परिस्थियों के प्रभाव और प्रवाह से अछूता रहना भले ही असंभव हो, लेकिन अपने पूरी सामर्थ्य व शक्ति के साथ किसी भी परिस्थिति से मुकाबला करना और अपने अस्तित्व को भी बचाये रखना भी जंग में किसी जीत से कम नही होता है। हमे यह बताते हुए इस बात का गर्व अनुभव हो रहा है कि देहरादन से प्रकाशित होने वाला हिन्दी सांध्य दैनिक `दून वैली मेल’ अपने सतत संघर्ष के 30 साल का सफर आज पूरा कर चुका है। `दून वैली मेल’ की 31वीं साल गिरह पर हम अपने सभी सुधी पाठकों, विज्ञापन दाताओं और शुभचिन्तकों का विनम्र आभार व्यक्त करते है जो इतने सालों के सफर में हमारे सहयोगी रहे और रहेगें। जिनके साथ और सहयोग ने हमारे इस सफर को आसान बनाया। भले ही हमें यह लगता हो कि यह 30 साल कब और किन परिस्थितियों में गुजर गये लेकिन वास्तव में यह सफर उतना भी आसान नहीं था जितना दिखायी पड़ता है। अनेकों उतार चढ़ाव इस दौर में देखे गये। पत्र—पत्रिकाओं ने इस दौर में जो कठिनाइयंा खास कर लघु और क्षेत्रीय पत्र—पत्रिकाओं ने देखी है वह अत्यन्त ही अलग किस्म की रही है। इन पत्र—पत्रिकाओं के सामने सिर्फ डिजिटल मीडिया के दौर में अपने अस्तित्व को बचाने की चुनौती ही नहीं रही है अपितु पत्रकारिता के गिरते मुल्यों को बचाने का संघर्ष और अपनी आर्थिक बदहाली के बीच स्वंय को जिन्दा रखने की जद्दोजहद से भी दो चार होना पड़ा है।
मीडिया जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है उस स्तंभ का सबसे अधिक सशक्त और मजबूत बने रहना जरूरी है। क्योंकि अभिव्यक्ति की आजादी के बिना कोई भी व्यवस्था आम नागरिक के अधिकारों की सुरक्षा नहीं कर सकती है। मीडिया जब तक अपने उत्तरादायित्व को ईमानदारी से निभाता रहेगा। देश का समाज, लोकतंत्र व शासन—प्रशासन उतना ही मजबूती से खड़ा रहेगा। सांध्य दैनिक `दून वैली मेल’ आपको एक बार फिर भरोसा दिलाता है हमारा सफर अविराम जारी रहेगा। बस आपके अपेक्षित सहयोग का साथ हमें मिलता रहे।
— संपादक
सांध्य दैनिक `दून वैली मेल’