पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान नेें भ्रष्टाचार के आरोपी स्वास्थ्य मंत्री डॉ विजय सिंगला को न सिर्फ अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया अपितु उन्हें जेल भिजवा दिया गया है। भगवंत मान द्वारा किए गए इस काम के लिए आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने उनकी पीठ थपथपाई है और कहा है कि भ्रष्टाचार देश के साथ विश्वासघात है हमें भगवंत मान पर नाज है। इसके साथ ही मान का कहना है कि भ्रष्टाचार के इस मामले को वह अकेले ही जानते थे और चाहते तो इसे वह दबाये भी रख सकते थे लेकिन मैंने खटकल कलां की पवित्र भूमि से भ्रष्टाचार को मिटाने की शपथ ली है। सही मायने में जब देश भर में चारों ओर भ्रष्टाचार की जय—जयकार हो रही है। नेता और ब्यूरोक्रेट्स मिलकर आम आदमी और सरकारी धन को लूटने में लगे हुए हैं ऐसे समय में अगर किसी नेता या सरकार द्वारा वैसा उदाहरण पेश किया जाता है जैसा भगवंत मान ने किया है तो उस पर आश्चर्य होना स्वाभाविक ही है। जब आम आदमी पार्टी का उदय हुआ था और उसने दिल्ली के विधानसभा चुनाव में एक नहीं दो दो बार रिकार्ड बहुमत के साथ जीत दर्ज की थी तो सभी लोग हैरान रह गए थे। दिल्ली पर बड़ी जीत के बाद पंजाब दूसरा ऐसा राज्य बना जहां 2022 के चुनाव में जनता ने रिकॉर्ड बहुमत के साथ सत्ता की चाबी सौंपी है। 119 सदस्यीय सदस्य विधानसभा में आप ने 92 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया था। इतने बड़े बहुमत वाली सरकार से जिस तरह की जन अपेक्षाएं होती हैं वह भी बड़ी ही होती हैं। आज जब राजनीति अनैतिक तरीकों से लूट का जरिया बन चुकी है और इस लूट और भ्रष्टाचार को रोकने वाला कोई नहीं रहा है। ऐसी स्थिति में अगर कोई दल या नेता इस दिशा में कोई सार्थक पहल करता है तो लोग उसे सर आंखों पर बैठायेगें ही। अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ दिल्ली में जो आंदोलन किया था उस दौरान हमने देखा था कि देश के कोने—कोने से करोड़ों लोगों की भीड़ उनके समर्थन में उमड़ पड़ी थी। लोगों का कहना है कि आजादी के आंदोलन के बाद यह देश में होने वाला सबसे बड़ा आंदोलन था। जिससे यह उम्मीद जागी थी कि भ्रष्टाचार पर कुछ न कुछ तो सकारात्मक होगा। इस आंदोलन ने तत्कालीन केंद्र सरकार को भी घुटनों पर ला दिया था लेकिन राजनीति के कुछ माहिर खिलाड़ियों द्वारा बड़ी चतुराई से इस आंदोलन की हवा निकाल दी गई। लोकपाल और लोकायुक्त की परिकल्पना को इन भ्रष्टाचारी नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स ने मजाक बनाकर रख दिया। उत्तराखंड जो देश का सबसे पहला राज्य, जिसने सबसे पहले लोकायुक्त गठन की पहल की थी वह इसका एक उदाहरण है जहां आज तक भी लोकायुक्त सत्ता में बैठे लोगों ने अस्तित्व में नहीं आने दिया। इन नेताओं को भगवंत मान जैसे लोगों से सबक लेने की जरूरत है। बीते समय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि केंद्र से गरीब कल्याण योजनाओं के लिए जो एक रूपया भेजा जाता है वह उन तक पहुंचते—पहुंचते 10 पैसे रह जाता है। अब पीएम मोदी भी भ्रष्टाचार को देश की एक बड़ी समस्या बता रहे हैं। लेकिन इसे रोकने के प्रयास क्यों नहीं किए जाते? इसका कोई जवाब किसी के पास नहीं है। अंत में एक बार फिर सीएम मान के प्रयासों के लिए उन्हें दिल से साधुवाद।