पूर्व सैनिकों को नौकरी, चुनावी कार्ड

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बीते कल आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड की राजधानी में अपनी चुनावी नव परिवर्तन सभा को संबोधित करते हुए सभी सेवानिवृत्त सैनिकों को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की गई, इसके साथ ही उन्होंने शहीद परिवारों को आप की सरकार बनने पर एक करोड़ की सम्मान राशि देने का वायदा किया गया। जहां तक शहीद परिवारों को सम्मान राशि एक करोड़ देने की बात है वह उनका एक स्वागत योग्य फैसला माना जा सकता है। क्योंकि देश की आन—बान—शान के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने की कोई कीमत नहीं हो सकती। केंद्र और राज्यों की सरकारों को यह सब बहुत पहले करना चाहिए था जिससे शहीदों के परिवारों को किसी तरह के आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े लेकिन उनके हाथ द्वारा सेवा निवृत्त होकर आने वाले सैनिकों को सरकारी नौकरी देने की घोषणा को उचित नहीं ठहराया जा सकता है यही कारण है कि उनकी इस घोषणा को विशुद्ध राजनीतिक और चुनावी लाभ के लिए की जाने वाली घोषणा के तौर पर देखा जा रहा है। राज्य में लाखों करोड़ों युवा बेरोजगार घूम रहे हैं और उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है ऐसे में उन पूर्व सैनिकों को भी सरकार नौकरी देने का काम करेगी जो एक सरकारी नौकरी कर चुके हैं तथा जिन्हें जीवन यापन के लिए अच्छी खासी पेंशन के साथ अन्य नौकरियों में भी प्राथमिकता के आधार पर नौकरी दिए जाने की व्यवस्था पहले से ही है अब क्या उन्हें सरकारी नौकरी देने की अरविंद केजरीवाल की गारंटी ठीक मानी जा सकती है। अरविंद केजरीवाल जिन्होंने कल यह घोषणा की थी उसे लेकर युवा और शिक्षित बेरोजगारों में आक्रोश होना अति स्वाभाविक है भले ही अरविंद केजरीवाल द्वारा प्रदेश के युवा बेरोजगारों को नौकरी देने की गारंटी दी जा रही है और जब तक नौकरी नहीं दी जाती है तब तक हर एक बेरोजगार को पांच हजार रूपये भत्ता देने की बात वह कह रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि राज्य के शिक्षित युवाओं के लिए तो सरकारी नौकरी देने की क्षमता है नहीं या वह बेरोजगारों को तो नौकरी दे नहीं पा रही है ऐसे में पूर्व सैनिकों को अरविंद केजरीवाल कहां से नौकरी देंगे? यह एक अहम सवाल है। सही बात यह है कि उन्होंने पूर्व सैनिकों को सरकारी नौकरी देने की जो बात कही है वह उनका सिर्फ चुनावी कार्ड है जो सैनिक परिवारों के वोट हासिल करने के लिए खेला गया है। वह खुद भी यह अच्छी तरह से जानते हैं कि बिना सैनिक परिवारों के वोटों के किसी भी राजनीतिक दल को सूबे की सत्ता नहीं मिल सकती है यही कारण है कि महिलाएं जिनको उन्होंने हर माह 1000 रूपये सम्मान राशि और सैनिक परिवार जिन्हें वह सरकारी नौकरी का वायदा कर रहे हैं का वोट ही सत्ता तक पहुंचा सकता है। अब यह देखना होगा कि उनका यह चुनावी कार्ड कितना कारगर साबित हो पाता है।

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