उत्तराखण्ड के कण-कण में विराजमान हैं शिव

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देहरादून। उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के अपर निदेशक विवेक चौहान ने कहा कि उत्तराखण्ड के कण—कण में शिव विराजमान हैं।
आज यहां उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के अपर निदेशक विवेक चौहान ने बताया कि देवभूमि उत्तराखंड के मंदिरों में भगवान शिव विभिन्न रूपों में साक्षात विराजमान हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर गुरुवार को महाकुंभ का शाही स्नान भी हो रहा है, जिसमें लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान कर भगवान शिव का स्मरण करेंगे। उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि के महापर्व के मौके पर श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन कर पुण्य लाभ कमाने में हमारे सहभागी बनें।
उन्होंने कहा कि राज्य में आने वाले हर एक शिवभक्त का उत्तराखंड सरकार स्वागत करती है। आस्था के महापर्व शिवरात्रि के दिन उत्तराखंड के मंदिरों में आने वाले शिव भक्तों का हम स्वागत करते हैं। उत्तराखंड के कण—कण में भगवान शिव साक्षात रूप से विराजमान हैं। यहां के मंदिर आस्था ही नहीं आर्थिकी का भी केंद्र हैं। इन मंदिरों से हजारों लोगों की आर्थिकी प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से जुड़ी हुई है। उत्तराखण्ड में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए श्ौव सर्किट में गढ़वाल मण्डल से १२ व कुमाऊँ मण्डल से १२ प्राचीन मंदिरों को समावित किया गया है। भगवान शिव और पार्वती के मिलन के उत्सव को भक्त महाशिव रात्रि के रूप में मनाते हैं। शिव साधना का महापर्व महाशिव रात्रि एक मार्च को देश भर में मनाया जाएगा। उत्तराखंड के विभिन्न मंदिरों में देवों के देव महादेव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। देश—विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए उत्तराखंड पर्यटन विभाग की ओर से 24 शिव मंदिरों को धार्मिक पर्यटन के रूप में तैयार किया है। देवभूमि के 24 शिव मंदिरों में भगवान शिव साक्षात विराजमान हैं। जहां शिव की भक्ति में तल्लीन होकर उनकी विधि विधान से पूजा अर्चना की जा सकती है। देवभूमि उत्तराखंड को शिव की भूमि कहा गया है। यहीं कैलाश पर शिव का वास है और यहीं कनखल (हरिद्वार) व हिमालय में ससुराल। आघ शंकराचार्य के उत्तराखंड आने से पूर्व यहां श्ौव मत का ही बोल बाला रहा है और सभी लोग भगवान शिव के उपासक थे। आज भी शिव विभिन्न रूपों में उत्तराखंड के आराध्य देव हैं।

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