यातायात व्यवस्था की प्रयोगशाला

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राज्य गठन के बाद राजधानी की यातायात व्यवस्था को संभालना एक बड़ी चुनौती बन गई है। बीते एक दशक में इस यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए नित नए प्रयोग किए जाते रहे हैं। संकरी सड़कों को चौड़ा करने और चौराहों पर जाम से निपटने के लिए इनको कई—कई बार चौड़ा किया जा चुका है तथा अति व्यस्त और संकटग्रस्त क्षेत्रों में फ्लाईओवर बनाए जा चुके हैं। लेकिन हालात सुधरने की बजाय दिनों दिन खराब होते जा रहे हैं। समय की जरूरत को समझते हुए आउटर रिंग रोड बनाए जाने का भी कोई खास असर यातायात की व्यवस्था पर होता नहीं दिख रहा है। इस समस्या पर अगर गौर किया जाए तो इसके पीछे सबसे अहम कारण अनियोजित विकास ही है। बात चाहे सड़कों के चौड़ीकरण की हो या फिर फुटओवर ब्रिज व फ्लाईओवर बनाने की। जहां जैसा जिस विभाग और अधिकारियों की समझ में आया वह अपने नए प्रयोग करने में लगा रहता है। तहसील चौक पर बना फुट ओवरब्रिज और बल्लीवाला चौक पर बना फ्लाईओवर इसका उदाहरण है। तहसील चौक पर बने फुटओवर ब्रिज पर आना जाना किसी को भी पसंद नहीं है। दिन भर में 10 लोग भी इसकी सीढ़ियां नहीं चढ़ते हैं। जबकि पैदल रोड पार करने वाले 10 मिनट में सैकड़ों लोग होते हैं। बल्लीवाला चौक पर बना फ्लाईओवर तो मौत के फ्लाईओवर के नाम से मशहूर हो गया है। अब तक कई लोग इस फ्लाईओवर पर दुर्घटना का शिकार होकर अपनी जान गंवा चुके हैं। इस फ्लाईओवर को फोर लेन बनाया जाना प्रस्तावित था लेकिन सरकारी अमले की कारस्तानी देखिए कि इसे टू—लेन ही बनाकर तैयार कर दिया गया। इसका डिजाइन इतना दोषपूर्ण है कि इससे गुजरना मौत को दावत देना है। उस पर अधिकारियों की कार्यश्ौली देखिए बिना सोचे समझे आधा किलोमीटर के दायरे में इस ब्रिज पर कई जगह स्पीड ब्रेकर बना दिए गए। जिन्हे बाद में हटाना पड़ा। अब लोग इस फ्लाईओवर की बजाय नीचे बनी सड़क से ही गुजर रहे हैं और जाम का झाम भी जेल रहे है। संकरी सड़कों को टू वे बनाने, कहीं कट बंद करने तो कहीं कट खोलने से लेकर ना जाने कितने प्रयोग दून की इस बदहाल यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए किए जा चुके हैं। सड़कों पर फुटपाथ साइड पार्किंग का भी प्रयोग ऐसा ही एक तुगलगी प्रयोग है। जिसने यातायात सुधारने की बजाय और अधिक खराब कर दिया है। दून को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है उसकी यातायात व्यवस्था पर अगर गौर किया जाए तो वह एक दोयम दर्जे के शहर से भी बदतर है। पहले कभी महीनों में कोई इक्का—दुक्का सड़क दुर्घटना सड़क पर होती थी वहीं अब तकरीबन आए दिन सड़कों पर सड़क दुर्घटनाएं हो रही है और जाम का तो ऐसा है कि लोग घंटों फंसे कसमसाते रहते हैं। आबादी व वाहनों की संख्या दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है ऐसी स्थिति में आने वाले समय में इस शहर का हाल क्या होगा भगवान ही जान सकता है।

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