विशाल भण्डारे के साथ हुआ शिवपुराण का समापन

0
430

देहरादून। आज अनारवाला भद्रकाली मन्दिर में चल रही कथा में जोहड़ी अनारवाला गूच्चूपानी नाई वाला नयां गांव के लोगों ने पूर्ण आहुति देकर विशाल भण्डारे का आयोजन किया जिसमें बढचढकर लोगों नें भाग लिया। इससे पूर्व कथा के माध्यम से ज्योतिष पीठ व्यास पदालघ्कृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई ने कथा का वाचन करते हुए कहा ब्रह्मदेव सतोगुण विष्णु रजोगुण शंकर तमोगुण के प्रतीक होनें पर शंकर की उपासना करनें वाले को सतोगुण रजोगुण प्राप्त हो जाते और उस भत्तQ तमोगुण नाश करके उसमें सात्विकता भरने पर उसका कल्याण कर देते हैं। व्याधेश्वर शिव लिंग का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा वह मृग को देखने के लिए पेड़ पर चढ़ा पानी और विल्व पत्र उसके हाथ से निचे तब गिरे चार पहर शिवरात्री की रात्री जब ओ मृगों के लिए वाण उठाने लगा और पुनः ज्ञान प्राप्त और शिवदर्शन कहा आपसे यह व्याधेश्वर लिंग होगा।
उन्होंनें कहा जब जीव माया के संसर्ग में आता है तो यदा—कदा वह पाप—कर्म में प्रवृत्त हो जाता है। अपनी इच्छा के विपरीत कर्म कर बैठता है।भगवान् ने अर्जुन को बताया कि इसके पीछे मुख्यतः तीन कारण हैं।
पहला कारण है काम, दूसरा कारण है क्रोध, तथा तीसरा कारण है लोभ और इन सब के मूल में है रजोगुण। प्रकृति त्रिगुणात्मिका है। सत्व गुण रजोगुण और तमो गुण ।सत्व,रज,तम की प्रधानता है । जब भी मनुष्य रजोगुण की अधिकता जायेगा,रजोगुण में जीयेगा तो फिर उसे तमस भी घेर लेगा । तामसिक वृत्ति होते ही पाप कर्मों में,निकृष्ट कर्मों में उतर ही जायेगा बलात् । तमस का अर्थ है विध्वंस नकारात्मकता तोड़नाखण्ड खण्ड करना प्रमाद में जाना अंधकार में जाना ।
यही तामसिक वृत्ति के आधिक्य के कारण व्यत्तिQ अपने आपे से बाहर हो जाता है, गहन अन्धकार में प्रवेश कर जाता है । फिर उस तमसवृत्ति के दुरूह अंधकार में वह पाप—कर्म में तन मन से लिप्त होकर उसका संपादन करता है ।
परिणाम में दुःख का सृजन होता है। कष्ट और पीड़ा से कराहता है तथा काल को,कर्म को,ईश्वर को उस कर्म के लिए दोषी ठहराता है।
आचार्य ममगांई कहते गीता में भगवान् श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं जो भी व्यत्तिQ जीवन में इन तीन गुणों में संतुलन बनाये रखेगा वह पाप—कर्म में न उतरेगा ।कह रहे हैं भगवान् जो रजो गुण की अधिकता में जीयेगा वह बलात् स्वर्ग को जायेगा ही जायेगा ,जो तमस में ही जीवन बितायेगा उसके लिए नरक के द्वार के अतिरित्तQ अन्य कोई मार्ग नहीं। और जो सत्व गुण का आश्रय लेकर सत्व में जीवन यापन करता है वह मोक्ष को प्राप्त होता है। इससे स्पष्ट हो गया मनुष्य चुनाव करने में सक्षम है उसे कैसा कर्म करना है। जीवन में अत्यंत सावधानी चाहिए।
आज विशेष रूप से प्रसिद्ध उघोगपति स्वामी व मुख्य संपादक दून वैली मेल के कांति भाई जी,किशनपुर पार्षद श्रीमती उर्मिला थापा जी, नलिन प्रधान , आचार्य पुष्कर कैंथोला, राहुल सती, तरुण सती,आचार्य दिवाकर भटृ, आचार्य संदीप बहुगुणा, आचार्य प्रदीप, अनूप राणा, सनूप राणा,अरुण गुरुंग, कमल गुरुंग ,रंजीता गुरुंग, मेघना गुरुंग , जय नारायण खत्री जी,सुजान पुन, संध्या पुन ,सुनैना गुरुंग, कुसुम थापा ,सुनंदा गुरुंग, सरस्वती प्रधान, विशेस्वरी देवी,संतोष संतोष कैंथोला, श्रीमती विजया रौथन,श्रीमती मैथानी ,श्री रमाकांत त्रिपाठी एवं समस्त क्षेत्रवासी उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here