इन्वेस्टर्स समिट, राजनीतिक पैंतरा

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उत्तराखंड में एक बार फिर अक्टूबर 2018 की तर्ज पर आयोजित की जाने वाली इन्वेस्टर्स समिट में देश और दुनिया के तमाम उघोगपति और पूंजी पतियों का जमावड़ा होने जा रहा है। 8—9 दिसंबर को देहरादून में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के जरिए लाखों करोड़ का निवेश जुटाने के प्रयासों में जुटे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इन दिनों लंदन में है और उघोगपतियों को समझा रहे हैं कि उत्तराखंड में निवेश के जरिए उनके कैसे पौ बारह हो सकते हैं और उनकी सरकार निवेशकों को क्या—क्या सुविधाएं मुहैया करायेगी। उनके साथ अधिकारियों की भी पूरी फौज गई हुई है। लंदन से आई खबर के मुताबिक रोपवे निर्माण में महारत रखने वाली पोमा कंपनी के साथ 2 हजार करोड़ का निवेश प्रस्ताव भी साइन किया गया है। धामी सरकार ने इस ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से 2.50 लाख करोड़ का निवेश जुटाने का लक्ष्य रखा गया है जो त्रिवेंद्र सरकार की डेस्टिनेशन इन्वेस्टर्स समिट से दो गुने से भी अधिक है। त्रिवेंद्र सरकार ने 1.25 करोड़ निवेश के प्रस्ताव आने का दावा किया था लेकिन धरातल पर केवल 30 हजार करोड़ के प्रस्ताव ही उतर सके थे। खास बात यह है कि त्रिवेंद्र सरकार द्वारा अपनी इन्वेस्टर्स समिट के प्रचार प्रसार और आयोजन को सफल बनाने के लिए 80 करोड रुपए खर्च किए गए थे उन्होंने भी तमाम देशों में इसका प्रचार प्रसार किया था तथा देश के आईटी हब शहर बेंगलुरु से अपने रोड शो से इसकी शुरुआत की थी तथा दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ सहित तमाम शहरों में रोड शो किए गए थे। राजधानी दून को दुल्हन की तरह सजाया गया था पीएम मोदी से लेकर अडानी अंबानी तक बड़े उघोगपति आए थे जिनकी बाद में कभी न तो शक्ल दिखी न उनका कोई उघोग ही राज्य में शुरू हुआ। जो भी थोड़ा बहुत निवेश इस समिट के जरिए आया उसका दायरा भी उधम सिंह नगर और दून तक ही सीमित रहा था। इनमें से कितने उघोग अभी राज्य में चल रहे हैं इसकी कोई जानकारी तक सरकार के पास नहीं है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में आयुष, हर्बल, पर्यटन, ऊर्जा, फूड प्रोसेसिंग, फिल्म निर्माण तथा आईटी क्षेत्र व साहसिक पर्यटन तथा धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं निवेशकों को गिनवाई गई थी। अब ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पूर्व वही सब बातें एक बार फिर दोहराई जा रही है। सब कुछ ठीक वैसा ही चल रहा है जो 2018 के समिट से पहले देखा गया था फर्क सिर्फ इतना है कि तब त्रिवेंद्र रावत थे और अब पुष्कर धामी है। जो दिल्ली के रोड शो व 7 हजार करोड़ निवेश प्रस्ताव से इसकी शुरुआत कर चुके हैं और अब 2 हजार करोड़ का प्रस्ताव लंदन से मिल चुका है। दरअसल यह नए भारत की नई तस्वीर है जिसको दिखाने के पैतरे भी नए हैं। इन दिनों लगने वाले रोजगार मेलों की तरह जिसमें पीएम हजारों युवाओं को नियुक्ति पत्र बांट रहे हैं वैसे ही इन्वेस्टर्स समिट में यह दिखाने का एक सशक्त पैंतरा व दांव बन गया है। जिससे ऐसा लगता है कि बस अब बहुत जल्द हर एक राज्य और देश का कल्याण होना तय है न भूख प्यास होगी न बेरोजगारी व गरीबी। शायद हमारे पूर्व नेताओं को यह कला आती ही नहीं थी। अगर आती होती तो उत्तराखंड के सबसे पहले पूर्ण कालिक मुख्यमंत्री एन डी तिवारी ने अपने कार्यकाल में ऐसी कई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट जरूर आयोजित किए गए होते। लेकिन फिर भी वह एनडी तिवारी ही थे जिनके द्वारा देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर के औघोगिक क्षेत्र की न सिर्फ नींव रखी गई बल्कि इस प्रदेश को एक औघोगिक प्रदेश बनाने में सबसे लंबी लाइन भी खींची गई जिसे अब तक की कोई सरकार पार नहीं कर सकी है। धामी सरकार की यह ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट तमाम विदेश का दौरा कर के भी क्या कुछ कर पाएगी समय ही बताएगा।

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