दुखद हादसा

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बीते कल उत्तरकाशी जनपद में यात्रियों से भरी बस खाई में जा गिरी जिसमें 26 चार धाम यात्रियों की दुखद मौत हो गई। दुर्घटना की खबर मिलने के बाद से शासन—प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से लेकर सीएम धामी व एमपी के सीएम शिवराज चौहान तक अब इस घटना के पीड़ितों की मदद में जुटे हुए हैं हादसे के कारणों की भी जांच कराई जा रही है और पीड़ितों को मुआवजे से लेकर उनके इलाज तथा शवों को घर पहुंचाने की व्यवस्था में शासन—प्रशासन जुटा हुआ है। सवाल यह है कि चारधाम यात्रियों की जान माल की सुरक्षा तथा उनकी सुखद यात्रा के जो दावे शासन—प्रशासन द्वारा किए जाते हैं वह धरातल पर कहां हैं। अब तक चार धाम यात्रा पर आने वाले 150 से अधिक यात्रियों की मौतें सिर्फ हार्ट अटैक और बीमारी के कारण हो चुकी है बीते कल जो हादसा हुआ वह कुछ ज्यादा बड़ा हादसा था, इसलिए उसका शोर भी ज्यादा सुनाई दे रहा है। लेकिन छोटे—छोटे कई हादसे अब तक चार धाम यात्रा के दौरान हो चुके हैं। बीते कल एक उच्च स्तरीय निगरानी समिति मुख्यमंत्री द्वारा बनाई जाती है जिसमें कल एक साझा पत्रकार वार्ता कर चार धाम की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की बात कही जाती है इस समिति में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, स्वास्थ्य सचिव, डीजीपी, पर्यटन सचिव से लेकर तमाम बड़े अधिकारी हैं। सवाल यह है कि यात्रा को शुरू हुए एक माह पूरा हो चुका है। लेकिन पहले ही दिन से तमाम मीडिया के माध्यमों से इस यात्रा की व्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं लेकिन अभी तक सारे इंतजामों को नहीं किया जा सका है। प्रारंभिक दौर में 23 यात्रियों की मौत की खबर आई तो पीएमओ के संज्ञान लेने पर शासन प्रशासन चुस्त—दुरुस्त दिखा था। फिर पीएम ने मन की बात में चार धाम यात्रा मार्गाे व धामों में गंदगी के ढेरों पर बात की तो कुछ सतर्कता दिखी। केदार धाम यात्रा मार्ग पर बड़ी संख्या में घोड़े—खच्चरों की मौतों का मामला सामने आया तो सरकार हरकत में आई, अब यात्रियों से भरी बस खाई में गिर गई तो पूरा अमला भागदौड़ करता दिख रहा है। चार धामों में इस साल भारी भीड़ देखी जा रही है अब तक 16 लाख से अधिक यात्री यहां पहुंच चुके हैं इस बात का अंदाजा जब शासन—प्रशासन को पहले से था तो उसके अनुरूप इंतजाम क्यों नहीं किए गए यात्रियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर बड़ी समस्याएं बनी हुई है हेली सेवाएं तय चक्करों से ज्यादा चक्कर काट रहे हैं, फर्जी रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं। यात्रियों को चार धामों के अंतिम पड़ाव से बिना दर्शनों के लौटना पड़ रहा है। सड़कों पर हादसे हो रहे हैं। भले ही चार धाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की मौतों और परेशानियों की जिम्मेवारी कोई ले न ले लेकिन यह तो सभी देख रहे हैं कि अव्यवस्थाओं के कारण लोग जान हथेली पर लेकर यात्रा कर रहे हैं। परिवहन संचालकों में फेरी पर फेरी करने की होड़ लगी रहती है उन्हें यात्रियों की जान की कम अपनी कमाई की अधिक चिंता है। इस तमाम खामियों को कैसे सुधारा जा सकता है इस पर विचार की जरूरत है ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

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