सौगातों की राजनीति

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चुनावी बेला में उत्तराखंड की धामी सरकार अपनी 4 साल की तमाम नाकामियों को धोने के प्रयासों में जुटी हुई है। मुख्यमंत्री धामी द्वारा हर रोज सौगातों की बरसात की जा रही है। भले ही उत्तराखंड की वर्तमान सरकार ने 4 साल में चार हजार युवाओं को रोजगार न दिया हो लेकिन अब धामी सिर्फ चार महीने में 15 हजार युवाओं को रोजगार देने का दावा कर रहे हैं। राज्य के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 11 फीसदी बढ़ा दिया गया है। जिस पर सरकार को हजारो करोड़ अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा। उघमी महिलाओं को एक लाख की सब्सिडी देने की घोषणा भी सीएम कर चुके हैं। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का भी मानदेय बढ़ा दिया गया है। कोरोना वरियर्स को सम्मान के नाम पर सीएम स्वास्थ्य कर्मियों और सफाई कर्मियों को बड़े पैकेज का ऐलान कर चुके। राज्य के होटल व पर्यटन कारोबारियों को सरकार द्वारा दो हजार महीने की सहायता दी जा रही है। धामी इन दिनों सबका विकास करने के लिए दिन—रात जुटे हुए हैं क्योंकि अब उन्हें और उनकी पार्टी को सभी के साथ की जरूरत है। सवर्ग का ख्याल रखने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री धामी की सोच है कि वह इस चुनावी बेला में सौगातों की इतनी भरमार कर दें की लोग भूल जाएं कि कोरोना काल में उन्होंने क्या—क्या मुसीबत है झेली है। इन 4 सालों में आम आदमी रोजगार और बढ़ती महंगाई के कारण किस हद तक परेशान और त्रस्त रहा है। सरकार ने राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर अपने पूरे कार्यकाल में क्यों कुछ नहीं किया क्यों भाजपा की सरकार 5 साल में भी लोकायुक्त का गठन नहीं कर सकी? जैसे सवाल कोई सरकार से पूछे ही नहीं। सरकार ने उन मलिन बस्तियों के मालिकाना हक के लिए 5 सालों में क्या किया जिसे लेकर बड़े—बड़े वायदे किए गए थे। क्यों इन मलिन बस्तियों के लोगों के सर पर आज ही अनिश्चिता व बेघर होने की तलवार लटकी हुई है? सरकार क्यों देवस्थानम बोर्ड पर कोई फैसला नहीं ले पा रही है। जिस सख्त भू कानून को लाने की पैरवी वर्तमान में सरकार द्वारा की जा रही है उस पर सरकार ने बीते 4 साल में क्यों कुछ नहीं किया। राज्य का जो पर्यटन 4 साल से चौपट पड़ा है उस पर्यटन की सेहत सुधारने के लिए सरकार ने 4 साल में क्यों कुछ नहीं किया? राज्य में तमाम रोपवे बनाने और जो 13 जिलों में 13 टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने की बातें की गई थी उन पर अभी तक कोई काम क्यों नहीं किया गया। जिस चार धाम यात्रा को शुरू कराने को लेकर राज्य के लोग आंदोलन कर रहे हैं उसे लेकर सरकार ने क्यों गंभीरता नहीं दिखाई। क्या सरकार अब सौगातों की बरसात करके और जनसांख्यिकीय परिवर्तन जैसी बातों के जरिए राज्य में सांप्रदायिक माहौल खराब करने की जो बातें कर रही है वह सिर्फ मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास नहीं है। ठीक चुनावी साल है लेकिन अच्छा होता सरकार व सीएम सरकार की उपलब्धियों व जन सरोकारों से जुड़े मुद्दों की बात कर ले। सच यह है कि अगर भाजपा सरकार ने संवेदनशीलता से काम किया होता तो न उसे बार—बार मुख्यमंत्री बदलने की जरूरत पड़ती न सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने के खतरे का सहारा लेना पड़ता।

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