कहीं यह उस चिंता को ही दर्शाता है जो भावी भविष्य का खतरा है। देश में एक बार फिर कोरोना ने रफ्तार पकड़ ली है। देश में अब हर रोज कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है तथा हालात यही रहे तो बहुत जल्द सक्रिय मरीजों की जो संख्या अभी 35 हजार है वह 50 हजार का आंकड़ा पार कर जाएगी। बात अगर उत्तराखंड की करें तो यहां बीते कल 71 नए मरीज मिलने की बात कही जा रही है जो इस साल मिलने वाले नए मरीजों की सर्वाधिक संख्या है। खास बात यह है कि यह तब है जब जांच का दायरा अत्यंत ही कम है। अगर इस जांच का दायरा आज सौ फीसदी बढ़ा दिया जाए तो मरीजों की संख्या भी चौंकाने वाली हो सकती है। अकेले देहरादून में 44 नए केस सामने आए हैं। स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत भी कल अस्पतालों की तैयारियों का जायजा लेने निकले थे। जांच में अनेक अनियमितताएं सामने आई। कई वेंटीलेटर काम नहीं कर रहे थे तो कई ऑक्सीजन प्लांट भी ठप पड़े थे। जिन्हें दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हरिद्वार में आयोजित किए गए महाकुंभ के दौरान बरती गई लापरवाहियों के कारण उत्तराखंड में कोरोना विस्फोट की स्थिति देखी गई थी। राज्य में 22 अप्रैल से चार धाम यात्रा शुरू होने जा रही है। इस यात्रा में लाखों की संख्या में यात्री आते हैं बीते साल 50 लाख लोग यात्रा पर आई थी। अगर कोरोना केस इसी तरह से बढ़ते रहे तो चार धाम यात्रा के दौरान स्थिति बिगड़ सकती है क्योंकि चार धाम यात्रा के लिए देश—विदेश से श्रद्धालु आते हैं। सरकार द्वारा अभी तक इन यात्रियों के लिए ऐसी कोई गाइडलाइन तैयार नहीं की गई है जैसी पिछले सालों में की गई थी। जब बिना कोरोना की जांच रिपोर्ट के यात्रा पर आने में पाबंदी लगी थी। संभावित खतरे के मद्देनजर उत्तराखंड की सरकार को इस पर विचार करना चाहिए सरकार जब स्कूलों के लिए एसओपी जारी कर रही है तो चार धाम यात्रा के लिए भी गाइडलाइन जरूरी है। अन्यथा इसका खामियाजा राज्य के लोगों को भोगना पड़ सकता है।

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