मोदी की नसीहत और अपील

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कल अयोध्या राम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर अगर अपने पार्टी नेताओं व मंत्रियों को यह नसीहत देने की जरूरत पड़ी कि वह उग्रता और आक्रोश न दिखाएं, मर्यादाओं का ध्यान रखें तथा उनके क्षेत्र में कोई गड़बड़ी न हो इसे लेकर सतर्क रहें तो उनकी यह नसीहत और अपील बेवजह नहीं है। राम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा की आड़ में देश में सांप्रदायिक उन्माद का एक ऐसा वातावरण तैयार हो चुका है जिसे लेकर वह इस बात को महसूस कर रहे हैं कि जरा सी चूक बड़ी गड़बड़ी का बड़ा कारण बन सकती है। भाजपा स्वयं को किसी गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए ऐसा कदाचित भी नहीं चाहेगी। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरे देश में जिस तरह रामधुन और राम नाम की गूंज सुनाई दे रही है उससे यह सुनिश्चित हो चुका है कि पूरा देश राम रंग में हो चुका है उसे लेकर विपक्षी दलों में बेचैनी स्वाभाविक है। भाजपा इस मुद्दे को लेकर जैसा वातावरण चुनाव से पूर्व बनाना चाहती थी वह तैयार हो चुका है। अब यह माहौल किसी भी सूरत में बिगड़ना नहीं चाहिए और अगर बिगड़ेगा तो इसके लिए विपक्ष ही जिम्मेदार ठहराया जाए, प्रधानमंत्री इसलिए अपने मंत्रियों को यह नसीहत दे रहे हैं कि वह आस्था दिखाएं उग्रता और आक्रोश नहीं। वह यह भी महसूस कर रहे हैं कि भाजपा के नेताओं द्वारा भी अति उत्साह में तमाम तरह की बयानबाजियां की जा रही है उन्हें इसलिए अपने नेताओं को भी यह समझाने की जरूरत पड़ी है कि वह इस मुद्दे पर बयान बाजी से बचे। प्रधानमंत्री मोदी जान चुके हैं कि पूरा देश राम मय हो चुका है इसलिए विपक्षी नेताओं के साथ वाद—विवाद में पड़ने की जरूरत नहीं है जिससे माहौल खराब हो। उन्होंने भाजपा नेताओं को राय दी है कि वह 22 जनवरी के बाद अपने क्षेत्र के अधिक से अधिक लोगों को अयोध्या लायें और रामलला के दर्शन करवायें। ऐन लोकसभा चुनाव से पूर्व देश में पैदा की गई इस राम लहर के मायने भाजपा अच्छी तरह से समझती है। बीते कल यूपी के सीएम योगी ने साफ कर दिया है कि 22 जनवरी प्राण प्रतिष्ठा को हर साल एक राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। 22 जनवरी को यूपी के सभी स्कूलों व कॉलेज में अवकाश रहेगा, शराब की दुकान पूरे प्रदेश में बंद रहेगी, सरकारी दफ्तरों की भी छुटृी रहेगी। मंदिरों मेंं क्या—क्या कार्यक्रम होंगे यह भी तय हो चुका है। दीपोत्सव के साथ—साथ आतिशबाजी का इंतजाम भी किया गया है। उत्तराखंड में एक शाम राम राग के नाम का आयोजन किया जा रहा है अयोध्या के लिए विशेष बस सेवा भी शुरू हो गई है। यह सब जो यूपी में होने जा रहा है वही सब देश के तमाम राज्यों में हो रहा है। राम से भला किसी को क्या बैर हो सकता है। राम तो सबके हैं और सभी राम के हैं। आस्था और भक्ति का यह मार्ग राम तक पहुंचे यह अच्छी बात है लेकिन राम के नाम पर होने वाली राजनीति अगर वाद विवाद और वारदात तक पहुंचे यह कदाचित भी नहीं होना चाहिए और किसी की तरफ से भी नहीं होना चाहिए। पीएम मोदी ने भाजपा के नेताओं को इस पूरे कार्यक्रम में पार्टी के झंडे, बैनर और नारों का इस्तेमाल न करने की सलाह दी गई है। देखना होगा कि वह उनकी नसीहत को कितना मानते हैं और कितना नहीं मानते हैं।

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