April 19, 2024उधमसिंहनगर। लोकसभा चुनाव के इस महापर्व में मतदाताओं द्वारा किये जाने वाले अजीबोगरीब मामले सामने आ रहे है। इस क्रम एक मतदाता ने पोलिंग बूथ के अन्दर एक वीडियों ही बना डाला और उसे वायरल कर दिया। मामला जानकारी में आने पर पुलिस ने उक्त मतदाता को हिरासत में लेकर अग्रिम कार्यवाही शुरू कर दी है।जानकारी के अनुसार आज थाना कुंडा क्षेत्र निवासी एक युवक द्वारा लोकसभा चुनाव में वोट डालते हुए अपना एक वीडियो अपने फेसबुक पर अपलोड किया गया। मामले की जानकारी मिलने पर थाना कुंडा पुलिस द्वारा उक्त युवक के खिलाफ कारवाई करते हुए उसको पकड़ कर थाना लाया गया तथा उक्त युवक से उसके द्वारा मताधिकार के संबंध में उसके द्वारा डाले गए वीडियो को डिलीट कराया गया उक्त संबंध में अग्रिम विधिक करवाई की जा रही है।
April 19, 2024हरिद्वार। हरिद्वार विधानसभा के मतदान केंद्र ज्वालापुर इंटर कॉलेज में एक मतदाता ने ईवीएम मशीन का विरोध जताते हुए पोलिंग बूथ पर रखी मशीन को ही नीचे पटक दिया। मतदाता जोर—जोर से चिल्लाते हुए ईवीएम मशीन का विरोध किया और बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने की मांग करने लगा। जिसके बाद पुलिस ने मशीन तोड़ने वाले मतदाता को हिरासत में ले लिया जिससे पूछताछ जारी है।जानकारी के अनुसार आज दोपहर ज्वालापुर क्षेत्र के रहने वाले एक बुजुर्ग मतदाता मतदान केंद्र ज्वालापुर इंटर कॉलेज स्थित बूथ नंबर 126 पर मतदान करने के लिए पहुंचे थे। नंबर आने के बाद जैसे ही वह अंदर पहुंचे तो उन्होंने वहंा मौजूद अधिकारियो से बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की। अधिकारियों द्वारा जब उन्हे समझाना चाहा तो वह बुजुर्ग मतदाता तैश में आ गया और उन्होने डेस्क पर रखी ईवीएम मशीन को उठाया और अधिकारियों के सामने ही नीचे जमीन पर पटक डाला। जिसके बाद मशीन टूट गई हालांकि वह बाद में चालू रही। अचानक हुई इस घटना के बाद बूथ पर मतदाताओं में अफरा तफरी मच गई। मामले की गम्भीरता को देखते हुए मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने तत्काल मतदाता को हिरासत में लेकर रेल चौकी भेजा गया जहंा उससे पूछताछ जारी है।
April 19, 2024लोकसभा की 102 सीटों के लिए आज मतदान किया जा रहा है। पहले चरण के चुनाव में उत्तराखंड की सभी पांच सीटों सहित जिन 102 सीटों के लिए वोटिंग हो रही है उनमें से 45 सीटें पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन ने जीती थी जबकि 41 सीटें कांग्रेस और उसके सहयोगियों के हिस्से में आई थी। 2024 के इस चुनाव में एनडीए और (यूपीए) इंडिया गठबंधन के बीच बढत बनाने की इस जंग में किसका पलड़ा भारी रहता है यह तो 4 जून को मतगणना के बाद ही पता चल सकेगा। लेकिन मुकाबले सिर्फ कड़ा ही नहीं बल्कि परिस्थितियंा भी 2014 के मुकाबले बहुत बदली है। विपक्षी दलों की एकजुटता के बीच ईवीएम पर उठने वाले सवालों का मुद्दा जहां सुप्रीम कोर्ट में है वही चुनाव आयोग की निष्पक्षता और आयुक्तों की नियुक्तियों का मामला भी विवादों में है। यही नहीं इलेक्टोरल बांड को असंवैधानिक ठहरा कर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किया जाना और चुनावी चंदे के धंधे का देश के सबसे बड़े स्कैम्प के रूप में शामिल होने से चुनावी माहौल में बड़ा बदलाव आया है। उत्तराखंड की बात करें तो भाजपा ने 2014 व 19 में सभी पांचो सीटों पर जीत का रिकॉर्ड बना रखा है। कांग्रेस यहां वर्तमान चुनाव में जिस हताशा निराशा और टूटे मनोबल के साथ चुनाव में उतरी है ऐसे में अगर वह एक दो सीटें भी जीत पाती है तो यह उसके लिए बड़ी उपलब्धि होगी। जबकि उसके पास भी इस बार वह प्रभावी चुनावी मुद्दे थे जो राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के पास हैं जिनके दम पर वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश व बिहार में चुनावी स्थिति में बड़े बदलाव का मंसूबा जाहिर कर रही है। इस पहले चरण में तमिलनाडु की वह 39 सीटेंं भी शामिल है जिन पर कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने भाजपा को एक भी सीट पर नहीं जीतने दिया था अगर तमिलनाडु में कांग्रेस व उसके सहयोगी पुराने प्रदर्शन को दोहरा भी पाते हैं तो इंडिया गठबंधन का इस पहले दौर में एनडीए पर बढ़त हासिल करना तय माना जा रहा है। क्योंकि महाराष्ट्र जहां की पांच तथा असम जहां की पांच व पश्चिम बंगाल जहां की तीन तथा बिहार जहां की चार सीटों के लिए इस पहले चरण में चुनाव हो रहा है एनडीए कोई बड़ा फेर बदल कर पाने की स्थिति में नहीं है। तमिलनाडु के बाद सिर्फ उत्तर प्रदेश की ही वह 8 सीटें हैं जिन पर भाजपा अपना दम दिखा सकती है। इस पहले चरण में 21 राज्यों की कुल 102 सीटों के लिए आज मतदान हो रहा है उसमें मध्य प्रदेश की 6 व राजस्थान की 12 सीटों पर इंडिया गठबंधन कड़ी चुनौती पेश कर रहा है। पहले दौर के इस चुनाव में हिंदी पटृी के लगभग 40 सीटों के चुनाव परिणाम यह तय करने जा रहे हैं कि इंडिया और एनडीए में से कौन सा गठबंधन बढ़त बनाने वाला है। भले ही मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल के हालात में कोई बड़ा फेर बदल देखने को मिले न मिले लेकिन यूपी, राजस्थान और बिहार के राजनीतिक मिजाज बड़े बदलाव का संकेत जरूर दे रहे हैं। इस चरण में सबसे ज्यादा सीटों के लिए आज होने वाले मतदान के बाद यह पता चल सकेगा कि कौन सा गठबंधन बढ़त की लंबी लकीर खींच पाता है दोनों पक्षों के सामने एक दूसरे के खिलाफ इस चरण में बढ़त बढ़ाने की जंग है जो भी इस चरण में बढ़त बनाने में कामयाब हो सकेगा दिल्ली के केंद्रीय सत्ता तक पहुंचने का रास्ता भी उसी के लिए आसान रहने वाला है।
April 19, 2024कई दशकों से 55—60 फीसदी पर अटका मतदान प्रतिशत चुनाव खर्च में गुणात्मक वृद्धि, मतदान प्रतिशत की सुई अटकी : हर एक वोट पर एक हजार खर्च देहरादून। आज लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण का चुनाव हो रहा है। सात चरणों में होने वाले इस चुनाव पर 120 हजार करोड़ का सरकारी खर्च आने का अनुमान है। वहीं राजनीतिक दल और उनके प्रत्याशी कितना धन खर्च करते हैं इसका सही आंकलन संभव नहीं है क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा तय खर्च सीमा इसमें कोई मायने नहीं रखता प्रत्याशी उससे कई गुना ज्यादा खर्च करते हैं। आजादी के बाद चुनावी खर्च में गुणात्मक वृद्धि हो रही है और आज चुनाव इतना खर्चीला हो चला है कि प्रति वोट एक हजार रूपये के खर्चे तक जा पहुंचा है। लेकिन तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद भी मतदान का औसत प्रतिशत 55—60 प्रतिशत के दायरे को नहीं लांघ पाया है।देश में आजादी के बाद होने वाले पहले लोकसभा चुनाव में 10 करोड रुपए खर्च हुए थे। बात अगर 2014 के लोकसभा चुनाव की करी जाए तो इस चुनाव में सरकारी खर्च लगभग 30 हजार करोड़ आया था जो 2019 के चुनाव में ठीक दो गुना बढ़कर 60 हजार करोड़ हो गया। वर्ष 2024 के चुनाव के लिए जो सरकार का अनुमानित चुनावी खर्च आंका गया है वह 120 हजार करोड़ है। एक अनुमान यह भी है कि सरकार द्वारा पूरी चुनावी व्यवस्था पर जितना खर्च किया जाता है उतना या फिर उससे कहीं अधिक प्रत्याशियों द्वारा अपने चुनाव प्रचार अभियान व अन्य तैयारियों पर खर्च किया जाता है। भले ही चुनाव आयोग द्वारा प्रत्येक प्रत्याशी के चुनाव खर्च की सीमा 15 लाख तय की गई हो लेकिन प्रत्याशी कई—कई करोड़ रुपए खर्च करते हैं यह सत्य सभी जानते हैं।सवाल सिर्फ यह नहीं है कि यह चुनावी धन के इस अत्यधिक प्रयोग की सीमा कहां जाकर रुकेगी, सवाल यह है कि इस अपव्यय को कैसे रोका जा सकता है। तथा हर एक वोटर वोट डालने जाए यह कैसे सुनिश्चित किया जाए? मतदान का औसत प्रतिशत तीन चार दशक से 55—60 फीसदी के बीच ही अटका है और चुनावी खर्च 500 फीसदी बढ़ गया। पहले एक मतदाता पर एक चवन्नी खर्च आया था अब 1 हजार हो गया। यह स्थिति राजनीति में बढ़ते धनबल के प्रयोग को समझने के लिए काफी है। इन दिनों शादियों का सीजन है उत्तराखंड में 18 अप्रैल को कल बड़ी संख्या में शादी थी जिसके कारण बड़ी संख्या में आज लोग अपना वोट नहीं डाल सके। लेकिन चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम में इसका कोई ख्याल नहीं रखा गया।
April 19, 2024वयोवृद्ध महिला मतदाता से की बात, अधीनस्थों को दिए सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त रखने के निर्देश देहरादून। एसएसपी अजय सिंह ने मतदान केन्द्रों का निरीक्षण करते हुए अधीनस्थों को दिशा निर्देश देने के साथ ही मतदान केन्द्र पर पहुंची वयोवृद्ध महिला मतदाता से भी बात कर हाल जाना।आज यहां जनपद के विभिन्न मतदान केंद्रों में चल मतदान प्रक्रिया के दृष्टिगत एसएसपी अजय सिंह द्वारा कोतवाली नगर, पटेलनगर, नेहरु कोलोनी क्षेत्र में विभिन्न मतदान केंद्रों का निरीक्षण किया गया। इस दौरान मतदान केंद्रों की सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए एसएसपी द्वारा सुरक्षा में नियुक्त पुलिस कर्मियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए। हिंदू नेशनल कॉलेज में स्थित मतदान केंद्र के निरीक्षण के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून द्वारा वयोवृद्ध महिला श्रीमती देवी गोयल, उम्र 87 वर्ष से मुलाकात की गई, जो उक्त मतदान केंद्र में अपने मताधिकार का प्रयोग करने हेतु आयी थी। बातचीत के दौरान श्रीमती देवी गोयल द्वारा बताया गया कि स्वतंत्र भारत का पहला चुनाव उनके द्वारा देखा गया था। वह अब तक भारत में सम्पन्न हुए सारे चुनावो में उनके द्वारा मताधिकार का प्रयोग किया गया है। स्वतंत्र भारत के पहले चुनाव की बात आते ही उनके चेहरे पर एक अलग सी मुस्कान देखने को मिली।
April 19, 2024हल्द्वानी। लालकुआं के दैलिया मतदान केन्द्र पर दुल्हा दुल्हन पहुंचे जहां पर दुल्हन ने मतदान कर लोकतंत्र के पर्व में अपनी भागीदारी निभाई।आज यहां उत्तराखण्ड के पांच सीटों पर मतदन हो रहे हैं। लोकतंत्र क इस पर्व में हर कोई बढचढकर अपनी भागीदारी निभा रहा है मतदान करने के लिए लोग सुबह से लाइनों में लगे हुए हैं। नैनीताल जिले के लाल कुंआ विधानसभा क्षेत्र के दैलिया मतदान केन्द्र पर एक ऐसा नजारा देखने को सामनेे आया जहां दुल्हा दुल्हन मतदान स्थल पर पहुंचे। जहां दुल्हन ने मतदान कर इस लोकतंत्र के पर्व में अपनी भागीदारी निभाई। दुल्हन ने बताया कि देर रात उसकी शादी हुई है और आज मतदान के दिन उसकी बिदाई हो रही है लेकिन विदाई से पहले अपना मताधिकार का प्रयोग कर लोकतंत्र को मजबूत बनाने का काम किया है। दुल्हन गायत्री चन्दोल ने बताया कि दैलिया गांव में पली पढी है और वर्तमान मे वह बेंगलुरू में जॉब करती है जहां बेगलुरू निवासी रवि शंकर त्रिपाठी से उसकी शादी हुई है और देर रात शादी समारोह के बाद विदाई से पहले मतदान स्थल पर पहुंच अपना मताधिकार का प्रयोग किया है।