सूबे की राजनीति में उथल—पुथल जारी

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डॉ हरक और काऊ मिले जेपी नड्डा से
प्रीतम सिंह भी दिल्ली पहुंचे, राहुल से मिलेंगे

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पूर्व राज्य में दलबदल की बड़ी घटनाओं और नेताओं के बीच छिड़ेे वाक युद्ध से सियासी पारा सीमाएं तोड़ता दिख रहा है वहीं भाजपा और कांग्रेस अपने—अपने घरों की सुरक्षा के साथ जिस तरह एक दूसरे के घर में सेंधमारी के प्रयास कर रहे हैं उसके कारण भारी उथल—पुथल का माहौल बना हुआ है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि कब कौन सा नेता किसके साथ छोड़ देगा और किसके साथ जाकर खड़ा हो जाएगा पार्टियों को खुद इसका भरोसा नहीं रहा है। महज इत्तेफाक ही सही आज नेता विपक्ष प्रीतम सिंह और काबीना मंत्री डॉ हरक सिंह तथा रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ जब एक ही फ्लाइट से दिल्ली रवाना होते देखे गए तो राजनीतिक गलियारों में फिर दलबदल की चर्चाएं शुरू हो गई जो डॉ हरक सिंह व काऊ के एक ही कार से दिल्ली भाजपा मुख्यालय पहुंचने पर शांत हुई। प्रीतम सिंह भले ही यह कह रहे हो कि वह एक निजी काम से दिल्ली गए हैं लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उनका राहुल गांधी से मिलने का कार्यक्रम है।

दिल्ली से मिली खबरों के अनुसार डॉ हरक सिंह व काऊ की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात हुई है। चर्चा है कि नड्डा ने इन नेताओं की नाराजगी दूर करने और उन्हें कोई अहम जिम्मेदारी देने के लिए बुलाया है। डॉ हरक सिंह को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष या चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाने की भी चर्चा है। पर्दे के पीछे क्या चल रहा है वर्तमान स्थिति में उसे समझ पाना बहुत मुश्किल इसलिए भी है क्योंकि जो धमाके अब तक सूबे की राजनीति में हो चुके हैं वह अप्रत्याशित रहे हैं। कांग्रेस आर्य के कांग्रेस में वापस आने के बाद लगातार यह कह रही है कि यह तो ट्रेलर है पिक्चर तो अभी बाकी है। अभी बीते दिनों हम कांग्रेस के बागियों की पार्टी में वापसी को लेकर भाजपा व कांग्रेस के नेताओं के बीच तीखा वाक युद्ध देख ही चुके हैं। साथ ही नेता विपक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व सीएम हरीश रावत के बीच भी मतभेद देख चुके हैं।
असल में नेता क्या कहते हैं? और क्या करते हैं इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। यह भी संभव है कि डॉ हरक और हरीश रावत के बीच जो तल्ख बयानबाजी जारी है वह नूरा कुश्ती ही हो। काऊ अभी कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिले थे चर्चा थी कि आर्य के साथ काऊ भी कांग्रेस में आ रहे हैं मगर बाद में कहानी सामने आई कि वह तो आर्य की जे पी नड्डा और अमित शाह से फोन पर वार्ता कराने और उन्हें कांग्रेस में जाने से रोकने के लिए काग्रेस भवन गए थे। खैर अब भाजपा व कांग्रेस दोनों ही सतर्क हैं। लेकिन इसके बीच नेताओं का इधर—उधर होना भी जारी रहेगा इसकी भी संभावनाएं कम नहीं है।

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