रैलियों पर रोक जरूरी

0
423

कोरोना काल में हमारी सरकारों और आम जनता ने कई नए अनुभव और प्रयोग किए हैं। जान है तो जहान है से लेकर जान भी और जहान भी जैसे कई दौर से गुजरते हुए देशवासियों ने ताली थाली भी बजाई और पूर्ण लॉकडाउन के दौरान कई महीनों तक घरों में कैद भी रहे। अस्पतालों के बाहर अपनों को बिना इलाज के तड़प तड़प कर मरते हुए भी देखा। रेल, बसों और हवाई जहाजों के पहियों को थमते हुए भी देखा और शमशानों में अंतिम संस्कार के लिए लगी लंबी—लंबी लाइनों को भी देखा। जब समूचा देश थम गया था तब भी अगर कुछ गतिमान रहा था तो वह थी राजनीतिक गतिविधियां। उस दौर में भी जब आम आदमी के जीवन पर तमाम तरह की पाबंदियां लागू थी, जिन राज्यों में चुनाव थे वहां देश के तमाम दल और नेता बड़ी—बड़ी रैलियां और जलसे जुलूस करने में व्यस्त थे। अब एक बार फिर कोरोना के नए वैरीयंट ओमीक्रोन को लेकर देश और दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। विश्व के कई देशों में ओमीक्रोन ने कहर मचा रखा है ब्रिटेन जैसे कई देशों में फिर से लाकडाउन लगा दिया गया है। वहीं भारत में अब 17 राज्यों में ओमीक्रोन के ढाई सौ से अधिक संक्रमित मिल चुके हैं तथा कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है। पांच राज्यों में अगले दिनों में होने वाली विधानसभा चुनावों को लेकर रैलियों और जनसभाओं का दौर शुरू हो चुका है। दिल्ली, मध्य भारत और पंजाब तथा हरियाणा जैसे राज्यों में तमाम पाबंदियां लगाई जा चुकी है क्या ऐसे दौर में चुनावी रैलियों में जिनमें लाखों लोगों की भीड़ उमड़ रही है, से कोरोना का कोई खतरा नहीं है? बीते कल एक खबर आई कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी और बेटी कोरोना पॉजिटिव है। इस खबर के बाद अखिलेश यादव ने आगामी तीन दिन तक अपनी सभी रैलियां रद्द कर दी है। इन रैलियों को अब उनके द्वारा डिजिटल संबोधित किया जाएगा। चुनाव भले ही 5 राज्यों में सही लेकिन इन चुनावों में सभी प्रमुख दल व्यस्त हैं। पीएम से लेकर इन राज्यों के सीएम तक हर रोज खूब भीड़ इकट्ठी कर रहे हैं बीते कल एक अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में भी एक जनहित याचिका दायर कर चुनावी रैलियों पर रोक लगाने की मांग की है। क्योंकि इससे फिर कोरोना वायरस का खतरा बना हुआ है। सवाल यह है कि जनहित के बड़े—बड़े दावे करने वाले देश के नेताओं और राजनीतिक दलों को देश की जनता की जान की चिंता क्यों नहीं है? जान है तो जहान है कि बात करने वाले यह नेता क्यों आम आदमी की जान से और जहान से खिलवाड़ कर रहे हैं। देखना यह है कि जब ओमीक्रोन का खतरा मुंह बांए खड़ा है तब देश की अदालत इस बारे में क्या फैसला लेती है? देश और जनहित मैं फिजिकली इन रैलियों में जमा होने वाली भीड़ को किसी भी कीमत पर रोके जाने की जरूरत है अन्यथा हमें फिर दूसरी लहर जैसे संताप को झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here