क्या देश का लोकतंत्र महज तमाशा भर हो गया है? चाहे चुनाव हो, मतगणना हो या फिर एग्जिट पोल सब कुछ एक खेला भर है। यह सवाल बेवजह इसलिए नहीं माने जा सकते हैं क्योंकि देश के नेता और राजनीतिक दल खुद ही इसका प्रमाण प्रस्तुत कर रहे हैं। 1 जून को लोकसभा की सभी 543 सीटों के लिए मतदान संपन्न होने के बाद देश के कुछ जाने—माने न्यूज चैनलों और एजेंसियों द्वारा एग्जिट पोल के जरिए देशवासियों को यह बताया गया है कि 2024 में किसकी सरकार बनने वाली है। इन एग्जिट पोल में 10 की 10 एजेंसियों द्वारा लगभग एक ही तरह के आंकड़े पेश करते हुए सभी के द्वारा भाजपा और एनडीए को प्रंचड बहुमत के साथ सत्ता में तीसरी बार वापसी दिखाया गया और 350 से 400 के आसपास सीटें आना दर्शाया गया है। इन एग्जिट पोल से लेकर चुनाव में ईवीएम मशीन सहित तमाम 117 बिंदुओं पर चुनाव आयोग के सामने अपनी आपत्तियां दर्ज कराई गई है। विपक्षी दलों के नेताओं ने एक स्वर से इस एग्जिट पोल को गलत बताते हुए तमाम तरह की आशंकाएं जताई गई है। कल दिल्ली में कांग्रेस नेताओं ने एक पत्रकार वार्ता कर सत्ता पक्ष पर अत्यंत ही गंभीर आरोप लगाये गए और साफ कहा गया है कि अगर यह विपक्ष पर मनोवैज्ञानिक रूप से दबाव बनाने की कोशिश तक सीमित है तो कोई बात नहीं है लेकिन अगर इसके पीछे कोई अन्य षड्यंत्र रचा जा रहा है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। कांग्रेस ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने इतिहास में पहली बार ऐसा देखा है कि जब चुनाव परिणाम पहले ही कोई सरकार खुद को जीता हुआ मानकर ट्रांसफर पोस्टिंग से लेकर काम के टेंडर तक देने का काम करें। गृहमंत्री द्वारा देश के 150 से अधिक जिला अधिकारियों को फोन पर अलग—अलग बात कर दिशा निर्देश देने तक की बात उठाई गई। कांग्रेस नेताओं ने सीधा—सीधा आरोप लगाया गया है कि सरकार जो चुनाव हार चुकी है अब अधिकारियों पर दबाव बनाने में लगी हुई है। चुनाव के नतीजे भी एग्जिट पोल के अनुरूप ही आने चाहिए। यही नहीं उन्होंने कांग्रेस को 100 से अधिक तथा इंडिया गठबंधन को न्यूनतम 295 सीटें मिलने का दावा किया। उन्होंने अपने सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी संपर्क कर सावधान किया है कि वह एक—एक मत की गणना होने तक मतगणना केंद्र न छोड़े। राहुल गांधी ने इस एग्जिट पोल को मोदी और मीडिया का एग्जिट पोल बताया है और कल 4 जून को सबके सामने सच आने की बात कही है। वही एग्जिट पोल पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि भाजपा अपने 400 पार को सच साबित करने के लिए कुछ भी कर सकती है। वहीं सपा नेता अखिलेश ने अधिकारियों तक को चेतावनी दी गई है कि वह देश की जनता से अपने आप को ऊपर समझने की कोशिश न करें अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इंडिया गठबंधन का अपना इंटरनल सर्वे सच साबित होता है या फिर एजेंसियों का वह एग्जिट पोल जिसमें भाजपा की एक तरफा जीत दिखाई गई है इसका फैसला तो कल 4 जून को होगा ही लेकिन असली चुनाव परिणाम से पहले एग्जिट पोल को लेकर जिस तरह की रस्साकशी देखी जा रही है उसे लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप नहीं कहा जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह एग्जिट पोल कतई भी विश्वसनीय नहीं है क्योंकि इनमें राजस्थान की कुल 25 सीटों के सापेक्ष 33 सीटों पर जीत दिखाया जाना और बिहार में लोजपा जो 5 सीटों पर ही चुनाव लड़ी है उसे 6 सीटों पर जीत दर्ज कराया जाना दर्शाया गया अविश्वसनीय है। बड़े और नामी चैनलों तक में जो अपने आप को नंबर वन बताते हैं, के एग्जिट पोल में बड़ी—बड़ी खामियां पकड़ी गई है। लेकिन सवाल फिर वही है क्या यही है देश का लोकतंत्र जिसमें सिर्फ किसी भी तरह सत्ता हासिल करना है उद्देश्य शेष बचा है। और जनमत के कोई मायने नहीं रह गए हैं तो यह चिंतनीय ही है। राजनीति के इस खेल का कल क्या पटाक्षेप होता है असल नतीजे के आने पर ही पता चल सकेगा?