राजनीति का महासंग्राम

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अभी लोकसभा चुनाव में 2 महीने का समय शेष है। लेकिन देश में सत्ता का संग्राम अभी से अपने चरम पर पहुंचता दिख रहा है। नीतीश कुमार की अगुवाई में नए राजनीतिक गठबंधन जिसे इंडिया नाम दिया गया था बनने और बिखरने की प्रक्रिया के दौरान इंडिया की जगह भारत लिखे जाने से भाजपा और कांग्रेस के बीच अदावत की जंग शुरू हुई। जीतेगा इंडिया का नारा व इंडिया दोनों को पीछे छोड़ते हुए भाजपा अबकी बार 400 पार तक पहुंच गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुल्लम—खुल्ला सार्वजनिक मंचों से अपनी तीसरी पाली में विकसित भारत का ऐलान करना शुरू कर दिया और विपक्ष को संसद से उठाकर दर्शक दीर्घा में बैठा देने की भविष्यवाणी कर दी गई। लेकिन देश की राजनीति जिस तरह से दिन व दिन करवट बदलती दिख रही है उससे एक बात जरूर साफ हो गई है कि 2024 का चुनाव आम चुनाव नहीं रहने वाला है। इस चुनाव में बहुत कुछ अजब—गजब होने वाला है। इलेक्टोरल बांड पर आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले और चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में हुई धांधली को लोकतंत्र की हत्या कहे जाने तथा किसानों के आंदोलन और उन्हें दिल्ली आने से रोके जाने के तौर तरीकों को लेकर जो सवाल अब चर्चाओं के केंद्र में आ चुके हैं उनके अनुगूंज में अब भाजपा का अबकी बार 400 पार और विकसित भारत की बात भी गुम होती दिख रही है, और फिर घूम फिर कर भाजपा की राजनीति मंदिर और सांस्कृतिक विरासतों की हिफाजत के इर्द—गिर्द आती दिख रही है। 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के बाद मंदिर और हिंदुत्व का मुद्दा विकसित भारत के मुद्दे पर हावी होता दिख रहा है। कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संभल में थे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले प्रमोद कृष्णम के एक धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने कालिका धाम पहुंचे पीएम मोदी ने यहां अपने संबोधन में अयोध्या, काशी और विश्वनाथ के साथ केदारनाथ धाम के कायाकल्प की बात तो की लेकिन इसके अलावा अन्य किसी मुद्दे का जिक्र नहीं किया हां उनके निशाने पर कांग्रेस व विपक्ष रहा जरूर लेकिन वह भी सुप्रीम कोर्ट के इलेक्टोरल बांड को लेकर आए फैसले को लेकर। जिसमें उन्होंने प्रमोद कृष्णम के स्वागत भाषण के उन शब्दों का सहारा लेकर जिसमें उन्होंने कहा था कि मेरे पास आपको देने के लिए कुछ नहीं सिर्फ भाव व भावना के। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अच्छा है कि आपने मुझे कुछ नहीं दिया अगर सुदामा की तरह एक मुट्ठी चावल की पोटली भी दी होती तो वह लोग सुप्रीम कोर्ट में मेरे खिलाफ जनहित याचिका दायर कर देते। पीएम के इस बयान में सुप्रीम कोर्ट से पैदा हुई बेचैनी को साफ देखा जा सकता है। उधर राहुल गांधी की न्याय यात्रा भी चर्चाओं की दौड़ में है। जिसे रोकने के प्रयास इस हवा दे रहे हैं। राहुल आज यात्रा छोड़कर 6 साल पुराने एक केस में सुल्तानपुर जिला कोर्ट में पेश हो रहे हैं इसके बाद फिर न्याय यात्रा पर निकलेंगे। देश की राजनीति का यह महासंग्राम दिन प्रतिदिन नए तेवर, नए कलेवर और नए मोड़ ले रहा है। दो माह में इसकी दिशा व दशा कहां पहुंचेगी अलग बात है लेकिन 2024 का यह महासंग्राम अभी और तीखा होगा।

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