स्कूल खोलने की जल्दबाजी क्यो?

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कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच उत्तराखंड सहित कई राज्यों में स्कूल और कॉलेजों को खोलने का काम शुरू हो चुका है। सभी राज्यों द्वारा अपनी—अपनी सोच के साथ नियम और कानून बनाए जा रहे हैं। बीते कल उत्तराखंड में कक्षा 9 से लेकर 12वीं तक स्कूलों को खोल दिया गया है। वहीं पंजाब सरकार द्वारा कॉलेजों को भी खोलने का फैसला लिया गया है। जबकि यूपी की सरकार द्वारा 16 अगस्त से स्कूलों को खोलने की बात कही गई है। स्कूल कॉलेजों को अभी खोला जाना चाहिए या नहीं? इस सवाल पर कहीं भी कोई एक राय नहीं है। बीते साल मार्च में कोरोना की पहली लहर के दौरान बंद हुए स्कूल—कॉलेजों को लगभग सभी राज्यों द्वारा खोल दिया गया था किंतु दूसरी लहर के आते ही इन्हें फिर से बंद करना पड़ा। भले ही दूसरी लहर का कहर इतना विकराल रहा हो लेकिन देश में पूर्ण लॉक डाउन न होने के बावजूद भी सभी स्कूल कॉलेज पूरी तरह बंद रहे। इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीते डेढ़ साल से देश भर के स्कूल व कॉलेज अधिकांश समय बंद ही रहे तथा इससे बच्चों की पढ़ाई का भारी नुकसान हुआ। बीते साल किसी भी स्कूल कॉलेज में परीक्षाएं तक नहीं हो सकी। और इन बच्चों को बिना परीक्षा दिए ही अगली कक्षा में प्रमोट करना एक मजबूरी बन कर रह गई। बात चाहे ऑनलाइन घर पर ही बच्चों की पढ़ाई करने कराने की रही हो या फिर उन्हें बिना परीक्षा पास करने की यह सब मजबूरी का नाम महात्मा गांधी जैसी बातें है। इसमें न बच्चे संतुष्ट है न अभिभावक लेकिन सभी की अपनी विवशताएं हैं। अब जब इन स्कूल कॉलेजों को खोलने की कवायद शुरू हुई है। कोरोना की तीसरी लहर की संभावनाओं पर भी तेजी से चर्चा हो रही है। कई देशों से तो ऐसी खबरें आ रही है। देश के कुछ राज्यों में जिस तरह से कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है तथा इसके नए नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं उन्हें देखते हुए इन आशंकाओं को खारिज भी नहीं किया जा सकता है। कोरोना अभी गया नहीं है अभी देश में हर रोज 40 हजार के आसपास नए के सामने आ रहे हैं तथा 500 के आसपास हर दिन मौतें हो रही है जो किसी भी सूरत में कोई अच्छा संकेत नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि तीसरी लहर का आना तय है कुछ लोग तो अक्टूबर—नवंबर में तीसरी लहर के पीक पर आने का दावा कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में स्कूलों को खोला जाना क्या उचित कहा जा सकता है? भले ही स्कूलों को खोलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है लेकिन कुछ अभिभावक अभी भी बच्चों को स्कूल में जाने से डर रहे हैं उनका यह डर बेवजह नहीं है। यही नहीं सरकार के इस फैसले के खिलाफ अदालतों में कुछ जनहित याचिकाएं भी दायर की गई हैं। ऐसी स्थिति में स्कूलों को खोलने की जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए क्योंकि यह बच्चों के जीवन सुरक्षा से जुड़ा सवाल है।

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