भले ही समय बीतने के साथ और लोगों के मन में कोरोना का कोई खौफ न रह गया हो लेकिन 3 साल पहले देश और दुनिया ने कोरोना संक्रमण के दौरान जिस तरह की मुश्किलों का सामना किया था उसकी यादें आज भी सबके जहन को झकझोर कर रख देती है। घर, अस्पताल और सड़कों पर तड़प—तड़प कर मरते लोग और कब्रिस्तानों तथा श्मशानों में शवों के अंबार और नदियों में तैरती लाशों की तस्वीरों को लोग आज भी नहीं भूले हैं। किसी तरह 2 साल लंबी इस त्रासद स्थिति से मानव समाज को राहत तो मिल गई लेकिन अभी कोरोना संक्रमण का वायरस हमारे बीच जिंदा है और उससे मुक्ति नहीं मिल सकी है जो अत्यंत ही चिंताजनक है। इन दिनों बढ़ते कोरोना के मामलों को लेकर सिंगापुर सबसे अधिक सुर्खियों में है। जहां कोरोना संक्रमण के सक्रिय केसों की संख्या 56 हजार से अधिक पहुंच चुकी है। खास बात यह है कि सिंगापुर में कोरोना के मामले इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं कि बीते एक सप्ताह में 75 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अभी 4 दिन पहले सिंगापुर से भारत (केरल) आई एक महिला में कोरोना संक्रमण की पुष्टि के बाद आज हालात यह हो गए हैं कि बीते 24 घंटे में देश में कोरोना के 335 नए मरीज सामने आ चुके हैं। वहीं बीते एक दिन में कोरोना के कारण केरल में चार और उत्तर प्रदेश में भी एक व्यक्ति की मौत हो जाने की खबर है। जो इस बढ़ते खतरे के साफ संकेत है। सिंगापुर में एक बार फिर से कोरोना के बढ़ते मामलों को देखकर सरकार द्वारा एडवाइजरी जारी करते हुए लोगों से अनिवार्य रूप से मास्क पहनने की अपील की गई है। भारत सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि वह स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। तथा कोरोना का जो नया वेरिएंट जे एन 1 तथा बी ए 2.86 देखा जा रहा है अत्यधिक घातक नहीं है लेकिन साथ ही देश के सभी राज्यों की सरकारों को भी अलर्ट किया गया है कि वह लापरवाही न बरते। बीते कल पांच लोगों की मौत और 335 नये मरीज मिलने के बाद अब देश में कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़कर 1701 हो चुकी है। हमें किसी भी भ्रम में रहने की जरूरत नहीं है यह बहुत पहले ही साफ हो चुका था कि हमें कोरोना के साथ ही जीने की आदत डालनी होगी। इसका सीधा—साधा मतलब यह है कि कोरोना का संक्रमण एक ऐसा संक्रमण है जिसके वायरस को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता है अब तक यही देखा गया है कि यह वाइरस अपने रूप को बदल लेता है। खास बात यह है कि यह आमतौर पर सर्दियों के मौसम में होने वाली मौसमी बीमारी सर्दी जुकाम, बुखार और निमोनिया जैसी ही है। लेकिन इसके गंभीर रूप ले लेने पर उसका कोरोना की श्रेणी में आ जाना और प्राण घातक सिद्ध होना चिंताजनक हो जाता है। अभी बीते कुछ महीने पहले चीन से यह खबर आई थी कि उत्तरी चीन के एक हिस्से में निमोनिया की बीमारी पैर पसार रही है। जिसकी जद में सबसे ज्यादा स्कूली बच्चे आ रहे हैं। बढ़ते निमोनिया के इस प्रकोप के कारण प्रभावित क्षेत्र के स्कूलों को बंद कर दिया गया था। कहने का आशय है कि कोरोना के जिस नए वेरिएंट को लेकर अब चिंताएं जताई जा रही है वह भी चीन से ही फैलना शुरू हुआ है। इस नए वेरिएंट की फैलने की क्षमता को बहुत अधिक बताया जा रहा है यह बहुत तेजी से फैलने वाला वायरस है इसलिए अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान देश में भारी जन—धन हानि हुई थी। कोविद—19 की जद में देश के चार करोड़ 50 लोग आए थे तथा 5,93110 को अपनी जान गंवानी पड़ी थी कहा यह भी जा रहा है कि इस नए वायरस की जद में बच्चे और वह लोग ज्यादा आ रहे हैं जिन्हें पहले कोरोना हो चुका है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोरोना एक अत्यंत ही घातक संक्रामक बीमारी है और देश या देश के लोग कतई भी नहीं चाहेंगे कि उन्हें दोबारा वैसी स्थिति से दो—चार होना पड़े जैसे कि पूर्व समय में वह देख चुके हैं। जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वह है सावधानी बरता जाना। बचाव के उपाय अपनाकर और सतर्कता बरत कर ही हम इससे सुरक्षित रह सकते हैं। इसलिए जरूरी यह है कि कोरोना काल की तरह मास्क का इस्तेमाल करें, फासले बनाकर रखें, भीड़भाड़ से बचे और साफ सफाई का ध्यान रखें।