सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 2019 से अब तक के चुनावी बॉन्ड की पूरी जानकारी देने का आदेश दिया

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड योजना को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए इसकी वैधता को रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने बैंकों को चुनावी बॉन्ड की बिक्री बंद करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक को निर्देश दिया कि 5 साल पहले इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम शुरू होने के बाद से उसने किस पार्टी को कितने चुनावी बॉन्ड जारी किए हैं, इसकी जानकारी मुहैया कराए। एसबीआई को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को प्राप्त चंदे का विवरण तीन सप्ताह के अंदर इलेक्शन कमीशन को देना होगा। शीर्ष अदालत ने एसबीआई को यह भी निर्देश दिया है कि वह​ चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी अपनी वेबसाइट पर भी पब्लिश करे। बता दें कि सीजेआई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने पिछले साल 2 नवंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने की पहल के तहत, केंद्र सरकार ने 2 जनवरी, 2018 को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की घोषणा की थी। चुनावी बॉन्ड किसी भी व्यक्ति जो भारतीय नागरिक है या व्यवसाय, संघ या निगम जिसका गठन या स्थापना भारत में हुई है, द्वारा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अधिकृत शाखाओं से खरीदा जा सकता था। इलेक्टोरल बॉन्ड 1000 रुपये, 10000 रुपये, 1 लाख रुपये, 10 लाख, और 1 करोड़ रुपये के गुणकों में बेचे जाते थे। किसी राजनीतिक दल को दान देने के लिए उन्हें केवाईसी-कम्प्लायंट अकाउंट के माध्यम से खरीदा जा सकता था। राजनीतिक दलों को इन्हें जारी होने से 15 दिन के भीतर इनकैश कराना होता था। इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने वाले डोनर का नाम और अन्य जानकारी दर्ज नहीं की जाती थी और इस प्रकार दानकर्ता गोपनीय हो जाता था। किसी व्यक्ति या कंपनी की तरफ से खरीदे जाने वाले चुनावी बॉन्ड की संख्या पर कोई लिमिट तय नहीं थी।

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