भाजपा और संघ ने स्वप्न में भी उस तरह के चुनावी नतीजो की कल्पना नहीं की होगी जैसे 18वीं लोकसभा चुनाव के नतीजे रहे। इन नतीजों को लेकर अब भाजपा नेता अपने—अपने हिसाब से आत्म चिंतन और मंथन कर जरूर रहे हैं लेकिन इसके साथ ही देश की राजनीति का जो परिवेश बदला है उसने भाजपा और संघ के अंदर एक ऐसा अंतरद्वंद भी पैदा कर दिया है जो अब उनके भविष्य के लिए बड़े सवाल खड़े करता दिख रहा है। उत्तर प्रदेश कार्य समिति की बैठक में सीएम योगी ने कहा कि अति आत्मविश्वास के कारण ऐसा हुआ। इन दिनों यूपी के सीएम योगी को बदले जाने की खबरें भी आम चर्चाओं में है। क्योंकि इस हार की असल पटकथा यूपी में मिली बड़ी हार के कारण ही लिखी गई है। यूपी के कई विधायक और मंत्री अभी से 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा की खराब स्थिति पर खुलकर बोल रहे हैं। चुनाव में हारने वाले सांसद केंद्रीय नेतृत्व को लिखित शिकायत देकर सीएम योगी को अपनी हार के लिए जिम्मेवार बता रहे हैं। भाजपा नेताओं के अंदर अब जो आपसी असहमति खुलकर सामने आ रही है वह भाजपा के भविष्य के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह कहकर कि भाजपा को अब संघ के सहयोग की कोई जरूरत नहीं है संघ को अपने अस्तित्व तथा भाजपा के साथ अपने रिश्तों की पुनः समीक्षा पर विवश कर दिया है। मोहन भागवत भाजपा नेताओं को उनके अहंकार पर कई बार जिस तरह की नसीहते दे चुके हैं। वह सब कुछ यह बताने के लिए काफी है कि 4 जून को चुनावी नतीजों के बाद किसी एक स्तर और स्थान पर नहीं तमाम जगह हड़कंप की स्थिति पैदा हो गई है। भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मन को समझाने के लिए संसद में खड़े होकर यह कह रहे हो कि समूचे विपक्ष के पास उतनी भी सीटें नहीं आई है जितनी अकेली भाजपा के पास है। लेकिन वह जिस सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं वह कितनी कमजोर जमीन पर खड़ी है यह सरकार अपने पूरे कार्यकाल तक टिकी भी रहेगी इसका भरोसा किसी को भी नहीं है। भाजपा को इन चुनावी नतीजोें ने आसमान से जमीन पर पटक दिया है। भाजपा जो अपने आप को अपराजेय मान बैठी थी तथा विपक्ष को तहस—नहस कर चुकी थी और देश के मीडिया पर उसका कब्जा हो चुका था उस स्थिति में कोई उसका कुछ बिगाड़ सकेगा उसे इसकी दूर—दूर तक कोई संभावना दिखाई नहीं दे रही थी। यही कारण था कि अपने बुलंद हौसलों के साथ आगे बढ़ती भाजपा या पीएम मोदी ने इस बात की खुली मुनादी कर दी थी कि अभी अगले 50 साल अब उसी के हैं। लेकिन 2024 के चुनाव परिणामों ने पूरी तस्वीर को ही बदल कर रख दिया। अब सदन से लेकर सड़कों तक विपक्ष उसके ऊपर जिस तरह हमलावर है और सत्ता पक्ष विपक्ष के सवालों का कोई माकूल जवाब तक नहीं दे पा रहा है, स्थिति को अत्यंत ही गंभीर बना दिया गया है। आम आदमी से लेकर वह मीडिया तक जो मोदी—मोदी बोलते नहीं थकता था अब राहुल गांधी और इंडिया की ओर झुकता जा रहा है। जो देश की राजनीति में बड़े बदलाव की मुंनादी कर रहा है। यह बदलाव कब होगा, उसके लिए अभी कुछ समय का इंतजार शेष बचा है।