परमात्मा के नियम विरुद्ध कार्य भी चोरी है : आचार्य ममगांई

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देहरादून। आनंद की वैसे ही गति है परमात्मा से ही आती है। परमात्मा में ही जाती है। आप में आये तो तत्काल आस पास परमात्मा का जो रूप फैला है उसे बांट दें, ताकि वह फिर सागर तक पहुँच जाए । बस उसे रोकने से व्यक्ति चोर हो जाता है । सब तरह के आनंद में जब भी रोकने का विचार जन्म लेता है तभी चोरी का जन्म हो जाता है और यह चोरी परमात्मा के विरुद्ध है। जैसे ही हम मांगतें हंै। हमारा हृदय सिकुड़ जाता है। मांगकर और चेतना के द्वारा तत्काल हो जाता है। मांगे और देखे ।


यह बात सैनिक कालोनी नकरौंदा रोड पर आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण के चतुर्थ दिवस पर ज्योतिष्पीठ व्यास पदालकृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी ने कहे। उन्होंने कहा भिखारी कभी भी फूल की तरह खिला नहीं होता है, हो नहीं सकता है। भिखारी सदा सिकुड़ा हुआ अपने मे बंद होगा। जब भी आप मांगते हैं तब आप खबर देते हैं, मेरे पास नहीं है ओर जब भी आप देते हैं तब आप खबर देते हैं मेरे पास है। वास्तव मे सूत्र का अर्थ यही है जो बाँटता है उसे मिल जाएगा जो बटोरता है वह खो देता है।
इस अवसर पर पूर्व राज्य मंत्री राजकुमार पाल सिंह रावत प्रदेश सदस्य भाजपा संजय चौहान पूर्व प्रमुख अर्जुन सिंह गहरवार प्रधानाचार्य अजय राजपाल टिकाराम मैठानी सिंह ठाकुर जगदीश मैठानी आचार्य राजेन्द्र मैठानी पूर्व प्रधानाचार्य राजेन्द्र सेमवाल भाजपा सदस्य संजय चौहान प्रमोद कपरवाण शास्त्री डाक्टर बबिता रावत मंजुला तिवारी सतीश मैठानी दिनेश मैठानी सर्वेश मैठानी दर्शनी देवी पार्वती देवी मुकेश राजेश चन्द्रप्रकाश ओमप्रकाश सम्पति उर्मिला सुशीला सुनिता विजया संजाता लक्ष्मी मंजू भटृ विनिता आरती ज्योति श्ौली क्षेत्र पंचायत सदस्य पुनिता सेमवाल डाक्टर सत्येश्वरी सत्येन्द्र भटृ संजय अनिल श्ौलेश आमन्त्रित अभिषेक आयुष अतुल आदि उपस्थित थे ।

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