चुनाव पर मौसम की मार

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चुनाव आयोग द्वारा जब चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की गई थी उसी समय से इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि पहाड़ पर चुनाव के लिए यह मौसम मुफीद रहने वाला नहीं है। चुनाव आयोग अगर चाहता तो उत्तराखंड के चुनाव की तारीखों को थोड़ा और आगे बढ़ा सकता था लेकिन चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में होने वाले दूसरे दौर के मतदान (१४ फरवरी) को राज्य में चुनाव कराने का कार्यक्रम तय कर दिया गया। अगर यह चुनाव अंतिम चरण के मतदान के दिन भी कराया जाता तब भी किसी तरह का कोई संवैधानिक संकट नहीं पैदा होने वाला था। क्योंकि मतगणना की तारीख तो 10 मार्च ही रहने वाली थी। चुनाव आयोग ने जिस तरह पंजाब के चुनाव कार्यक्रम में फेरबदल किया वैसा ही फेरबदल चुनाव आयोग उत्तराखंड के चुनाव में भी कर सकता था। लेकिन समय रहते उत्तराखंड के राजनीतिक दलों द्वारा इस मुद्दे पर सही पहल नहीं की गई। उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां अन्य राज्यों से अलग हैं। विषम परिस्थितियों वाले इस राज्य में सर्दी का मौसम चुनाव कराने के दृष्टिकोण से कतई भी उपयुक्त नहीं माना जा सकता है। राज्य के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इस मौसम में पारा शून्य से भी नीचे चला जाता है। कई बार अत्यधिक बर्फबारी के कारण रास्ते बंद हो जाते हैं और आवागमन पूर्णतया बंद हो जाता है। बीते 2 दिनों से राज्य में हो रही वर्षा और बर्फबारी के कारण उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, तथा चमोली व अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ में सामाजिक और आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई है। राज्य के कई हिस्सों में जिसमें यमुनोत्री, गंगोत्री और चकराता क्षेत्र में हुई भीषण बर्फबारी ने सड़कों पर आवागमन पूरी तरह से रोक दिया है ऐसी स्थिति में चुनाव की गतिविधियां का ठप हो जाना स्वाभाविक है। इन क्षेत्रों में चुनाव प्रचार पर पूरी तरह से ब्रेक लग गया है। गंगोत्री व यमुनोत्री क्षेत्र में 5 से 6 फीट तक तथा पिथौरागढ़ व चमोली के कुछ क्षेत्रों में 4 से 5 फीट तक बर्फ की मोटी चादर बिछ गई है जिसके कारण मतदान की तारीख 14 फरवरी तक भी साफ होने की संभावना नहीं है। कल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को राज्य के चुनावी दौरे पर आना था तथा पीएम मोदी की वर्चुअल रैली होनी थी, लेकिन वर्षा और बर्फबारी के कारण उनके यह कार्यक्रम नहीं हो सके। भले ही मौसम विभाग द्वारा अचानक बिगड़े मौसम के मिजाज के पीछे पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता बताई जा रही हो लेकिन पहले से ही कोरोना प्रभावित इस चुनाव को अब जिस तरह की मार झेलनी पड़ रही है उससे सभी राजनीतिक दलों और नेताओं की चिंता बढ़ा दी गई है। मौसम की इस मार से अभी भले ही सिर्फ चुनाव का प्रचार प्रभावित हो रहा है लेकिन इसका असर मतदान पर भी पड़ सकता है। राज्य के दूरस्थ क्षेत्र तो इन दिनों बर्फ से ढके हुए हैं वहां तक चुनाव टीमों का पहुंचना और लोगों का मतदान केंद्रों तक पहुंचना भी मुश्किल हो जाएगा। भले ही चुनाव आयोग भी इसमें कुछ संशोधन न कर सके लेकिन भविष्य में इस पर चिंतन जरूरी है जिससे मौसम की मार से चुनाव को प्रभावित होने से बचाया जा सके।

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