अटकाने भटकाने वाली राजनीति

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क्या महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण के लिए लाया गया विधेयक मोदी सरकार का एक और चुनावी शगुफा है इन दिनों इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है? जब तक बिल का ड्राफ्ट सामने नहीं आया था तब तक इस बिल को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में पारित कराने के लिए देश की नारियां भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वंदन और अभिनंदन कर रही थी। उन्हें लग रहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही यह कानून लागू हो जाएगा लेकिन उन्हें जब यह पता चला कि इसे लागू होने में अभी 5 साल लगेंगे या 10 साल कुछ पता नहीं, उनका उत्साह और जोश भी ठंडा पड़ गया है। विपक्षी दलों द्वारा तो इसे अब चुनावी शगुफा भी बताना शुरू कर दिया है। पहले जनगणना होगी फिर लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं का परिसीमन होगा इसके बाद इस बिल को अस्तित्व में लाया जाएगा? राजनीति में कब क्या हो जाए? कुछ भी कहना संभव नहीं है तो क्या मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पूर्व लाये गए इस आरक्षण विधेयक को जिसे गेम चेंजर बताया जा रहा है फिर चुनावी जीत के लिए लाया गया है। इसे अनिश्चितकाल तक लटकाए ही रखना था तो फिर इसे लाए जाने की क्या जरूरत थी। आगामी सरकार अपने कार्यकाल के अंतिम सालों में भी इस बिल को ला सकती है जब जनगणना व परिसीमन का काम पूरा हो जाता। सच यह है कि इस बिल के संसद में पारित होने के बाद भी इसका भविष्य अनिश्चिता की खुंटी पर ही लटका है तथा इसमें तमाम तरह की पेचीदगी है। जैसे ओबीसी की महिलाओं को आरक्षण के दायरे से बाहर रखा जाना तथा नए सीटों के परिसीमन के बाद इसका ज्यादा और कम लाभ मिलने को लेकर क्षेत्रीय टकराव बढ़ने आदि की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। भाजपा के इस चुनावी शगूफे से उसे भले ही उतना चुनावी लाभ न मिल सके जितना मिलने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन भाजपा का मीडिया विभाग इसके प्रचार से उसे अच्छा लाभ दिलाने में सक्षम है। अभी बीते दिनों लोकसभा में बसपा सांसद को लेकर भाजपा के सांसद रमेश बिधूड़ी ने जिस तरह आपत्तिजनक टिप्पणी की गई वह कोई मामूली घटना नहीं है ऐसा नहीं है कि सत्ता में बैठे भाजपा के नेता इसकी जानकारी नहीं रखते हैं कि संसद में दिए गए किसी भी आपत्तिजनक बयान के आधार पर किसी भी कोर्ट में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है अगर विधूड़ी इस बात को नहीं जानते होते तो उनकी शायद इस तरह का बयान देने की भी हिम्मत नहीं हो सकती थी कि वह किसी संासद को आतंकवादी या उग्रवादी कह देते। लोकसभा स्पीकर से लेकर भाजपा के तमाम नेता अब इस पर लीपा पोती करने में जुटे हैं। विपक्ष के नेताओं का मानना है कि भाजपा के नेता अब इसी तरह की बयान बाजी करेंगे क्योंकि वह जनता का ध्यान असल मुद्दों से भटकाना चाहते हैं। अनर्गल बयान बाजी व प्रतीकात्मक मुद्दे खड़े करने में भाजपा को महारत हासिल है और शगूफेबाजी में उसका कोई मुकाबला कर ही नहीं सकता है। भाजपा इस समय अटकाने और भटकाने वाली राजनीति कर रही है लेकिन विपक्ष उसे अपनी इन चालो में कामयाब नहीं होने देगा।

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