नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को एक इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया है, कि कैसे उन्होंने 2014 में पहली बार कुर्सी संभालने के बाद देश की एक दशक पुरानी विदेश नीतियों को एक मजबूत नीति में बदल दिया। नई दिल्ली में भारत मंडपम में एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया है, कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन के खिलाफ पूर्ण पैमाने पर युद्ध की घोषणा के बाद, रूस से कच्चा तेल खरीदने के भारत के विकल्प के बारे में उन्हें अक्सर सवालों का सामना करना पड़ा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कि मुझसे अकसर सवाल पूछा जाता है, कि भारत, नई दिल्ली के संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंधों को जोखिम में डालकर रूस से कच्चा तेल कैसे खरीद रहा है। मैंने उनसे कहा, मैं अपने 140 करोड़ भारतीयों के प्रति जवाबदेह हूं। अगर मुझे किसी को खुश करना है, तो मैं 140 करोड़ देशवासी को खुश करूंगा, अमेरिका को नहीं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया, कि भारत वहां से तेल खरीदेगा, जहां से यह भारत के हितों के अनुकूल होगा। उन्होंने कहा, कि मैंने इस विदेश नीति को बनाए रखा और इसलिए अपने देश को (बढ़ती कीमतों और मुद्रास्फीति से) बचाया। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया, कि कैसे उन्होंने उज्बेकिस्तान के समरकंद में साल 2022 में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के दौरान एक बैठक में राष्ट्रपति पुतिन से कहा, कि यह युद्ध का युग नहीं है।
पीएम मोदी ने उज्बेकिस्तान के समरकंद में एक कार्यक्रम के दौरान बार-बार इस बात पर जोर दिया, कि एक विभाजित दुनिया के लिए आम चुनौतियों से लड़ना मुश्किल हो जाएगा।
आपको बता दें, कि प्रधानमंत्री मोदी की ‘युद्ध का युग नहीं है’ वाली टिप्पणी की चर्चा पूरी दुनिया में की गई थी और उसके बाद इंडोनेशिया के बाली में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान घोषणापत्र में इस टिप्पणी को शामिल किया गया था।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूस से भारत के कच्चे तेल के आयात में जबरदस्त उछाल आया। अमेरिका और यूरोप की आलोचनाओं को नजरअंदाज करते हुए भारत ने भारी मात्रा में कच्चे तेल का आयात रूस से किया और आज की तारीख में, भारत सबसे ज्यादा कच्चा तेल रूस से खरीद रहा है, जबकि यूक्रेन युद्ध से पहले भारत को तेल बेचने के मामले में रूस 10वें नंबर पर था।
इसी से खफा जी-7 देशों ने दिसंबर 2022 में रूसी तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल का प्राइस कैप लगा दिया, जिसके तहत कोई भी देश 60 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा रूसी तेल का आयात नहीं कर सकता है। हालांकि, इसका मकसद भारत को रूसी तेल खरीदने से रोकना था, लेकिन भारत को इसका जबरस्त फायदा हुआ है और भारत 60 डॉलर प्रति बैरल से कम कीमत पर रूसी तेल खरीदता है।