नहीं रहे जनप्रिय नेता हरबंस कपूर

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अंतिम दर्शन और श्रद्धांजलि के लिए उमड़ा जनसैलाब

देहरादून। भाजपा के वरिष्ठ नेता और कैंट क्षेत्र के विधायक हरबंस कपूर अब हमारे बीच नहीं रहे हैं, आज सुबह हृदयाघात से उनके निवास स्थान पर उनका निधन हो गया। जैसे ही उनके निधन की खबर लोगों को मिली तो उनके आवास पर अपने प्रिय नेता के दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
आज जब राजनीति अपने ऐसे संक्रमण काल से गुजर रही है एक जीत के लिए नेता तमाम तरह की तिकड़म बाजी में लगे दिखाई देते हैं और धन व बाहुबल का बोलबाला करते हैं वहीं अगर कोई नेता अपने पूरे राजनीतिक सफर में एक भी बार हार का मुंह न देखें तो यह उसकी लोकप्रियता की प्रकाष्ठा ही कही जा सकती है जो आसान नहीं है। 8 बार एमएलए (विधायक) का चुनाव लड़ना और एक बार भी चुनाव न हारना हरबंस कपूर जैसे किसी जनप्रिय नेता के लिए ही संभव है। हरबंस कपूर सिर्फ किसी दल या समुदाय व संप्रदाय विशेष के नेता नहीं थे। वह जन जन के नेता थे, सब उनके अपने थे और वह सबके अपने, यही कारण था कि वह लगातार आठ बार चुनाव जीते और एक बार विधानसभा अध्यक्ष भी रहे।

भाजपा से ताउम्र जुड़े रहने वाले हरबंस कपूर पर उनकी पार्टी का भी इतना भरोसा था कि जब 60 की उम्र पार कर चुके नेताओं को सक्रिय राजनीति से रिटायर कर उन्हें मार्गदर्शक की भूमिका में लाया जा रहा था तब भी 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें न सिर्फ टिकट दिया बल्कि वह चुनाव जीते भी। सच कहा जाए तो वह जीत की गारंटी थे। अपने क्षेत्र के लोगों के साथ उनकी निकटतम संबंध उनकी राजनीति का आधार थी, हर सुख दुख में वह सभी के साथ खड़े नजर आते थे। 7 जनवरी 1946 में जन्मे हरबंस कपूर अपनी सरलता, सहजता व शालीनता के लिए अपनी एक अलग पहचान थे।
उनके निधन की खबर मिलते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत व त्रिवेंद्र रावत तथा नेता विपक्ष प्रीतम सिंह तक तमाम पक्ष विपक्ष के नेता उनके आवास पर उन्हें श्रद्धांजलि देने व उनके अंतिम दर्शन करने पहुंचे। सभी की जुबान पर बस एक ही बात थी हमने एक उत्तराखंड का हितैषी नेता खो दिया। एक ऐसा नेता जिसकी कमी कभी पूरी नहीं की जा सकती।
उनका पार्थिव शरीर उनके आवास से दोपहर दो बजे भाजपा मुख्यालय जनता के अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया जहां भारी संख्या में लोगों ने उन्हें नम आंखों के साथ श्रद्वासुमन अर्पित किए। उनका अंतिम संस्कार आज शाम लख्खीबाग श्मशान घाट में किया गया। जहां तमाम राजनीतिक दलों के नेता कार्यकर्ताओं, पत्रकारों व अधिकारियों ने उन्हें अंतिम विदाई दी।

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