आम बजट में आम आदमी कहीं नहीं

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बीते कल केंद्रीय वित्त मंत्री सीता रमण ने मोदी सरकार के कार्यकाल का आठवां और अपना चौथा वार्षिक बजट पेश किया। वित्त मंत्री इस बात पर खुशी जताते दिखी की कोरोना काल की विषम परिस्थितियों के बीच भी सरकार को रिकॉर्ड टैक्स मिल रहा है उन्होंने जनवरी माह में जीएसटी से रिकॉर्ड राजस्व प्राप्ति 1लाख 40 हजार करोड़ धन संग्रहित होने की बात कही। सवाल यह है कि क्या सरकार की आय बढ़ना या टैक्स वसूली का रिकॉर्ड ही विकास का पैमाना है, कोरोना काल के दो सालों में कितने लोगों का रोजगार गया कितने छोटे औघोगिक संस्थानों पर ताले पड़ गए कितने लोग जो गरीबी की रेखा से ऊपर आने का प्रयास कर रहे थे गरीबी की रेखा से और नीचे चले गए। देश में बढ़ती महंगाई का लोगो के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? क्या इन सब बातों का देश की सरकार और अर्थव्यवस्था का कोई सरोकार नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी और उनके सहयोगी किस आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं? देश की वह 60 फीसदी आबादी जो गरीबी में जीवन जीने पर विवश है क्या उसके लिए आजादी के अमृत काल और आत्मनिर्भर भारत की बात जले पर नमक छिड़कने वाला नहीं है। देश बढ़ती बेरोजगारी पर सरकार क्यों आंखें बंद किए हुए हैं। सीतारमण ने 60 लाख स्वरोजगार सृजन की बात कही है क्या उनकी यह बात मोदी की चार करोड़ युवाओं को हर साल रोजगार देने जैसी नहीं है। मोदी सरकार ने 2020 तक सबको पक्की छत वाला घर देने की बात कही गई थी अब 2022 में सरकार द्वारा 80 लाख सस्ते घर बनाने की बात कही जा रही है। पीएम आवास योजना के तहत यह आवास अब तक क्यों नहीं बन सके। सीतारमण इस बजट को 25 साल का विजन डॉक्यूमेंट बता रही है। तो क्या यह 25 साल बाद की देश की तस्वीर है। सरकार ने अपने इस बजट में जिस डिजिटल इंडिया का खाका खींचा गया डिजिटल करेंसी लाने, डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाने, 5जी की लांचिंग करने, किसानों को सुविधा देने क्या यह सब सतही बातें नहीं है। देश का गरीब, किसान, मजदूर आज भी जिनकी क्षमता ऐसी नहीं है जो अपने बच्चों को एक स्मार्टफोन खरीद कर दे सके, सरकार उन्हें ऑनलाइन शिक्षा देने की बात कर रही है। इस बजट में खाघ और खाद से लेकर मनरेगा तक की सब्सिडी और बजट में कटौती कर दी गई। जिसका सीधा प्रभाव गरीब और आम आदमी की जिंदगी पर पड़ता दिखेगा। भले ही सीतारमण का कहना है कि उन्होंने इसमें कोई नया कर नहीं लगाया है लेकिन आम आदमी को राहत देने वाला भी कोई फैसला नहीं किया गया है। सरकार का कहना है कि बजट का 35 फीसदी सरकार इन्फ्रास्टे्रक्चर विकास पर खर्च करेगी जिससे रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। इस बजट में कृषि क्षेत्र और शिक्षा तथा स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए भी सरकार ने कोई ठोस घोषणाएं नहीं की है। सरकार कह रही है कि क्रिप्टोकरंसी मान्य नहीं है अगर मान्य नहीं है तो सरकार क्रिप्टोकरंसी से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत टैक्स वसूलने या इसके जवाब में डिजिटल करेंसी लांच करने की बात क्यों कर रही है। इस बजट में सरकार की नजर सिर्फ और सिर्फ ऊपर की ओर है जमीनी हकीकत की तरफ नहीं। सुनहरे भविष्य के इस सपने में आम आदमी कहीं नजर नहीं आता है न उसकी समस्याओं के समाधान का प्रयास सरकार करती दिखती है।

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