कहां खो गया हमारी राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव? कहां गुम हो गया हमारी समानता का संवैधानिक अधिकार तथा मानवीयता की सभ्यता और संस्कृति जिसका ढोल हम सदियों से विश्व भर में पीटते आए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार हम इन दिनों आजादी के अमृत काल में जी रहे हैं। तथा यह नया भारत है जो अब किसी से डरता नहीं है। एक भारत और श्रेष्ठ भारत तथा आत्मनिर्भर भारत की यह कैसी तस्वीर है जिसे देखकर वर्तमान समय में हम भारतवासी इतनी डरे सहमें हुए हैं कि स्वयं को कहीं भी सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं। अभी बीते दिनों उत्तर प्रदेश के रायबरेली से एक ऐसी तस्वीर सामने आई जिसे देखकर किसी का भी मन विचलित हो जाए। एक दलित युवक को चोरी के आरोप में पकड़ कर बेरहमी से मार—मार कर मौत के घाट उतार दिया जाता है। उसको पीटने वाले उसके गुप्तांगों पर लाठी डंडे बरसा रहे हैं मगर पीटने वालों पर उसकी चीखों का कोई असर नहीं होता। स्वयं को वह बाबा वाले बता कर ठहाका लगते हैं। मध्य प्रदेश में एक दलित युवक एक शराब माफिया की गिरफ्तारी पर कुछ कमेंट कर देता है तो ब्राह्मण समाज का इसे अपमान बताकर इस युवक को पूरे समाज के सामने माफिया के पैर धुलवाकर उस पानी को पिलाया जाता है तथा ब्राह्मण का सदैव सम्मान करने व गलती के लिए माफी मंगवाई जाती है। हरियाणा में एक दलित अधिकारी पूरन द्वारा जातीय आधार पर प्रताड़ित किए जाने पर आत्महत्या कर ली जाती है तथा सुसाइड नोट में हरियाणा के डीजीपी से लेकर अन्य 14 अधिकारियों के नाम हैं, की गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई को लेकर एक सप्ताह से उनकी पत्नी जो खुद भी आईएएस अधिकारी हैं शव का संस्कार नहीं होने दिया गया है। हरियाणा से लेकर दिल्ली तक इसे लेकर हंगामा मचा हुआ है। जिस अधिकारी संदीप को इसकी जांच सौंपी गई थी उसके द्वारा भी आत्महत्या कर लेने के कारण यह मामला और भी पेचीदा हो गया है। अभी हमने देखा था जब सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान चीफ जस्टिस गवई पर एक वकील द्वारा जूता फेंकने की कोशिश की गई थी। इन तमाम उदाहरणों से यह साफ समझा जा सकता है कि महात्मा गांधी और डा. अंबेडकर के इस देश में आखिर हो क्या रहा है? तथा यह देश किस दिशा में जा रहा है केरल के एक आईटी फ्रेशनल ने आत्महत्या कर ली और सुसाइड नोट में लिखा कि संघ के स्वयंसेवकों द्वारा 4 साल की उम्र से उसका किस तरह यौन शोषण किया गया। संघ को अभी—अभी प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व का सबसे पुराना एनजीओ बताया तथा डाक व सिक्का भी जारी किया गया। संघ की शाखाओं में वही सब होता है जो मृतक युवक द्वारा अपने सुसाइड नोट में लिखा गया है। हमारे नेता तो 50 साल से वोट के लिए हिंदू—मुसलमानों को लड़ा रहे हैं। मंदिर—मस्जिद का खूब खेल चल रहा है तथा ट्टतिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’ जैसे नारे गड़कर समाज को तोडते रहे हैं, लेकिन वर्तमान की तस्वीर सच में बहुत डरावनी है और यह सोचने पर विवश करती है कि आखिर यह देश और समाज जा किधर रहा है?