देहरादून। मलिन बस्तियों को उजाडने के विरोध में विभिन्न संगठनों ने सचिवालय कूच कर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा।
आज यहां विभिन्न संगठनों के लोग परेड ग्राउड पर एकत्रित हुए। जहां से उन्होंने सचिवालय के लिए कूच किया। जब वह सचिवालय के समक्ष पहुंचे तो पुलिस ने बैरकेडिंग लगाकर रोक दिया। जिसके बाद उन्होंने वहीं पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शन के पश्चात एक प्रतिनिधिमण्डल ने सचिवालय में जाकर मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। ज्ञापन में उन्होंने कहा कि सरकार का वायदा था कि वह पंचायत, चाय बागानों तथा बस्तियों में बसे आबादी को मालिकाना हक देगी। वर्ष 2016 में जन आन्दोलन के बाद 2018 में सरकार बस्तियों की सुरक्षा के लिए कानून लायी जोकि अक्टूबर 2024 तक प्रभावी है। बावजूद अनेक बहाना बनाकर सरकार बस्तियों को उजाडने पर आमदा है, हाल में चूना भटटा, दीपनगर, बारीघाट तथा काठबंगला इसका ज्वंलत उदाहरण हैं। जहां सैकडों गरीबों को बिना पुनर्वास दिये बेघरबार किया गया जबकि अभियान में रिस्पना के इर्दगिर्द बडे लोगों, सरकारी कब्जों को छोडा गया। उन्होंने कहा कि सरकार की प्रस्तावित एलिवेटेड रोड जिसे रिस्पना तथा बिन्दाल से गुजरना है आने वाले दिनों में हजारों परिवारों के बेघरबार हाने का कारण बनेगी। इस योजना में पिछले 40 वर्षो से पुरानी बसी आबादी को अतिव्रQमणकारी कहा गया इसका सीधा मतलब है कि सरकार सीधे तौर पर प्रभावितों के पुर्नवास एवं मुआवजा की जिम्मेदारी से बच रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के प्रगतिशील वामपंथी राजनैतिक एवं सामाजिक संगठन पिछले लम्बे समय से इन तमाम मुददों पर आन्दोलित है तथा प्रभावितों से हजारो हजार हस्ताक्षर करवाकर सरकार को भेज चुके है अभी भी हजारो हस्ताक्षर इकटठे हुए हैं। उन्होंने मांग की है कि उनके द्वारा उठाये गये बिन्दुओं पर न्यायोचित कार्यवाही की जाये। प्रदर्शन करने वालों में सीआईटीयू, एंटक, इंटक, चेतना आन्दोलन, सीपीएम, सपा, बसपा, आयूपी, भीम आर्मी, एसएफआई, किसान सभा के पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद थे।