- कांग्रेस ने चर्चा के लिए अधिक समय मांगा
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र का दूसरा दिन हंगामेदार रहने की संभावना है कल सत्ता पक्ष द्वारा यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को सदन के पटल पर रखा जाएगा। इस बिल के अंदर सबके लिए एक समान कानून लागू करने की जो बात कही जा रही है उसे लेकर किन—किन मुद्दों पर क्या—क्या बदलाव किए गए हैं इसे लेकर अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है लेकिन अभी से इस बिल को लेकर कई तरह की आशंकाएं जताई जा रही है। जिनके आधार पर पक्ष विपक्ष के बीच तकरार अभी से शुरू हो गई है। जहां कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बिल कल टेबल होने दीजिए इसका मसौदा जब सामने आएगा उसके अध्ययन के बाद ही फैसला लेंगे की क्या करना है वहीं भाजपा का कहना है कि इस बिल में कांग्रेसियों को ऐसा कुछ मिलने वाला नहीं जिसका वह विरोध कर सके। वहीं कुछ भाजपा नेता कह रहे हैं कि जब कांग्रेसियों से इस पर सुझाव मांगे गये थे तब तो वह किसी कार्यक्रम में आये नहीं ऐसे में अब उन्हें विरोध का भी कोई अधिकार नहीं है।
नेता विपक्ष यशपाल आर्य का कहना है कि इस महत्वपूर्ण बिल पर चर्चा के लिए प्राप्त समय दिया जाना चाहिए उन्होंने सरकार से इसके लिए सत्र की अवधि बढ़ाने और बिल की समीक्षा के लिए कुछ समय देने की मांग की है। उनका कहना है कि विशेष सत्र की आड़ में प्रश्न काल न रखा जाना उचित नहीं है। इस बिल में सरकार द्वारा चर्चाओं के अनुसार बहु विवाह पर रोक लगाने तथा शादी की उम्र, लिव इन रिलेशनशिप को उजागर करने तथा शादी का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन, गोद लेने और संपत्तियों में कानूनी अधिकार, संबंध विच्छेद तथा तलाक, हलाला, बच्चों की संख्या निर्धारण से लेकर अनेक तमाम मुद्दों पर नई कानूनी व्यवस्था की पहल की गई है। हालांकि कहा यही जा रहा है कि बिल आम आदमी के मौलिक अधिकारों को संरक्षण प्रदान करेगा तथा देश की महिलाओं को बराबरी का अधिकार देने की एक सार्थक पहल है। लेकिन इसके साथ—साथ यह भी कहा जा रहा है कि सूत्रों से जो जानकारियां आम हुई है उससे ऐसा लगता है कि यह बिल एक समुदाय विशेष पर प्रतिबंध लगाने के लिए लाया जा रहा है।
बिल में क्या है इससे कल पर्दा उठने जा रहा है और अगर यह बिल विधानसभा से पारित हो जाता है जिसमें सरकार को कोई दिक्कत नहीं दिख रही है तो उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां यूसीसी कानून लागू हो जाएगा। लेकिन इसे लेकर कल विधानसभा सत्र का दिन तो हंगामे दार रहने की संभावना है ही इसके साथ—साथ प्रदेश और देशभर की निगाहें अब इस यूसीसी बिल पर टिकी हुई है। इस यूसीसी बिल को लेकर न सिर्फ विपक्षी दल कांग्रेस में अपितु मुस्लिम समुदाय में भी बेचैनी देखी जा रही है। मौलाना और मौलवी साफ—साफ कह रहे हैं कि अगर शरियत व कुरान के खिलाफ उन पर कोई कानून थोपा गया तो वह इसका विरोध करेंगे।