समाज का क्रूर चेहरा

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टिहरी की बेटी पर उसके ससुरालियों द्वारा किए गए जुल्मो सितम की दास्ता ने देवभूमि के जन मानव की भावनाओं को झकझोर कर रख दिया है। पीड़िता प्रीति को जिस तरह की यातनाएं उसकी सास और ननद द्वारा दी गई हैं उन्हें देख और सुनकर किसी का भी कलेजा कांप जाएगा। प्रीति के परिजन और परिचित ही नहीं इस मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी और डॉक्टर जो उसका इलाज कर रहे हैं वह भी उसका हाल देखकर हैरान हैं कि आखिर कोई इतना निर्दयी और क्रूर कैसे हो सकता है। तालों में बंद रखकर उसकी सास और ननद द्वारा उसे गर्म तवे और चिमटे से जिस तरह से दागा गया है, उस पर हुई हैवानियत की गवाही हर जख्म दे रहा है। शरीर के सर से लेकर पैर तक कोई भी एक हिस्सा ऐसा नहीं बचा है जिसे दागा ना गया हो। यहां तक उसके प्राइवेट पार्ट तक को नहीं छोड़ा गया है। गनीमत यह है कि उसकी मां और भाई किसी अनहोनी की आशंका के चलते उसके ससुराल पहुंच गए और जबरन घर में घुसकर उसे इस नर्क से बाहर निकाल लाए अन्यथा दो—चार दिन की भी देरी हो जाती तो प्रीति की यह दुर्दशा की कहानी भी चिता के शोलों में कहीं हमेशा हमेशा के लिए दफन हो जाती। इस पूरी घटना में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि एक महिला पर जुल्म ढहानेे का काम करने वाली खुद भी महिलाएं ही हैं। जो अब पुलिस की तत्पर कार्रवाई के चलते गिरफ्त में है। प्रीति के अल्ट्रासाउंड से यह तथ्य भी सामने आए हैं कि उसे पिछले 8 दिनों से खाना और पानी तक नहीं दिया गया है। यह हो सकता है कि डॉक्टरी इलाज से प्रीति की जान भी बच जाए और उसके शरीर पर लगे जख्म भी भर जाए लेकिन उसके मन और आत्मा पर जो जख्म लगे हैं उनको शायद अब न कोई दवा भर सकेगी और न समय। उससे भी अधिक बड़ा जख्म यह उस मानव समाज पर लगा है जिसमें हम और आप रहते हैं। किसने बना दिया इस समाज को इतना बड़ा दरिंदा जिसमें न कोई मानवीय संवेदना शेष बची है न सुरक्षा। जो इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं उन्हें तो सजा अब अवश्य मिलेगी ही क्योंकि पुलिस प्रशासन और महिला आयोग ने इस अति क्रुरतम घटना को पूरी गंभीरता से लिया है। भले ही इस घटना को अंजाम उसकी सास और ननद ने दिया हो लेकिन प्रीति का पति जो उसी घर में रहता है था वह भी इसके लिए कम दोषी नहीं है चाहे किसी भी कारणवश वह अपने पति का नाम न ले रही हो लेकिन परिजनों द्वारा किए गए इतने बड़े अत्याचार पर उसका मूकदर्शक बना रहना भी एक बड़ा जुर्म है। जो यह साबित करता है कि इस शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न में उसकी भी स्वीकृति रही है। यह घटना देवभूमि के माथे पर एक बड़ा कलंक जैसी है इसके दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। जो एक नजीर बन सके जिससे भविष्य में कोई ऐसी हैवानियत किसी के साथ करने का साहस न कर सके

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