दावाः नशा मुक्त प्रदेश का, तैयारी गोवा से आगे जाने की

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  • राजधानी में 51 डिपार्टमेंटल स्टोर से शराब की बिक्री
  • तीर्थ नगरी ऋषिकेश में भी पांच स्टोर्स को लाइसेंस जारी

देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड के लोगों और उनकी सभ्यता तथा संस्कृति के साथ यह कैसा भद्दा मजाक है कि सत्ता शीर्ष पर बैठे नेताओं द्वारा प्रदेश को 2025 तक नशा मुक्त प्रदेश बनाने का दावा और वायदा किया जाता है वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में देसी—विदेशी शराब की नदियां बहाने और नशाखोरी में उसे गोवा से भी आगे ले जाने की तैयारी की जा रही है।
बीते कई दिनों से तीर्थ नगरी ऋषिकेश में डिपार्टमेंटल स्टोर से शराब की हो रही बिक्री के विरोध में स्थानीय लोगों द्वारा शासन—प्रशासन के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन किया जा रहा है। जिन धार्मिक स्थलों और नगरों में शराब के ठेके पर प्रतिबंध होता था अब वहां चोर दरवाजे (डिपार्मेंटल स्टोर्स) से महंगी विदेशी दारू बिकवाई जा रही है। ऋषिकेश के लोग सरकार की इस नीति के खिलाफ कई दिनों से सड़कों पर उतरे हुए हैं तथा इस क्षेत्र में खोली गई पांच एफ एल 5डी एस के लाइसेंस रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
उधर अगर राजधानी दून की बात की जाए तो 2021—22 से लेकर लगभग 51 लाइसेंस डिपार्टमेंटल स्टोर्स को 5 एफ एल 5 डी एस के लाइसेंस जारी किए गए हैं और उनसे आला किस्म की अंग्रेजी शराब की बिक्री की जा रही है। खास बात यह है कि उनके बारे में आम आदमी को कोई जानकारी नहीं है क्योंकि वह न तो घरेलू सामान खरीदने के लिए इन अत्याधुनिक डिपार्टमेंटल स्टोर तक पहुंचता है न यहां मिलने वाली महंगी शराब को खरीदने की उसकी क्षमता है। खास लोगों के लिए उपलब्ध कराई जा रही यह सुविधा बहुत कम समय में जितनी तेजी से पैर पसार रही है वह भी हैरान करने वाली बात है। 2021—22 में शुरुआत में सिर्फ चार डिपार्टमेंटल स्टोर से इसकी शुरुआत हुई थी। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार सरकार ने 2022—23 में 14 नए लाइसेंस जारी किया और 2023—24 के लिए अब तक 25 लाइसेंस जारी किए गए हैं। वर्तमान समय में राजधानी दून के 50 से अधिक डिपार्टमेंटल स्टोर से अंग्रेजी शराब की बिक्री हो रही है जिसमें ऐसे—ऐसे ब्रांड मिल रहे हैं जिनके किसी ने नाम भी नहीं सुने होंगे। राजधानी में सरकार द्वारा टेंडर के माध्यम से देसी और विदेशी शराब का जो आवंटन किया गया है वह अलग है। जिनकी संख्या सैकड़ो में है। सवाल यह है कि आखिर सरकार चाहती क्या है? एक तरफ मुख्यमंत्री धामी 2025 तक नशा मुक्त प्रदेश बनाने की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ नशाखोरी में गोवा को भी पीछे छोड़ने की तैयारी चल रही है।
यहाँ पर यह बात उल्लेखनीय हैं कि जहां सरकार इन डिपार्टमेंटल स्टोर्स को खोल के राजस्व को बढ़ाना चाहती है!वहीं दूसरी ओर यह भी जानने की जरूरत हैं कि पिछले साल और इस साल को मिलाकर कितना अधिभार आबकारी विभाग का ठेकेदारों के ऊपर बकाया है जिसे वसूल करने के लिये विभाग द्वारा कोई भी कदम नहीं उठाया गया है।

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