सरकार की हवाई उड़ान

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उत्तराखंड सरकार द्वारा कल 89.230 हजार करोड़ का जो बजट लाया गया है उसके बारे में सत्ता पक्ष का कहना है कि वह एक विकासोन्मुखी बजट है और यह बजट राज्य को देश का सर्वाेत्तम राज्य बनने की दिशा में ले जाने में सहायक सिद्ध होगा। जबकि विपक्ष द्वारा इस बजट को हवा—हवाई बजट बताया जा रहा है। विपक्ष का नजरिया है कि इस बजट को वोट पर नजर रखकर बनाया गया है। आरोप—प्रत्यारोपो के बीच एक बात साफ है कि सरकार द्वारा राज्य की कनेक्टिविटी को बढ़ाने के जरूर बड़े—बड़े दावे किए गए हैं। राज्य के सभी जिलों को हवाई सेवाओं से जोड़ने की बात की गई है। सरकार द्वारा हवाई सेवाओं के विकास और विस्तारीकरण के लिए 144 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है। सवाल यह है कि सालों पहले पिथौरागढ़ से हिंडन एयरपोर्ट के लिए जो हवाई सेवा शुरू की गई थी वह क्या अभी तक सुचारू रूप से संचालित हो सकी है? सरकार अभी 30 जनवरी को देहरादून से पिथौरागढ़ व हल्द्वानी से मुनस्यारी पिथौरागढ़ और चंपावत के लिए हवाई सेवा शुरू कर चुकी है। अब सरकार का दावा है कि वह राज्य के बाकी सभी जिलों में भी हवाई सेवा शुरू करने जा रही है। लेकिन क्या 144 करोड रुपए में वह हेली पट्टियों का निर्माण और विस्तारीकरण की अधूरी योजनाओं को भी पूरा कर सकेगी। सरकार का दावा है कि सूबे की सभी नई और पुरानी सड़कों को चमाचम बनाएगी इसके लिए सरकार ने बजट में 13 हजार 780 लाख रुपए की व्यवस्था की गई है अभी मानसून काल में राज्य में एक दर्जन से अधिक छोटे—बड़े पुल क्षतिग्रस्त हो गए इसके पुनर्निर्माण व मरम्मत का काम भी इसी बजट से कराया जाना है क्या यह इतनी कम रकम में संभव है? यही नहीं सरकार द्वारा सड़कों को डबल लेन बनाने का काम भी इसी बजट से करने की बात कही गई है। यह ठीक है कि बीते एक दशक में कनेक्टिविटी के क्षेत्र में काफी कुछ काम हुआ है लेकिन इसमें राज्य सरकार नहीं केंद्र सरकार की अधिक भूमिका रही है। अपने इस बजट में सरकार द्वारा खेल, शिक्षा और युवा कल्याण के साथ—साथ ऊर्जा और पर्यटन के बजट में मामूली वृद्धि की गई है जो ना काफी है। परिवहन का बजट भी बढ़ा दिया गया है लेकिन चिकित्सा एवं परिवार कल्याण के बजट में 100 करोड़ की जो कटौती की गई है क्या सरकार यह मानं बैठी है कि लोगों को राज्य में जहां भी जो भी सुविधा मिल रही है वही पर्याप्त है। कृषि के बजट में भी करोड़ों से अधिक की कटौती कर दी गई है। तथा उघान क्षेत्र का भी बजट घटा दिया गया है। जो कृषि और बागवानी क्षेत्र को प्रभावित करने और खेती किसानी करने वालों को हतोत्साहित करने वाला है इस बजट की सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि बजटीय घाटे का कोई अनुमान पेश नहीं किया गया है जबकि सिर्फ एक सरप्लस बजट को सामने रखा गया है। जो इस बात को ही दर्शाता है कि सरकार ने इस बजट में सिर्फ आंकड़ों की बाजीगिरी दिखाने का प्रयास ही किया है। युवाओं, महिलाओं और किसानों के लिए ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं देता है जो उनके उज्जवल भविष्य की संभावनाओं को दर्शाता हो। पैसा जेब में नहीं होगा तो लोग हवाई यात्रा तो क्या टैक्सी मक्सी से भी यात्रा कैसे कर सकेंगे यह विचारणीय सवाल है।

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