नरेन्द्रनगर। देवभूमि योजना देवभूमि योजना के अंतर्गत उघमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत धर्मानंद उनियाल राजकीय महाविघालय नरेंद्र नगर में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर ज्योति श्ौली ने उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर एवं आर्थिक संपन्नता पर व्याख्यान दिया।
अपने संबोधन में ज्योति ने कहा कि स्टार्टअप में तकनीकी समावेश, हरित पर्यावरण परिकल्पना के साथ ही सामाजिक मापदंडों का समावेश आवश्यक है। डिजिटल पेमेंट से स्टार्टअप उघमिता को बढ़ावा मिला जिसमें जोमैटो, स्विग्गी, रैपीडो, बला बला जैसे स्टार्टअप ग्राहकों की आवश्यकताओं को समझते हुए प्रगति कर रहे हैं।
प्रशिक्षण नोडल डॉक्टर संजय महर ने कहा कि रूरल मार्ट के प्रसार एवं विस्तार से युवा उघमियों को तराशा जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि होमस्टे योजना हथकरघा, हस्त शिल्प योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, स्टार्टअप नीति के अंतर्गत वित्तीय सहायता एवं उघमिता कौशल से युवाओं को जोड़ा जाना आवश्यक है।
गुजरात से आए हुए मास्टर ट्रेनर मेहुल समधिया ने गुजरात में उघमिता के क्षेत्र में किया जा रहे प्रयासों से छात्र—छात्राओं को संबोधित किया। स्टार्टअप के क्षेत्र में छात्र छात्रों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि व्यवसाय में लाभ हेतु नेटवर्किंग होना आवश्यक है। कार्यक्रम संरक्षक एवं प्राचार्य प्रोफेसर राजेश कुमार उभान ने छात्र—छात्राओं को मार्गदर्शन देते हुए कहा कि छोटे—छोटे प्रयासों से उघमिता के क्षेत्र में लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है। उघमिता शिक्षा रोजगार हेतु मंच प्रदान करता है जहां तात्कालिक निर्णय लेने आवश्यक हैं। क्षमता संवर्धन एवं आत्मविश्वास एवं से समन्वय उघमिता स्टार्टअप के लिए आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि त्वरित निर्णय तभी संभव है जब विचारों में स्पष्ट हो, यही उघमिता शिक्षा की मूल अवधारणा है। सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र पुंडीर ने छात्र—छात्राओं को उघमिता शिक्षा के प्रति रुचि लेने हेतु प्रेरित किया। इस अवसर पर डॉक्टर राजपाल, मेहुल, मनीष, अजय, शिशुपाल, डॉक्टर विक्रम भर्तृवाल मानसी, अनिल पुंडीर, तुषार के साथ ही अन्य छात्र—छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन नोडल प्रशिक्षण डॉक्टर संजय महर ने किया।