सैनिक कालोनी मे कलश यात्रा के साथ भागवत का शुभारंभ

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देहरादून। हर्रावाला शिवमन्दिर से सिर पर कलश लिए सैकड़ों की संख्या में कलश लिए महिलायें ढोल दमाऊं और बैंड की थाप के साथ मुख्य मार्ग से होते हुए नकरोन्दा रोड सैनिक कालोनी के एक ग्राउण्ड में स्वर्गीय मायाराम मैठानी की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत पाण्डाल में लडू गोपाल का स्नान कराया गया।
वहीं कथावाचन करते हुए ज्योतिष्पीठ व्यास पदालकृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई ने कहा कि संसार का चिंतन करने से मन बिगड़ता है। इसलिए भगवान का नाम जप अवश्य करें, जिससे मन न बिगड़।े एक बार मन बिगड़ने पर इसका सुधरना मुश्किल है। आचार बिगड़ने से विचार बिगड़ते हैं। विचार बिगड़ने से वाणी बिगड़ती है। ऐसा कोई मनखुरा भाव न रखें जिसे वाणी में विकार आवे। वाणी को बिगाड़ने वाले का पुरुषार्थ बिगड़ता है। उन्होंने कहा कि प्रभु में अनन्यता होने पर संसार कुछ कुचक्र से हम छूट सकते हैं। भरी सभा में द्रौपदी दुशासन के द्वारा अपमानित की जा रही थी उसने सोचा कि मेरे पांच पति ही मेरी रक्षा करेंगे। परंतु जुआ में हारने के कारण यह पांचाें सर नीचा करके बैठ गए तो द्रौपदी के हृदय से पतियों का बल निकल गया। द्रौपदी ने सोचा भीष्म, कर्ण, द्रोण ये महारथी मेरी रक्षा करेंगे। वो भी भरी सभा में दृष्टि नीचे करके देखते रहे। इनका बल भी गया द्रौपदी ने सोचा, मैं आपने दांतों से अपनी लाज बचाऊंगी दांताें के नीचे साड़ी रखी अवस्थामा ने एक झटके मैं साड़ी खींची। भले ही नारी का बल 10000 हाथी के बल वाले दुशासन का मुकाबला कैसे करें। द्रौपदी ने दांत से साड़ी दवायी। दुशासन ने जैसे ही साड़ी को झटका दिया वैसे ही द्रौपदी के हाथ से साड़ी खिसक गई। अब द्रौपदी ने बल का त्याग कर दिया। केवल श्याम सुंदर के बल पर ही निर्भय हो गई। बस अनन्य हो गयी। तभी क्या बढ़ाने के लिए भगवान तत्क्षण पहुंच गए। भावार्थ यह है की उपासना, पूजा व भक्ति में अनन्यता प्रमुख वस्तु है जिस पर लोगों का विशेष दृष्टिकोण नहीं रहता है इसलिए परमात्मा में अनन्यता होने पर जीवन की नींव में स्थिरता आ जाती है। जो भत्तिQ करते हैं उन्हें भगवान अवश्य मिलते हैं। मन रूपी मछली को विवेक रूप ज्ञान से भी धोगे तो द्रौपदी रूपी भक्ति स्वयं प्राप्त होगी और परमात्मा जीवन के हम रूपी दुशासन से बचाने स्वयं आएगी।
विकास ममंगाई ने कहा कि भक्ति भजन श्रेष्ठ होगा। भगवान दरवाजा खटखटाना आएंगे। जैसे सुलभ विदुर के भजन से दुर्याेधन के मेवा त्याग कर सुलह के दरवाजे खटखटाये। विदुर का सागवान विद्वान का किले का छिलका खाया। यह भजन की महता का फल है आदि प्रसंगों पर ममगाई ने सारे वातावरण को भक्तिमय कर दिया।
वहीं विशेष रूप से पूर्व शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी, टिकाराम मैठानी, जगदीश मैठानी, आचार्य राजेन्द्र मैठानी, पूर्व प्रधानाचार्य राजेन्द्र सेमवाल, भाजपा सदस्य संजय चौहान, प्रमोद कपरवाण शास्त्री डाक्टर बबिता रावत, मंजुला तिवारी, सतीश मैठानी, दिनेश मैठानी, सर्वेश मैठानी, दर्शनी देवी, पार्वती देवी, मुकेश, राजेश, चन्द्रप्रकाश, ओमप्रकाश, सम्पति उर्मिला, सुशीला, सुनिता, विजया, संजाता, लक्ष्मी, मंजू भट्ट, विनिता, आरती, ज्योति श्ौली, क्षेत्र पंचायत सदस्य पुनिता सेमवाल, डाक्टर सत्येश्वरी, सत्येन्द्र भटृ, संजय, अनिल श्ौलेश, आमन्त्रित अभिषेक आयुष अतुल आदि उपस्थित थे ।

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