मुफ्त की सौगातों ने दिलाई जीत

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वर्तमान के चुनावी नतीजों को लेकर विपक्षी दलों के नेता हैरान और परेशान हैं। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि उनकी कड़ी मेहनत और तमाम प्रयासों के बीच उन्हें इतनी बड़ी हार का सामना क्यों करना पड़ा और भाजपा तथा आप की इतनी बड़ी एकतरफा जीत के पीछे क्या कारण रहे हैं। वह चाहे कांग्रेस हो या बसपा अथवा सपा और उनके सहयोगी अन्य दल। सभी के जेहन में यही सवाल है। इन तमाम विपक्षी दलों के नेताओं की चुनाव से पूर्व एक ही सोच थी कि कोरोना काल में इलाज के अभाव में मरते लोग और गंगा में तैरती लाशों,ं बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से परेशान युवा और आम आदमी तथा सड़कों से लेकर गांव तक घूमते अवारा पशु जिन से किसान परेशान हैं। आदि—आदि तमाम ऐसे मुद्दे जो जनता के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं उन मुद्दों को लेकर जनता भाजपा और उसकी सरकार के खिलाफ वोट करेगी उन्हें खुद कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। अगर थोड़ा बहुत कमी रहेगी तो वह उसे जातीय और क्षेत्रीयता की राजनीति से पूरा कर लेंगे। पूरे 5 साल तक यह विपक्षी दलों के नेता घर बैठकर सिर्फ उन मुद्दों में उलझे रहे जिनमें भाजपा ने इन्हें उलझायें रखा। अयोध्या और काशी की भव्यता और दिव्यता के कार्यक्रम इन नेताओं को धार्मिक और आस्था पर राजनीति में संदेश देते रहे और उन्हें बस यही दिखता रहा कि भाजपा तो सिर्फ अयोध्या, काशी, मथुरा पर राजनीति कर रही है। उसके साथ वह और क्या—क्या कर रही है? इस पर विपक्ष ने गौर ही नहीं किया। कोराना काल में 19 महीनों तक भाजपा ने लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया। गेहूं—चावल के गोदामों को खाली कर दिया गया। यूपी की बात छोड़ दो वहां कितना मुफ्त का राशन बांटा गया, उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में हर माह 3 लाख कुंतल गेहूं—चावल बांटा गया। 40 लाख लोगों तक पहुंचा यह मुफ्त का राशन वह भी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के कमल के फूल के चुनाव चिन्हों की थ्ौली के साथ। उज्जवला योजना के अंतर्गत दिये गये लाखों मुफ्त गैस कनेक्शन और किसानों को 6 हजार रूपये साल के सम्मान राशि। पीएम आवास योजना के तहत सस्ते घर, हर घर नल हर घर जल और शौचालय। इन तमाम केंद्रीय योजनाओं के जरिए घर—घर पहुंची भाजपा के यह काम किसी भी विपक्षी दल के नेताओं को चुनाव से पूर्व नहीं दिखे। भाजपा नेताओं और खासकर पीएम मोदी ने अपनी हर जन सभा में मतदाताओं को वह सब बताया व याद दिलाया गया। वह चाहे मुफ्त राशन हो जिसे यह कहकर प्रचारित किया गया है कि आपदा काल में उन्होंने किसी को भूखा नहीं रहने दिया या यह कह कर कि हमने इस महामारी से निपटने के लिए सबको टीका लगवाने का काम किया। अपनी उपलब्धियों का प्रस्तुतीकरण और नाकामियों पर कोरोना मारामारी से निपटने के लिए सबको मुफ्त टीका लगवाने का काम किया। अपनी उपलब्धियों का प्रस्तुतीकरण और नाकामियों पर कोरोना महामारी का आवरण जिस खूबसूरती से भाजपा ने डाला उसके सामने विपक्ष के तमाम मुद्दे हवा में उड़ गए। भाजपा नेता जनता को यह समझाने में पूरी तरह कामयाब रहे कि अगर वह सत्ता में होते तो जो राशन और पैसा हमने आप तक पहुंचाया वह सब दलाल और बिचौलिए खा जाते। भाजपा की इन मुफ्त की सौगातों का असर सबसे अधिक महिलाओं पर पड़ा क्योंकि वही घर चलाती हैं और यही भाजपा की जीत का आधार भी बना।

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