मोदी को चुना गया संसदीय दल का नेता

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  • सरकार बनाने का दावा, एनडीए सबसे कामयाब एलांइस
  • अगले 10 साल एनडीए सरकार रहने की दी गारंटी

नई दिल्ली। एनडीए संसदीय दल की बैठक में आज नरेंद्र मोदी को संसदीय दल का नेता चुनकर उनके तीसरी बार देश का प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने पर अपनी सहमति की मोहर लगा दी गई है। उनके नाम का प्रस्ताव पूर्व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा किया गया तथा अनुमोदन अमित शाह और नितिन गडकरी तथा चंद्रबाबू नायडू ने किया।
नरेंद्र मोदी संभवतः आज देर शाम तक राष्ट्रपति भवन जाकर अपने समर्थक व सहयोगी दलों के सांसदों की सूची और अपने कैबिनेट मंत्रियों की सूची राष्ट्रपति को सौंप सकते हैं। अपने नाम के प्रस्ताव और अनुमोदन के बाद उन्होंने सांसदों को भी संबोधित करते हुए कहा कि यह भाजपा सरकार के गुड गवर्नेंस का ही नतीजा है कि जनता ने एक बार फिर उन पर अपनी भरोसा जताया है।
उत्साह से लबरेज नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हम अगले 10 सालों में गुड गवर्नेंस के जरिए देश के लोगों का जीवन बदल देंगे और विकास के कार्यों से सरकार का दखल खत्म कर देंगे। नरेंद्र मोदी के इस अगले 10 साल की बात की बात पर पहले तो हाल में बैठे सांसद सन्न रह गए लेकिन जब उन्होंने दोबारा इसे दोहराया तो फिर जमकर तालियां भी बजाई गई। जब उनकी समझ में आया कि वह भूलवश ऐसा नहीं कह रहे हैं यह उनका आत्मविश्वास है कि अगले 10 साल तक भी देश से एनडीए की सरकार को कोई हिला नहीं सकता है और एनडीए ही सत्ता में रहेगी।
उन्होंने कहा कि अपने 30 साल के सफर में एनडीए ने तीन सफल कार्यकाल दिए हैं जो किसी भी एलाइंस ने नहीं दिए हैं। उन्होंने एनडीए एलाइंस को ऑर्गेनिक एलाइंस बताते हुए कहा कि हमने अपने बीते 10 साल के कार्यकाल में गुड गवर्नेंस और राष्ट्रीयता की मूल भावना के विकास के साथ आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले देश की जनता जानती ही नहीं थी कि सरकार क्या होती है? क्यों होती है? क्या करती है? किसके लिए करती है? हमने सबका साथ सबका विकास के साथ सबका प्रयास की अवधारणा को भी इसमें जोड़ा।
इस संबोधन में अपने गठबंधन की कमजोरी का एहसास भी दिखा जब प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के विकास के लिए संसद में कोई किसी दल का नहीं होता सब बराबर होते हैं। एलाइंस के अंदर भी अटूटता जरूरी है। आपसी विश्वास जरूरी है ऐसा विश्वास की उसके अंदर हवा भी प्रवेश न कर सके। यह हम सभी का दायित्व है।

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