मजबूत सरकार या मजबूर सरकार

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देश में एक बार फिर मोदी सरकार बनने जा रही है। तीसरी बार मोदी के नेतृत्व में बनने वाली यह सरकार पूर्व दोनों उन सरकारों से अलग तरह की सरकार होगी क्योंकि यह सरकार मोदी के नेतृत्व में बन जरूर रही है मगर मोदी की सरकार नहीं होगी यह एनडीए की सरकार होगी। यही कारण है कि अब आपको प्रधानमंत्री यह कहते नहीं दिख रहे हैं कि यह मोदी की सरकार ऐसा करेगी वैसा करेगी? अब भी यह कहने का अभ्यास करते दिख रहे हैं कि एनडीए की सरकार बन रहा है। उन्हें पता चल चुका है कि मोदी की गारंटी का अब दम निकल चुका है जो सरकार बन रही है वह एनडीए के उन सहयोगियों की बैसाखियों के सहारे ही बन और चल सकती है जिन्हें वह बीते समय में पानी पी—पीकर कोसते रहे हैं और उनकी विश्वसनीयता पर भी उन्हें तो क्या किसी को भी भरोसा नहीं हो सकता है। इसलिए यह सरकार कितने दिन अस्तित्व में रह सकेगी इसकी भी कोई गारंटी अब मोदी नहीं दे सकते हैं। चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार के मोदी व एनडीए के साथ कैसे रिश्ते रहे हैं यह भी किसी से छुपा नहीं है। आज वह मोदी के बगल में बैठे और मोदी उनकी तारीफ में जो कसीदेकारी कर रहे हैं तो इस अवसरवादी राजनीति के सच को सभी जान समझ रहे हैं। इस चुनाव में अगर मोदी की 400 पार की गारंटी पूरी हो जाती तो शायद यह तस्वीर देशवासियों को कभी देखने को नहीं मिलती। 2014 में जब भाजपा को 282 सीटें और 2019 में जब भाजपा को 303 सीटें मिली थी अब वह तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है। अब भाजपा के पास महज 241 सीटें हैं जो बहुमत के आंकड़े से मीलो दूर है और उनकी सरकार का अस्तित्व नायडू और नीतीश की मेहरबानी पर टिका है ऐसे में यह एनडीए सरकार व पीएम मोदी किसी फैसले में मनमानी कर पाएंगे इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। रही बात इंडिया गठबंधन की उसने 3.30 घंटे की बैठक में वैसी सरकार बनाने की कोशिश करने जैसी मोदी की सरकार बनने जा रही है स्पष्ट रूप से किनारा करने का जो फैसला किया है वह एक सटीक फैसला है। जनता ने मोदी व शाह की सरकार के खिलाफ जो फैसला दिया है वह मोदी व भाजपा की नैतिक हार है मगर मोदी नेहरू की बराबरी पर खड़े होने के लिए सरकार बनाने को आतुर है तो उन्हें रोकने के प्रयास नहीं करने चाहिए और यही कांग्रेस व इंडिया के नेताओं का फैसला भी है जो हर दृष्टिकोण से न्याय संगत है। हां अगर भविष्य में ऐसी कोई स्थिति पैदा होती है कि स्वैच्छिक रूप से सरकार से असहमत होकर कुछ दल और नेता इंडिया के साथ आते हैं और एनडीए सरकार बहुमत गवाती है तब इंडिया बिना शर्त साथ आने वालो के साथ सत्ता संभालने के लिए तैयार रहना चाहिए इंडिया अगर बहुमत से कोसों दूर है सशर्त किसी के भी साथ मिलकर सत्ता में आने का प्रयास किया जाता है तो यह उन मतदाताओं के साथ धोखा होगा जिन्होंने इंडिया को 240 और कांग्रेस को 100 के आसपास पहुंचाया है। अभी मोदी ने अपने समर्थन में सभी सांसदों से पत्र पर साइन करा लिए हैं माना जा रहा है सात को वह सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे और 8 जून को फिर सत्ता संभाल लेंगे मगर यह सरकार मजबूत नहीं एक मजबूर सरकार होगी।

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