नेता विपक्ष राहुल गांधी लंबे समय से आरएसएस (संघ) को अपने निशाने पर लिए हुए हैं। खास बात यह है कि संघ पर वह ठीक उसी अंदाज में हमलावर दिखते रहे हैं जैसे भाजपा पर। उनकी इस आक्रामकता को लेकर कुछ लोग भले ही यह सोचते हो कि अकेले राहुल गांधी भाजपा और संघ जैसी दो ताकतों से जिस तरह से दो—दो हाथ कर रहे हैं उसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं लेकिन राहुल गांधी किसी भी बात की परवाह किए बिना अपने रुख पर अड़े हुए हैं। वत्तQ की बात है कि बीते दिनों केरल के एक आईटी प्रोफेशनल आनंदू ने आत्महत्या करने से पूर्व सोशल मीडिया एक पर जो पोस्ट लिखा गया जिसमें उन्होंने आरएसएस की शाखाओंं में होने वाले यौन शोषण का विवरण लिखते हुए गंभीर सवाल उठाए गए हैं उसे न सिर्फ संघ की चूल्हे हिल गई है बल्कि देश के सियासी हल्को में भूकंप आ गया है। भाजपा के नेता भी इस घटना के प्रकाश में आने से हैरान परेशान है। खास बात यह है कि यह खुलासा एक ऐसे वत्तQ में हुआ है जब पीएम मोदी द्वारा लाल किले के प्राचीर से पहली बार संघ को देश का सबसे बड़ा और पुराना एनजीओ कहकर उनका महिमा मंडन किया जा रहा था तथा उनकी शताब्दी वर्ष पर सिक्का और डाक टिकट जारी कर उसके कार्यों की सराहना का काम किया जा रहा है। राष्ट्र भत्तQों और समाज सेवकों का सबसे प्रभावी यह गैर राजनीतिक कहे जाने वाला संगठन आनंदू की आत्महत्या से पूरी तरह से बेनकाब ही नहीं हो चुका है बल्कि अब यह कहानी राजनीतिक रूप से भी इतनी आगे बढ़ चुकी है कि इसके दूरगामी परिणाम आने लगे हैं। केरल ने आरएसएस की शाखाओं पर प्रतिबंध लगा दिए जाने के बाद अब कर्नाटक सरकार द्वारा भी आरएसएस की गतिविधियों पर बैन लगा दिया गया है। खास बात यह है कि अब यह केरल और तमिलनाडु की आग महाराष्ट्र तक भी पहुंच गई है। संजय राउत ने अभी इस पर जो बयान दिया है उससे हंगामा मचा हुआ है। क्योंकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी नागपुर से आते हैं जहां संघ का मुख्यालय है इसलिए वह भी भला कैसे चुप बैठ सकते थे। खैर अब यह एक ऐसा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है कि विपक्ष के नेताओं ने यहां तक कहना शुरू कर दिया है कि भाजपा नेताओं से बेटियों को बचाओ और स्वयं सेवकों से बेटों की रक्षा करो। बीते समय में महिलाओं के यौन शोषण के जो तमाम मामले सामने आए हैं उनमें भाजपा नेताओं की संलिप्ता के जो खुलासे हुए हैं वह भी कम चौकाने वाले नहीं है। अब संघ की शाखाओंं में बाल यौन शोषण का यह खुलासा हुआ है वह अति गंभीर है। जिस तरह के आरोप आनंदू ने अपने सुसाइड नोट में लगाए हैं वह दिल दहला देने वाले हैं। समाज किसी भी सूरत में इस तरह की सड़ांध को भला कैसे बर्दाश्त कर सकता है। रही बात विपक्ष की तो अब तक विपक्ष के पास ऐसा कोई सबूत नहीं थे जिसके कारण बातें दबी जुबान में होती थी लेकिन अब सब कुछ प्रमाणोंं के साथ है। इसलिए खुलेआम सब कुछ कहा जा रहा है। लेकिन यह अत्यंत थी घृणित और चिंतनीय है।