July 1, 2024प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते कल फिर एक बार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने मन की बात सुनाने के लिए देशवासियों के सामने आए। अपने मन की बात के इस 111वें एपिसोड में उन्होने तमाम बड़ी—बड़ी बातें और महत्वपूर्ण मुद्दों पर उपदेश दिया लेकिन इस बार मन की बात में उन्होंने लोक सभा चुनाव 2024 के बारे में एक बड़ी सच्चाई को स्वीकार जरूर किया। उन्होंने इस चुनाव के परिणामों को संविधान की जीत बताया। भले ही उन्होंने यह बात भाजपा और एनडीए को सत्ता में आने के बारे में कही गई हो लेकिन 2024 का चुनाव जिस मुद्दे पर लड़ा गया वह सबसे बड़ा मुद्दा संविधान बचाओ और लोकतंत्र बचाओ का ही मुद्दा था। अबकी बार 400 पार के नारे के साथ चुनाव में जाने वाली भाजपा के नेता जहां अपनी चुनावी सभा में खुल्लम—खुल्ला इस बात का ऐलान करने पर उतर आए थे कि उन्हें 400 पार इसलिए चाहिए जिससे वह संविधान को बदल सके। वहीं विपक्ष के नेता भी इस चुनाव में संविधान की किताब लेकर अपनी जनसभाओं में दिखाई दिए थे उनका साफ कहना था कि यह चुनाव संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ा जाने वाला चुनाव है। चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे जब मीडिया से रूबरू हुए तब भी वह संविधान की प्रति उनके हाथ में थी और उनका आत्मविश्वास सातवेेें आसमान पर था। भले ही भाजपा सबसे बड़े दल और एनडीए सबसे बड़े गठबंधन के रूप में उनके सामने खड़ी थी और कांग्रेस तथा उसका इंडिया गठबंधन दूसरे पायदान पर था लेकिन फिर भी उनका कहना था कि हम अपने मिशन में 100 प्रतिशत सफल रहे हैं हमारे देश की जनता ने संविधान और लोकतंत्र दोनों को बचा लिया है। आज भले ही प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नरेंद्र मोदी ही बैठे हो अब स्थितियां 2014 और 2019 वाली कतई भी नहीं है। प्रधानमंत्री लाख कोशिश कर ले यह दिखाने की कि बादशाहत उन्हीं की है और पहले जैसी ही है मगर इस सच्चाई को वह भी जान चुके हैं कि अब पहले जैसा कुछ भी नहीं बचा है। सही मायने में सत्ता पक्ष द्वारा किए जाने वाला कोई भी काम या व्यवहार अगर पहले जैसा होता है तो इससे सरकार की छवि और भी खराब ही होती जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी अगर यह दिल से स्वीकार कर रहे हैं कि इस चुनाव में संविधान और लोकतंत्र की जीत हुई है अब सरकार का कोई भी काम संवैधानिक व्यवस्थाओं और मान्यताओं के अनुकूल ही होना चाहिए। बीते 10 सालों में नेता विपक्ष तथा डिप्टी स्पीकर के पद को जिस तरह से असवैधानिक तरीके से खाली रखा गया उन पदों की बहाली नितांत आवश्यक है नेता विपक्ष का पद तो बहाल हो चुका है क्योंकि इसे सरकार रोक पाने में अक्षम थी लेकिन डिप्टी स्पीकर के पद पर अभी संशय बरकरार है ऐसा नहीं है की बात सिर्फ डिप्टी स्पीकर पर तक ही सीमित है ऐसी तमाम अन्य बातें हैं। ऐसा भी नहीं है कि किसी सत्ताधारी दल द्वारा पहली बार संवैधानिक व्यवस्थाओं को नकारने का काम किया जा रहा है लेकिन यह भी सत्य है की अंतिम जीते संविधान और लोकतंत्र की ही होती है और शासक चाहे कितना भी ताकतवर क्यों न रहा हो उसे इस सच्चाई को जितनी जल्दी स्वीकार कर ले देश के लिए उतना ही बेहतर होगा।
July 1, 2024नई दिल्ली। आज से देश में 3 नए कानून लागू हो गए हैं, जिनके तहत कानूनों की परिभाषा बदल गई है। अपराध करने पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। वहीं नए कानून के तहत पहली एफआईआर भी दर्ज हो गई है। यह एफआईआर दिल्ली के कमला मार्केट पुलिस थाने में दर्ज की गई। थाने के सब इंस्पेक्टर ने ही एफआईआर दर्ज कराई है, जिसमें आरोपी एक स्ट्रीट वेंडर को बनाया गया है। वहीं केस भारतीय न्याय संहिता कानून की धारा 285 के तहत दर्ज हुआ है। आरोपी की पहचान बिहार के बाढ़ गांव निवासी पंकज कुमार के रूप में हुई है। सब इंस्पेक्टर कार्तिक मीणा ने स्ट्रीट वेंडर पकंज कुमार के खिलाफ शिकायत दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि वे पेट्रोलिंग पर थे। इस दौरान जब वे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे और वहां फुट ब्रिज के पास डीलक्स शौचालय के आस-पास एरिया का जायजा ले रहे थे तो पकंज की रेहड़ी नजर आई। पंकज अपनी रेहड़ी पर पानी, बीड़ी, सिगरेट बेच रहा था, लेकिन यह रेहड़ी उसने आने जाने वाले रास्ते पर लगाई हुई थी। उसकी रेहड़ी के कारण लोगों को आवाजाही में परेशानी हो रही थी। सब इंस्पेक्टर ने उसे रेहड़ी हटाकर कहीं और लगाने के लिए कहा, लेकिन पंकज अपनी बात कहकर उनकी अनदेखी करके चला गया। इस बर्ताव के चलते उन्होंने रेहड़ी मालिक के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कर ली।
July 1, 2024नई दिल्ली। आज से 1860 में बनी आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, 1898 में बनी सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम ले लेगी। इन तीनों नए कानूनों के लागू होने के बाद कई सारे नियम-कायदे बदल जाएंगे। इनमें कई नई दफा यानी धाराएं शामिल की गई हैं तो कुछ धाराओ में बदलाव हुआ है, कुछ हटाई गई हैं।सीआरपीसी में जहां कुल 484 धाराएं थीं वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं। इसमें ऑडियो-विडियो यानी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जुटाए जाने वाले सबूतों को प्रमुखता दी गई है। वहीं, नए कानून में किसी भी अपराध के लिए जेल में अधिकतम सजा काट चुके कैदियों को प्राइवेट बॉण्ड पर रिहा करने का प्रावधान है। कोई भी नागरिक अपराध के सिलसिले में कहीं भी जीरो एफआईआर दर्ज करा सकेगा। एफआईआर होने के 15 दिनों के भीतर उसे ओरिजिनल जूरिडिक्शन यानी जहां का मामला है वहां भेजना होगा। पुलिस ऑफिसर या सरकारी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए 120 दिन में संबंधित अथॉरिटी से इजाजत मिलेगी। अगर नहीं मिली तो उसे ही सेंक्शन मान लिया जाएगा। एफआईआर के 90 दिनों के भीतर दाखिल करनी होगी चार्जशीट दाखिल करनी होगी। चार्जशीट दाखिल होने के 60 दिनों के भीतर कोर्ट को आरोप तय करने होंगे। इसके साथ ही मामले की सुनवाई पूरी होने के 30 दिनों के भीतर जजमेंट देना होगा। जजमेंट दिए जाने के बाद 7 दिनों के भीतर उसकी कॉपी मुहैया करानी होगी। पुलिस को हिरासत में लिए गए शख्स के बारे में उसके परिवार को लिखित में बताना होगा। ऑफलाइन, ऑनलाइन भी सूचना देनी होगी। 7 साल या उससे ज्यादा सजा वाले मामले में विक्टिम को सुने बिना वापस नहीं किया जाएगा।थाने में कोई महिला सिपाही भी है तो उसके सामने पीड़िता के बयान दर्ज कर पुलिस को कानूनी कार्रवाई शुरू करनी होगी।
June 30, 2024वर्ष 2023 में 22 अप्रैल को हुई थी यात्रा शुरू, 30 जून तक पहुँचे थे लगभग इतने ही यात्रीइस वर्ष 10 मई को कपाट खुलने के बाद अब तक 50 दिन में ही पहुँचे लगभग 30 लाख श्रद्धालुदेहरादून। उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा को लेकर इस बार श्रद्धालुओं में अपार उत्साह नजर आ रहा है। इस वर्ष चारधाम यात्रा प्रारंभ हुए लगभग 50 दिन ही हुए हैं और इन 50 दिनों में ही अब तक लगभग 30 लाख श्रद्धालु चारधामों के दर्शन कर चुके हैं। जबकि वर्ष 2023 में 30 जून तक यानि 68 दिनों में लगभग 30 लाख श्रद्धालु दर्शनों के लिए आये थे। सुगम, सुरक्षित व निर्बाध चारधाम यात्रा के संचालन को लेकर उत्तराखंड सरकार निरंतर प्रयासरत रही है। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने इस वर्ष जनवरी माह से ही चारधाम यात्रा के सुचारू संचालन हेतु बैठकों के साथ ही स्थलीय निरीक्षण आदि का दौर शुरू कर दिया था। उनके द्वारा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि यात्रा को बेहद गंभीरता से लिया जाए। 10 मई को जब इस बार चारधामों के कपाट खुलने का सिलसिला प्रारंभ हुआ तो पहले दिन से भारी संख्या में देश-दुनिया से यात्री दर्शनों के लिए पहुँचे। यात्रा की शुरुआत में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ से उत्पन्न चुनौतियों को देखते हुए मुख्यमंत्री ने ठीक लोकसभा चुनाव के बीच व्यवस्थाओं की कमान अपने हाथ ली तो महज हफ्ते भर में व्यवस्थाएं सुचारू हो गईं। मुख्यमंत्री ने अफसरों को स्पष्ट सन्देश दिया कि यात्रियों को किसी भी तरह की परेशानी न हो। नतीजा, चारों धामों में यात्रा सुचारू रूप से चलने लगी तो देश दुनिया से हर दिन बड़ी संख्या में यात्री दर्शनों के लिए पहुँच रहे हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो मालूम होता है कि इस वर्ष 10 मई को कपाट खुलने से लेकर 30 जून तक लगभग 30 लाख श्रद्धालु चार धामों में आ चुके हैं जबकि गत वर्ष 22 अप्रैल को कपाट खुले थे। यानी लगभग 18 दिन पहले। बावजूद 30 जून तक लगभग 30 लाख यात्री पहुँचे थे।
June 30, 2024देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय स्थित मुख्य सेवक सदन में जन समस्याएं सुनी। उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों को निर्देश दिये कि जन समस्याओं के जल्द निराकरण के लिए समस्या या शिकायत जिस विभाग से सबंधित है, शीघ्र सबंधित विभाग को भेजकर उस पर की गई कार्यवाही की भी जानकारी ली जाय। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिस समस्या का समाधान थाना, तहसील एवं जिला स्तर पर हो सकता है, वे समस्याएं अनावश्यक रूप से शासन स्तर पर न आये। इस प्रकार की शिकायते आने पर उन्होंने सबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के भी निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री के समक्ष लोगों ने स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल, आर्थिक सहायता, विद्युत, जमीन से संबंधित मामलों एवं अन्य समस्याएं रखी। मुख्यमंत्री ने सभी समस्याओं के निराकरण के लिए अधिकारियों को शीघ्र कार्यवाही करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं, कि वे नियमित तहसील दिवस और बीडीसी की बैठकों का आयोजन करवायें। इन बैठकों में सभी वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। जिलाधिकारियों को प्रत्येक कार्यदिवस में 01 घण्टा जन समस्याओं को सुनने के भी निर्देश मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये हैं। इस अवसर पर आईजी गढ़वाल के.एस.नगन्याल, अपर सचिव संजय टोलिया, अपर जिलाधिकारी देहरादून जय भारत सिंह एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
June 30, 2024देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को बौद्ध, मठ क्लेमनटाउन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात का 111वां संस्करण सुना। मन की बात कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री ने मन की बात में वृक्षारोपण को बढ़ावा देने की बात कही। विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान की शुरूआत की गई। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों से आह्वाहन किया कि इस मानसून सीजन में अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर पर्यावरण के संरक्षण और संर्वद्धन में अपना योगदान अवश्य दें। वृक्षारोपण के साथ जल संचय की दिशा में भी योगदान देने के लिए उन्होंने प्रदेश की जनता से आह्वाहन किया है। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में तिब्बती समुदाय के लोगों से भी अनुरोध किया कि वृक्षारोपण और जल संचय के अभियान में वे भी सक्रिय भागीदार बनकर पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में सबको सामुहिक प्रयास करने होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने योग को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने का कार्य किया। 10वें अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर अनेक देशों में योग के बड़े कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। दुनिया में योग करने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की भूमि योग और आयुर्वेद की भूमि है। स्वस्थ जीवन के लिए योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कर्मयोगी के रूप में भारत को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। भारत की सोच हमेशा से विश्व बंधुत्व की रही है। इस अवसर पर विधायक श्री विनोद चमोली, भाजपा के महानगर अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ अग्रवाल एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।