March 28, 2024देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री व हरिद्वार से लोकसभा प्रत्याशी त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि 70 हजार से अधिक लोगों ने पार्टी को सुझाव भेजे हैं जिनको भाजपा अपने संकल्प पत्र में शामिल करेगी।आज यहां हरिद्वार रोड स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से वार्ता करते हुए हरिद्वार से भाजपा लोकसभा प्रत्याशी त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि पार्टी ने जनता से सुझाव मांगे थे तथा 70 विधानसभाओं से 70 हजार से अधिक सुझाव जनता ने भेजे हैं। जिसमें 60 प्रतिशत सुझाव राज्य सरकार के लिए हैं तथा 40 प्रतिशत सुझाव केन्द्र सरकार के लिए दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि सुझाव देने वालों में मजदूर, रेहडी पटरी वाले, रंगकर्मी, खिलाडी, अधिवक्ता, किसान, महिला समूह आदि से जुडे लोग शामिल हैं। लोगों ने नमों एप, व्हटसएप आदि के माध्यम से भी सुझाव दिये हैं। उन्होंने कहा कि इन सुझावों से भविष्य की दृष्टि भी साफ हुई है। भाजपा प्रयास करेेगी कि इन सुझावों पर कार्य किया जाये। रावत ने कहा कि सुझावों में जो 60 प्रतिशत राज्य सरकार के लिए है वह राज्य सरकार को भेज दिये जायेंगे जिसमें विकास सहित कई अन्य महत्वपूर्ण सुझाव हैं जिसपर राज्य सरकार को कार्य करना होगा। 40 प्रतिशत केन्द्र सरकार के लिए जो सुझाव है वह केन्द्र सरकार को भेज दिये जायेंगे। जिसको केन्द्र सरकार द्वारा संकल्प पत्र में शामिल किया जायेगा।
March 28, 2024नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा चुनावों के साथ ही विधानसभा के भी चुनाव भी प्रस्तावित हैं। इनके लिए मतदान 19 अप्रैल, 2024 को होने वाला है। इन विधानसभा चुनावों के लिए बुधवार (27 मार्च, 2024) तक नामांकन भरे जाने थे। हालाँकि, शाम तक अरुणाचल की पाँच सीटों पर मात्र एक ही नामांकन प्राप्त हुआ जो कि भाजपा के उम्मीदवारों का था। ऐसे में नामांकन ना प्राप्त होने की दशा में यह उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो रहे हैं। राज्य के मुख्यमंत्री पेमा खांडू के विरुद्ध भी कोई नामांकन नहीं हुआ। वह अरुणाचल के तवांग जिले की मुक्तो सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वह इस सीट से चौथी बार निर्वाचित हो रहे हैं। इनमें से तीन बार वह निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री खांडू के अलावा ताली से जिक्के ताको, सागाली से रातू तेची, तलिहा से न्यातो डुकोम, और रोइंग विधानसभा सीट से से मुच्चू मीठी के विरोध में भी कोई प्रत्याशी नहीं खड़ा हुआ। ऐसे में मुख्यमंत्री खांडू के साथ ही यह भी निर्विरोध विधायक निर्वाचित होंगे। अभी चुनाव आयोग ने इस सम्बन्ध में औपचारिक घोषणा नहीं की है। गौरतलब है कि इसमें से न्यातो डुकम उस सीट से निर्विरोध जीते हैं जो राज्य के पूर्व कॉन्ग्रेसी मुख्यमंत्री नबाम तुकी की सीट रही है। निर्विरोध निर्वाचित होने को लेकर पेमा खांडू ने कहा, “पांच विधानसभा क्षेत्रों में केवल एक नामांकन पत्र भरा गया है। हमें आशा है कि नाम वापसी के आखिरी दिन तक कुछ और सीटें इसमें जुड़ जाएँगी।” अरुणाचल में 30 मार्च, 2024 नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख है।इससे पहले 2019 के राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड बहुमत से जीत कर सरकार बनाई थी। तब राज्य की 60 सीटों में से भाजपा को 41 सीटें मिली थी। कॉन्ग्रेस ने इस चुनाव में भी मात्र 46 प्रत्याशी ही उतारे थे। कॉन्ग्रेस को यहाँ मात्र 4 सीटों पर विजय मिली थी। जदयू के भी राज्य में 15 में से 7 उम्मीदवार जीते थे जिन्होंने बाद में भाजपा का दामन थाम लिया था।
March 28, 2024नई दिल्ली। कांग्रेस ने बुधवार को देर रात आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की आठवीं लिस्ट जारी की। इस लिस्ट में 14 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। पार्टी ने झारखंड, मध्य प्रदेश, तेलंगाना तथा उत्तर प्रदेश के लिए उम्मीदवार घोषित किए हैं। लिस्ट के मुताबिक, कांग्रेस ने कंगना रनौत पर टिप्पणी को लेकर विवादों में फंसी अपनी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत का टिकट काट दिया है। सुप्रिया श्रीनेत हाल ही में कंगना रनौत पर टिप्पणी को लेकर भाजपा के निशाने पर हैं। श्रीनेत ने 2019 लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश के महाराजगंज से लड़ा था लेकिन वह भाजपा के पंकज चौधरी से हार गई थीं। इस बार कांग्रेस ने महाराजगंज से वीरेंद्र चौधरी को लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित किया है। वीरेंद्र चौधरी महाराजगंज जिले की फरेंदा सीट से मौजूदा विधायक हैं और पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। भाजपा ने इस बार भी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी को ही महाराजगंज से उतारा है। पंकज यहां से लगातार 6 बार चुनाव जीत चुके हैं। 2019 में पंकज को 7 लाख 26 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। सुप्रिया श्रीनेत की बात करें तो उन्होंने हाल ही में अपने सोशल मीडिया हैंडल पर कंगना रनौत तथा मंडी पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। बता दें कि भाजपा ने हिमाचल प्रदेश के मंडी से कंगना को चुनावी मैदान में उतारा है। निर्वाचन आयोग ने भी अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए बुधवार को कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इससे पहले सुप्रिया श्रीनेत ने पूरे प्रकरण पर सफाई देते हुए कहा था कि उनके फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट तक कई लोगों की पहुंच है और उनमें से किसी ने आज बेहद अनुचित पोस्ट किया। उन्होंने कहा, ‘‘जैसे ही मुझे पता चला मैंने वो पोस्ट हटा दिया। जो लोग मुझे जानते हैं, वे यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि मैं कभी भी किसी महिला के प्रति व्यक्तिगत और अशोभनीय टिप्पणी नहीं कर सकती। मैं जानना चाहती हूं कि यह कैसे हुआ।’’
March 28, 2024पिथौरागढ़। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने आज डीडीहाट में भाजपा लोकसभा प्रत्याशी अजय टम्टा के समर्थन में रोड शो किया। इस दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम धामी ने कुमाऊंनी में ही लोगों से संवाद किया और कहा कि पांचों लोकसभा सीटो पर कमल खिलेगा और मोदी जी एक बार फिर प्रधानमंत्री बनेगें।सीएम धामी ने भाजपा लोकसभा प्रत्याशी अजय टम्टा के समर्थन में आज पिथौरागढ़ जिले के डीडीहाट में रोड शो किया। इसके बाद सीएम ने रामलीला मैदान में चुनावी सभा को संबोधित किया। इस दौरान सीएम धामी ने कहा कि इस बार उत्तराखंड तैयार लग रहा है और बीजेपी एक बार फिर से पांचों सीटों पर जीत हासिल करने जा रही है।बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को राजस्थान, उत्तरप्रदेश और जम्मू कश्मीर के प्रमुख स्टार प्रचारकों में भी शामिल किया गया है। भाजपा धामी सरकार के समान नागरिक संहिता, सख्त नकल विरोधी कानून, दंगा रोधी कानून, लैंड जिहाद, जबरन धर्मांतरण रोकने के कानून को राष्ट्रीय स्तर पर भुनाएगी।
March 28, 2024लोकसभा का वर्तमान चुनाव अत्यंत विकराल स्थितियों और परिस्थितियों से घिरता जा रहा है। हर दिन हर पल तेजी से घटित होने वाले घटनाक्रमों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस चुनावी दौर में कोई तेज आंधी तूफान आया हुआ है जो अपने साथ सब कुछ उड़ा ले जाने पर आमादा है। चुनावी दौर में देश भर में विपक्षी नेताओं पर ईडी और सीबीआई के ताबड़तोड़ छापे मारे जा रहे हैं। नेताओं को गिरफ्तार कर जेलों में भेजा जा रहा है। तमाम राजनीतिक दलों के सामने यह संकट खड़ा हो गया है कि वह ऐसी स्थिति में चुनाव लड़े तो कैसे लड़े। दिल्ली के आबकारी नीति घोटाले में आम आदमी पार्टी के सीएम केजरीवाल सहित तमाम बड़े नेताओं की गिरफ्तारी के बाद राजधानी दिल्ली से लेकर पूरे देश ही नहीं विदेशों तक हंगामा मचा हुआ है। बीते कल केरल से लेकर कर्नाटक और दिल्ली से लेकर गुजरात के सूरत तक ईडी ने दर्जनों स्थानों पर छापेमारी की। विपक्षी नेताओं के खिलाफ हो रही इस कार्यवाही के विरोध में समूचा विपक्ष एक तरफ खड़ा हो गया है। लेकिन न्यायालयी दखल के बावजूद भी ईडी रुकने का नाम नहीं ले रही है। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा और केंद्र सरकार ईडी और सीबीआई तथा निर्वाचन आयोग जैसी स्वायत्तता धारी संस्थाओं का इस्तेमाल अपने राजनीतिक हित साधने तथा विपक्ष को प्रभावहीन बनाने के लिए कर रही है। जिससे डरकर लोग या तो भाजपा के साथ आ जाए या फिर जेल चले जाए जिससे वह चुनाव लड़ने की स्थिति में न रहे। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार—बार इस बात का ऐलान कर रहे हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी और वह भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए संकल्पबद्ध है। वहीं दूसरी ओर विपक्ष इस कार्रवाई को मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने की कोशिश बता रहा है। विपक्ष का कहना है कि इलेक्टोरल बांड जो देश का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला है में सरकार बुरी तरह फंस चुकी है और उसे इससे बचाव का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है तथा बौखलाहट में यह छापेमारी की जा रही है। बीते कल दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और रिमांड के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली किंतु कोर्ट ने ईडी से गिरफ्तारी और रिमांड का आधार जरूर पूछा है। अब 3 अप्रैल को तय होगा कि उन्हें जेल में ही रहना पड़ेगा या फिर वह बाहर आ पाएंगे। कुछ भी सही लेकिन एक बात साफ है कि केंद्र सरकार ने पूरे विपक्ष को सिर्फ और सिर्फ अपने बचाव करने के काम पर लगा दिया है। कोई भी दल हो या फिर कोई भी नेता हो विपक्ष को चुनाव लड़ने और हार जीत पर सोचने का समय नहीं है। सभी डरे हुए हैं कि ईडी और सीबीआई आएगी और उन्हें पकड़ कर जेल ले जाएगी और जेल में डाल दिया जाएगा। वह छूटकर आ भी गए तो पता चला कि चुनाव भी निपट गया और उनकी पार्टी भी निपट गई। वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचारियों का बिल्कुल सही इंतजाम किया है उनकी जगह विधानसभाओं और संसद में नहीं होनी चाहिए उन्हें जेल में ही होना चाहिए तभी यह देश और इस देश का लोकतंत्र और संविधान बचाया जा सकता है। भ्रष्टाचार को जब तक जड़ से उखाड़ कर नहीं फेंका जाएगा तब तक देश में रामराज की स्थापना संभव है न भारत को विकसित देश बनाया जाना संभव है।
March 28, 20244760 केस फैसले के इंतजार में, 1215 केस 5 साल से अधिक पुराने देहरादून। उत्तराखंड में काफी महीनों से उपभोक्ता न्यायालय ठप्प है। इसका मुख्य कारण राज्य उपभोक्ता आयोग तथा 12 जिला आयोगों के अध्यक्ष के पद काफी समय से रिक्त होना तथा नियमानुसार कार्यकाल समाप्त होने से छः माह पूर्व से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू न करना है। प्रदेश में 4760 उपभोक्ता केस फैसले के इंतजार में हैं जिसमें 1215 केस 5 साल से अधिक पुराने हैं।यह खुलासा उत्तराखंड उपभोक्ता आयोग द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ है। नदीम को उपलब्ध विवरण के अनुसार राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग मेें अध्यक्ष का पद 04 जनवरी 2024 से तथा सदस्य (न्यायिक) तथा सदस्य (सामान्य) के पद 1 जनवरी 2022 से रिक्त हैं जबकि 13 जिलों में से 12 जिला आयोगो के अध्यक्षों के पद रिक्त हैं। इसमें देहरादून का मार्च 2022 से, हरिद्वार का दिसम्बर 2022 से, उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, चमोली, रूद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, पिथौरागढ़ के अध्यक्षों कें पद मई 2023 तथा उधमसिंह नगर के उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष का पद दिसम्बर 2023 से रिक्त हैं। इसके कारण राज्य आयोग तथा 3 जिला आयोगों का कार्य तो प्रभावित हुआ है तथा 10 जिला आयोगों में केसों के निपटारे का काम बिल्कुल ही बंद हैं। तीन जिला आयोगों नैनीताल, अल्मोड़ा तथा बागेश्वर में केसों का निपटारा भी इसलिये हो पा रहा हंैं कि प्रदेश में एकमात्र नैनीताल जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष रमेश कुमार जायसवाल अल्मोड़ा व बागेश्वर जिला आयोग के अध्यक्षों का अतिरिक्त कार्य भार देख रहे हैं।उपलब्ध विवरण के अनुसार वर्ष 2023 के अंत में राज्य व जिला उपभोक्ता आयोगों में 4760 उपभोक्ता केस लंबित हैं। इसमें जिला उपभोेक्ता आयोगों में 3585 उपभोक्ता शिकायतों सम्बन्धी केस तथा राज्य उपभोक्ता आयोग में 72 उपभोक्ता शिकायतों तथा 1103 प्रथम अपील सम्बन्धी केस शामिल हैं। वर्ष 2023 में जिला उपभोक्ता आयोगों में 970 केस तथा राज्य आयोग में 113 प्रथम अपील तथा 3 उपभोक्ता शिकायत सम्बन्धी केस फाइल हुये हैं। इस अवधि में राज्य आयोग ने 28 शिकायतों तथा 407 अपीलों तथा जिला आयोगों ने 470 उपभोक्ता शिकायतों का निपटारा किया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अनुसार, उपभोक्ता शिकायतों तथा अपीलों को तीन माह (प्रयोग शाला वाली शिकायतों के मामलों में पांच माह) मे केसों का फैसला करने का प्रावधान है लेकिन राज्य में 10 वर्ष से अधिक पुराने भी 32 केस लम्बित है। इसमें जिला आयोगों में 7 तथा राज्य आयोग में 20 अपील तथा 5 उपभोक्ता शिकायत सम्बन्धी केस शामिल हैं। राज्य में दस वर्ष से फैसले के इंतजार वाले 182 केसों में 41 जिला आयोगों तथा 20 राज्य आयोगों में उपभोक्ता शिकायतें तथा 121 प्रथम अपील केस शामिल है। सात वर्ष से फैसले के इंतजार वाले 284 केसों में 103 जिला आयोगों तथा 29 राज्य आयोग में शिकायतें तथा 152 प्रथम अपील लम्बित हैं। पांच साल से फैसले के इंतजार में 717 केसों में 364 जिला आयोग तथा 11 शिकायतें व 342 अपील राज्य आयोग में लम्बित हैं। तीन साल से लंबित 765 केसों में 648 जिला आयोगों तथा 1 राज्य आयोग में उपभोक्ता शिकायतें तथा 116 अपील फैसले के इंतजार में हैं। दो वर्ष से लम्बित 1488 केसों में 1245 जिला आयोगों तथा 243 राज्य आयोग में अपील शामिल हैं। छः माह से एक वर्ष तक अवधि से लम्बित केसों में 682 केसों में 614 जिला आयोग तथा 68 राज्य आयोग में अपील केस शामिल है। छः माह से कम समय से लम्बित 474 केसों में 446 उपभोक्ता शिकायतें जिला आयोगों तथा 2 राज्य आयोग तथा 26 अपीलेे राज्य आयोेग में 31 दिसम्बर 2023 को लंबित हैं।